SYL Canal: नई दिल्ली, सच कहूँ/अश्वनी चावला। सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और हरियाणा सीएम की केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अगुआई में मीटिंग हुई। बैठक में भगवंत मान ने कहा कि उन्हें पानी देने में कोई दिक्कत नहीं, लेकिन शर्त ये है कि पहले पंजाब को रावी का पानी मिले।
मान ने कहा कि एसवाईएल पर पंजाब का स्पष्ट रूख है कि ये नहीं बनेगी। हरियाणा हमारा भाई है, हमें पानी मिलने पर आगे पानी सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है। मीटिंग से पहले सीएम मान और सीएम सैनी ने गले मिलकर एक-दूसरे का
स्वागत किया। मान ने मीटिंग के बाद मीडिया से कहा कि बातचीत बहुत अच्छे माहौल में हुई है। हरियाणा सीएम ने भी कहा कि मीटिंग सार्थक रही। पंजाब-हरियाणा दोनों भाई हैं। दोनों का एक ही बेहड़ा (आंगन) है। इस मुद्दे का रास्ता निकालने का काम किया जा रहा है। पंजाब के सीएम ने कहा कि मीटिंग से एक उम्मीद बनी है।
पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान से रद्द हुआ इंडस वाटर समझौते का पानी पंजाब लाया जाए। झेलम का पानी पंजाब नहीं आ सकता है, लेकिन चिनाब और रावी का पानी आ सकता है। पौंग, रंजीत सागर डैम और भाखड़ा डैम में होते हुए ये पानी आ सकता है। हमें उस पानी को आगे हरियाणा को देने से क्या दिक्कत है? हरियाणा तो हमारा भाई है। हम भाई कन्हैया के वारिस हैं, जिन्होंने दुश्मनों को पानी पिलाया था। मैंने मंत्री साहब से कहा कि 23 मिलियन लीटर फीट (एमएएफ) पानी वहां से जाएगा। हम तो दो-तीन एमएएफ के लिए लड़ रहे हैं, तो हमें क्या दिक्कत रह जाएगी? दो-चार नहरें पंजाब में बन जाएंगी। इससे पंजाब फिर से रिपेरियन बन जाएगा। उनकी बात पर मंत्री पाटिल ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। SYL Canal
इससे पहले की बैठकें बिना नतीजे रही थीं। 212 किलोमीटर लंबी इस नहर में हरियाणा का 92 किलोमीटर हिस्सा बन चुका है, जबकि पंजाब के 122 किलोमीटर हिस्से का निर्माण अब तक अधूरा है। यह मीटिंग 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले दोनों राज्यों के बीच सहमति बनाने की कोशिश है। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2002 में हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था और पंजाब को नहर निर्माण का आदेश दिया था, लेकिन 2004 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में कानून पास कर 1981 के समझौते को रद्द कर दिया था।