हेपेटाइटिस: एक गंभीर लिवर रोग जिसे समय रहते पहचानना है ज़रूरी
Hepatitis: नई दिल्ली। हमारा शरीर निरंतर कार्य करता है और इसमें यकृत (लिवर) एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो अनेक आवश्यक कार्यों का संचालन करता है। यह न केवल रक्त को शुद्ध करता है, बल्कि पाचन क्रिया में सहायता करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। परंतु जब लिवर रोगग्रस्त हो जाता है, तो संपूर्ण शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है। हेपेटाइटिस एक ऐसी अवस्था है जिसमें लिवर में सूजन उत्पन्न हो जाती है। इस रोग की प्रारंभिक अवस्था में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखते, किंतु यदि समय पर इसकी पहचान न हो, तो यह गंभीर रूप ले सकता है। Covid-19
हेपेटाइटिस क्या है?
हेपेटाइटिस का आशय है यकृत में सूजन। यह रोग मुख्य रूप से विषाणु संक्रमण (वायरल इंफेक्शन) के कारण होता है, लेकिन अधिक शराब सेवन, विषैले पदार्थ, कुछ दवाइयों या स्वप्रतिरक्षी (ऑटोइम्यून) स्थितियों के कारण भी उत्पन्न हो सकता है। यदि इसका उचित उपचार न किया जाए तो यह लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर या लिवर फेलियर का कारण बन सकता है।
हेपेटाइटिस के प्रकार | Covid-19
तीव्र (एक्यूट) हेपेटाइटिस – यह अचानक शुरू होता है और सामान्यतः छह महीने के भीतर ठीक हो सकता है। इसके लक्षण कुछ दिनों या हफ्तों तक रहते हैं।
दीर्घकालिक (क्रॉनिक) हेपेटाइटिस – यह छह महीने से अधिक समय तक बना रहता है और धीरे-धीरे लिवर को क्षति पहुंचा सकता है। यह स्थिति गंभीर रूप ले सकती है यदि इसका उचित इलाज न हो।
हेपेटाइटिस के सामान्य लक्षण | Covid-19
अत्यधिक थकान या कमजोरी
भूख में कमी और मतली
बुखार
पेट के ऊपरी दाहिने भाग में दर्द
दस्त या अपच
त्वचा और आंखों में पीलापन (पीलिया)
गहरे रंग का मूत्र और हल्के रंग का मल
त्वचा पर खुजली और नींद जैसा महसूस होना
याददाश्त में कमी (गंभीर अवस्था में)
बचाव के उपाय | Covid-19
सदा उबला या फिल्टर किया हुआ स्वच्छ जल ही पिएं।
खुले या अस्वच्छ स्थानों का भोजन न करें।
हेपेटाइटिस बी और ए के लिए टीके (वैक्सीन) उपलब्ध हैं, जिनका समय पर सेवन सुरक्षित बनाता है।
संक्रमित व्यक्ति के व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं जैसे टूथब्रश, रेजर इत्यादि साझा न करें।
गर्भवती महिलाओं को हेपेटाइटिस बी की जांच अवश्य करानी चाहिए।
ताजा और स्वच्छ भोजन ग्रहण करें, और डॉक्टर की सलाह से ही दवाइयां व आहार अपनाएं।
निष्कर्ष
हेपेटाइटिस एक गंभीर लेकिन रोके जा सकने वाला रोग है। यदि इसके प्रति जागरूकता और सतर्कता बरती जाए, तो इसे समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है। लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें और नियमित जांच करवाना न भूलें।