
Coin Note UPI: आज के डिजिटल युग में हम बगैर नकद के किसी भी चीज़ की खरीदारी कर सकते हैं — चाहे चाय हो, सब्ज़ी हो या फिर महंगी से महंगी शॉपिंग। बस मोबाइल उठाइए, क्यूआर कोड स्कैन करिए और भुगतान हो गया। ये सब संभव हुआ UPI की वजह से।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस पैसे को हम इतना आसान समझते हैं, उसका इतिहास क्या है? भारत में पहला सिक्का कब बना, पहला नोट कब छपा, आरबीआई कब बना? अगर नहीं पता, तो चलिए हम बताते हैं — फ्लाइंग मनी से लेकर डिजिटल करेंसी तक का सफर।
भारतीय मुद्रा: हजारों साल पुराना इतिहास | COIN NOTE UPI
भारतीय मुद्रा यानी इंडियन करेंसी का इतिहास बेहद पुराना और समृद्ध है। समय के साथ मुद्रा का रूप और लेन-देन का तरीका लगातार बदला। जहां कभी धातु के सिक्के चला करते थे, वहीं आज डिजिटल ट्रांजैक्शन आम हो चुका है।
UPI: डिजिटल लेन-देन की क्रांति
साल 2016 के अगस्त महीने में, भारत ने डिजिटल लेन-देन के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम रखा। RBI और इंडियन बैंक एसोसिएशन की निगरानी में, नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI (Unified Payments Interface) की शुरुआत की।
पायलट प्रोजेक्ट और विस्तार
तब के आरबीआई गवर्नर डॉ. रघुराम राजन के कार्यकाल में, इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली, मुंबई, भुवनेश्वर और बेंगलुरु में शुरू किया गया। इसके बाद पूरे देश में इसका विस्तार हुआ।
कोरोना के बाद तेजी से बढ़ा इस्तेमाल
शुरुआत में UPI का प्रयोग सीमित था, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने नकद लेन-देन से दूरी बना ली और UPI की ओर रुख किया। आज यह दुनिया का सबसे तेज़ और सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला डिजिटल पेमेंट सिस्टम बन गया है।
भारत में पहला सिक्का कब चला?
भारत में पहले सिक्के का जिक्र महाजनपद काल (600 ईसा पूर्व – 300 ईसा पूर्व) में मिलता है। इन्हें पंचमार्क्ड कॉइन्स कहा जाता था और ये तांबे, चांदी और सोने से बने होते थे। इन पर विभिन्न प्रतीक चिह्न बने होते थे।
ईस्ट इंडिया कंपनी के सिक्के
आधुनिक भारतीय सिक्कों की शुरुआत 19 अगस्त 1757 को हुई जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में एक रुपये का सिक्का ढाला। यह सिक्का प्लासी की लड़ाई जीतने के बाद कंपनी को मिला अधिकार प्राप्त कर ढाला गया था।
स्वतंत्र भारत के सिक्के
1950 में भारत ने आज़ादी के बाद अपना पहला सिक्का ढाला। इससे पहले तक ब्रिटिश भारत के सिक्के ही प्रचलन में थे।
पहला कागज का नोट कब छपा?
15 अगस्त, 1949 को भारत सरकार ने पहला भारतीय नोट जारी किया। इस नोट पर ‘भारत सरकार’ लिखा था और अशोक स्तंभ का चित्र था। यह 1 रुपये का नोट था और इस पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर थे।
RBI द्वारा जारी किए गए नोट | COIN NOTE UPI
26 जनवरी 1950 को भारत के गणराज्य बनने के बाद RBI ने Republic Series नामक नोटों की सीरीज़ जारी की। इसमें 2, 5, 10 और 100 रुपये के नोट शामिल थे।
बड़े मूल्य के नोटों की शुरुआत
1954 में 1000 रुपये का नोट
1975 में 50 रुपये का नोट
2000 में 500 रुपये का नोट
2016 में 2000 रुपये का नोट जारी हुआ (अब बंद)
आज़ादी से पहले ब्रिटिश नोट
भारत में पहला सरकारी नोट 1861 में Paper Currency Act के तहत ब्रिटिश सरकार ने जारी किया था। यह 10 रुपये का नोट था जिस पर रानी विक्टोरिया की तस्वीर थी।
भारत में किन-किन बैंकों ने नोट छापे?
बैंक ऑफ हिंदोस्तान
भारत में कागज़ी मुद्रा सबसे पहले 1770 में बैंक ऑफ हिंदोस्तान ने जारी की थी।
अन्य बैंक
1773 में जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार
बैंक ऑफ कलकत्ता
बैंक ऑफ बॉम्बे
बैंक ऑफ मद्रास
1861 के बाद इन बैंकों से नोट छापने का अधिकार छीन लिया गया और सिर्फ प्रेसीडेंसी बैंक को यह कार्य करने की अनुमति मिली।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना
RBI की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिश पर, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत की गई थी।
हेड ऑफिस की स्थिति
शुरुआत में हेड ऑफिस कोलकाता में था, जिसे बाद में मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया।
राष्ट्रीयकरण
RBI शुरू में एक प्राइवेट बैंक था जिसे 1 जनवरी 1949 को भारत सरकार ने राष्ट्रीयकृत कर लिया।
क्या भारत में कभी ₹10,000 का नोट चला?
पहली बार 1938 में जारी हुआ
RBI ने 1938 में पहली बार ₹10,000 का नोट जारी किया। इसे जनवरी 1946 में बंद कर दिया गया।
दोबारा 1954 में लौटा
1954 में यह नोट फिर से प्रचलन में आया लेकिन 1978 में इसे स्थायी रूप से बंद कर दिया गया।
RBI अधिकतम कितने रुपये का नोट जारी कर सकता है?
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 24 के अनुसार, RBI 2 रुपये से ₹10,000 तक के नोट जारी कर सकता है।
₹10,000 से अधिक का नोट तभी जारी हो सकता है जब केंद्र सरकार विशेष निर्देश दे और केंद्रीय बोर्ड सिफारिश करे।
दुनिया में मुद्रा की शुरुआत कब हुई?
मुद्रा का आविष्कार किसी एक व्यक्ति ने नहीं किया, यह एक धीरे-धीरे विकसित हुई अवधारणा है। दुनिया का पहला सिक्का करीब 600 ईसा पूर्व में लिडिया (मौजूदा तुर्की) के राजा एलियट्स के शासन में ढाला गया था।
ये सिक्के इलेक्ट्रम (सोना और चांदी का मिश्रण) से बनाए गए थे।
भारत में भी इसी दौर में पंच-चिह्नित सिक्के चलन में आए।
कागज की मुद्रा (पेपर मनी)
कागज़ी मुद्रा की शुरुआत चीन में 7वीं से 10वीं शताब्दी के दौरान हुई।
तब इसे ‘फ्लाइंग मनी’ कहा जाता था।
सही अर्थों में नोट का चलन सांग वंश (960–1279 ई.) के दौरान शुरू हुआ।
मंगोल सम्राट कुबलई खान ने 13वीं सदी में इस मुद्रा को और लोकप्रिय बनाया।
1661 में स्वीडन की एक बैंक ने सबसे पहला आधुनिक कागज का नोट जारी किया।
जब मुद्रा नहीं थी, तब व्यापार कैसे होता था?
वस्तु विनिमय प्रणाली
मुद्रा के आविष्कार से पहले दुनिया भर की रियासतों और सभ्यताओं में वस्तु विनिमय प्रणाली का प्रयोग होता था।
अनाज के बदले पशु
मसालों के बदले वस्त्र
सेवा के बदले भोजन, कपड़े या आवास
व्यापार एक सीधे आदान-प्रदान के माध्यम से किया जाता था, जिसे हम आज Barter System के नाम से जानते हैं।
उड़ती हुई मुद्रा से UPI तक
भारत में मुद्रा का इतिहास केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक विकास की कहानी भी है।
पंच-चिह्नित सिक्कों से लेकर डिजिटल करेंसी तक, भारतीय मुद्रा का सफर हजारों सालों की प्रगति और नवाचार का प्रमाण है।
आज जब हम बस एक क्लिक में UPI से भुगतान करते हैं, तो यह तकनीक की शक्ति और हमारे आर्थिक ढांचे की मजबूत नींव का प्रतीक है। वहीं भविष्य में यह सफर और भी रोमांचक होगा, डिजिटल रूपयों और ग्लोबल पेमेंट सिस्टम की ओर। COIN NOTE UPI
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