
Transport workers strike: बेंगलुरु। कर्नाटक में राज्य परिवहन निगमों के कर्मचारियों द्वारा 5 अगस्त से शुरू की गई अनिश्चितकालीन हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। राज्य भर में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं, जिससे आम नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। Karnataka transport news
कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) और उत्तर-पश्चिम कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (एनडब्ल्यूकेआरटीसी) की अधिकांश बसें मंगलवार को सड़कों पर नहीं दिखीं। धारवाड़, हुबली, गडग और मांड्या सहित कई जिलों में बस स्टैंडों पर यात्री घंटों इंतजार करते नजर आए। ग्रामीण क्षेत्रों से आए अनेक लोग, हड़ताल की जानकारी न होने के कारण, बस अड्डों पर असमंजस की स्थिति में बैठे रहे।
हुबली और धारवाड़ जिलों में बीआरटीएस सेवाएं भी पूरी तरह से बंद रहीं। गडग जिले में एनडब्ल्यूकेआरटीसी की 561 बसें जो प्रतिदिन आठ डिपो से संचालित होती थीं, वे भी ठप रहीं। यात्रियों को वैकल्पिक रूप से निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
प्रशासन की अपील और तैयारी | Transport workers strike
एनडब्ल्यूकेएसआरटीसी की प्रबंध निदेशक एम. प्रियंगा ने कहा है कि यात्रियों को कम से कम असुविधा हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने हड़ताल को अनुचित बताते हुए कहा कि परिवहन एक आवश्यक सेवा है और कर्मचारी इसे बाधित न करें। उन्होंने यह भी स्मरण दिलाया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय का आदेश इस संबंध में स्पष्ट है और सरकार पहले ही सकारात्मक पहल कर चुकी है।
परिवहन कर्मचारी संघ का कहना है कि उन्हें पिछले 38 महीनों का लंबित वेतन भुगतान चाहिए और 1 जनवरी 2024 से वेतन में वृद्धि लागू की जाए। सरकार और कर्मचारी संघ के बीच बातचीत जारी है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने सोमवार को कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी, किंतु वार्ता विफल रही। हड़ताल के कारण स्कूल, कार्यालय और अन्य आवश्यक सेवाओं पर असर पड़ा है। अब देखना यह है कि यह गतिरोध कब तक बना रहता है और समाधान की दिशा में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं। Karnataka transport news