छछरौली, सच कहूं राजेंद्र कुमार। साढ़े 17 साल की उम्र में आर्मी में भर्ती होने वाले हवलदार विजेंद्र संधू को पैतृक गांव लेदा खादर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। जब 11 बजे गांव में विजेंद्र का पार्थिव शरीर पहुंचा तो पूरा क्षेत्र विजेंद्र संधू अमर रहे के नारों से गूंज उठा। लेदा खादर व आस-पास के गांव के युवा पहले ही इंतजार में खड़े थे। जैसे ही सेना का वाहन पार्थिव शरीर लेकर लेदी पहुंचा तो युवा साथ-साथ लेदा खादर तक पहुंचे और अंतिम दर्शन के बाद अंतिम विदाई दी। इस दौरान एसडीएम छछरौली रोहित कुमार, बीडीपीओ कार्तिक चौहान, सैनिक वेलफेयर बोर्ड के वेलफेयर ऑर्गेनाइजर रणजीत सिंह, हैड क्लर्क राकेश कुमार यादव भी मौजूद रहे। सेना के उच्च अधिकारी के साथ 8 जवानों ने विजेंद्र संधू को सैनिक सम्मान के साथ अंतिम सलामी दी।
छछरौली के एसडीएम रोहित कुमार ने बताया कि विजेंद्र 19 जुलाई को छुट्टी पर घर आया था। परिजनों को उसकी तबीयत ठीक नहीं लगी तो उसका चैकअप करवाया गया। डॉक्टर्स ने विजेंद्र को काला पीलिया से ग्रस्त होने की पुष्टि की जिसके बाद परिजनों ने उसे पंचकूला कमांड अस्पताल में भर्ती करवाया। वहां भी हालात बिगड़ते देख परिजन उसे दिल्ली के आर.आर. अस्पताल में ले गए जहां सोमवार की दोपहर 3 बजे विजेंद्र ने अंतिम सांस ली। मंगलवार को 11 बजे विजेंद्र का पार्थिव शरीर पैतृक गांव लेदा खादर पहुंचा जिसके बाद उनका सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। गौरतलब है कि विजेंद्र संधू आर्मी की 24-जाट रेजिमेंट में हवलदार के पद पर थे। वह महज साढ़े 17 साल की उम्र में सेना में भर्ती हो गए थे। उन्होंने लगभग 15 साल तक सेना में सेवाएं दी। वह अंतिम बार छुट्टी पर आने से पहले अरुणाचल प्रदेश में तैनात थे।
छछरौली के एसडीएम ने बताया कि विजेंद्र संधू के पिता यशपाल सिंह भी सेना में जेसीओ के पद पर सेवाएं देकर रिटायर हुए थे और उसके बाद रेलवे में कुछ साल नौकरी की। नौकरी पीरियड के दौरान उनका देहांत हो गया था अब उनकी जगह विजेंद्र संधू का छोटा भाई सचिन संधू रेलवे में कार्यरत है। अब स्वर्गीय विजेंद्र संधू के परिवार में मां अंगूरी देवी, पत्नी मीनाक्षी, बेटी पवित्र, बेटी गुरनूर और भाई सचिन संधू रह गए हैं।