
Haryana Holiday News: हिसार, डॉ. संदीप सिंहमार। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने के कारण जम्मू-कश्मीर,राजस्थान,पंजाब व दिल्ली के साथ-साथ अब हरियाणा में भी स्कूल,कालेज सहित सभी शिक्षण संस्थान बंद किए जा सकते है। हाल ही में अम्बाला और हिसार में स्कूलों को एहतिहात के तौर पर बंद करने का निर्णय लिया गया है, साथ ही पहले से तय किए गए सभी कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया गया है। यह स्थिति न केवल शिक्षण संस्थानों, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चुनौती पेश करती है।
शिक्षण संस्थान हमेशा से ही ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति के केंद्र रहे हैं। वे युवा पीढ़ी का निर्माण करते हैं और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन जब देश में तनाव की स्थिति पैदा होती है, तो इन संस्थानों को बंद करना जरूरी हो जाता है। युद्ध जैसे हालातों में, शिक्षण संस्थान ऐसी जगह होते हैं जहाँ स्वभाविक रूप से भीड़ इकट्ठा होती है। अगर किसी प्रकार का हमला होता है, तो यहां अधिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि प्रशासन समय पाते ही सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे कदम उठाने में संकोच नहीं करता।
शिक्षण संस्थानों का बंद होना न केवल छात्रों की शिक्षा को प्रभावित करता है, बल्कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। पर वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए स्कूलों की छुट्टियां करना जरूरी हो गया है। छात्रों को एक स्थिर और शांति परक वातावरण में पढ़ाई करने की जरूरत होती है। Haryana Holiday News
भारत का एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान की ओर से होने वाले हर हमले को प्रभावी तरीके से रोक रहा है, जिससे देश की सुरक्षा में मजबूती आई है। लेकिन आतंकवाद और सीमापार से घुसपैठ जैसी चुनौतियाँ निरंतर बनी रहती हैं। ऐसे में प्रशासन का यह निर्णय एक समझदारी भरा कदम है।
भविष्य में, जब देश में स्थिति सामान्य होगी, तो शिक्षण संस्थानों को फिर से खोला जा सकेगा। इसके लिए आवश्यक है कि प्रशासन और सुरक्षा बल समन्वय में काम करें, ताकि छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा का माहौल मिल सके। यह भी जरूरी है कि समाज में सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियाँ जारी रहें, ताकि तनाव के बीच एक सकारात्मक माहौल का निर्माण हो सके।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण शिक्षण संस्थानों को बंद करने के निर्णय को केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि समाज की समग्र भलाई के दृष्टिकोण से भी समझा जा सकता है। कठिन समय में सुरक्षा में सीधी चिंता का होना स्वाभाविक है। विद्यालयों और कॉलेजों में बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। तभी हम एक सुरक्षित और प्रगतिशील समाज का निर्माण कर सकेंगे।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर, हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि समाज और शिक्षण संस्थान अपनी चुनौतियों का सामना करते हुए एक उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ेंगे।