India engineering workforce 2028: एआई, डेटा साइंस, ईवी और सेमीकंडक्टर सेक्टर में बढ़ी नौकरियाँ

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India engineering workforce 2028: नई दिल्ली। एक ताज़ा आकलन के अनुसार, भारत के टियर-2 और टियर-3 नगर आने वाले वर्षों में देश की इंजीनियरिंग कार्यशक्ति को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। रिपोर्ट में उल्लेख है कि पारंपरिक महानगरों से बाहर नये शैक्षणिक संस्थान, तकनीकी पार्क और कौशल विकास केंद्र तीव्र गति से स्थापित हो रहे हैं। अनुमान है कि वर्ष 2028 तक उन्नत श्रेणी के भारतीय अभियंताओं में से लगभग 35 प्रतिशत इन नगरों से आएंगे। India engineering workforce

जयपुर, वडोदरा, कोयंबटूर, कोच्चि, पुणे और इंदौर जैसे नगर कम लागत पर उच्च दक्षता वाली प्रतिभा उपलब्ध कराने के कारण उद्योगों को आकर्षित कर रहे हैं। वर्तमान में देश प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख इंजीनियर तैयार करता है, जिनमें यांत्रिक, सिविल, सूचना प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर और विनिर्माण जैसे क्षेत्र सम्मिलित हैं। तथापि, इनमें से केवल 45 प्रतिशत ही उद्योग की मान्यताओं पर खरे उतरते हैं, जबकि लगभग 60 से 72 प्रतिशत आंशिक रूप से रोजगार योग्य माने जाते हैं।

नवप्रवर्तित क्षेत्रों में कौशल का अभाव चुनौती बनकर सामने आया

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान, विद्युत वाहन और अर्धचालक जैसे नवप्रवर्तित क्षेत्रों में कौशल का अभाव चुनौती बनकर सामने आया है। आकलन में यह भी रेखांकित किया गया है कि आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार से प्रेरित होगी। अनुमान है कि लगभग 70 प्रतिशत नयी नौकरियों के लिए एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियंत्रण और गणित) संबंधी दक्षताओं की आवश्यकता होगी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डेटा इंजीनियरिंग, एम्बेडेड प्रणाली और नैतिक एआई शासन जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता विशेष महत्व रखेगी।

अनुमान है कि वर्ष 2026 तक देश को 10 लाख एआई प्रशिक्षित अभियंताओं की आवश्यकता होगी, जबकि वर्तमान में उपलब्धता मात्र 20 प्रतिशत है। इसी प्रकार, विद्युत वाहन उद्योग 30 से 40 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर से आगे बढ़ रहा है और वर्ष 2030 तक इसमें बैटरी तकनीक, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सतत डिज़ाइन जैसे क्षेत्रों में 10 से 20 लाख अभियंताओं की मांग होगी।

भारत द्वारा विकसित स्वदेशी 32-बिट सूक्ष्मप्रोसेसर “विक्रम 3201” आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। इसके बाद सेमीकंडक्टर उद्योग में भी नए अवसर उत्पन्न हुए हैं। अनुमान है कि चिप डिज़ाइन, प्रक्रिया अभियंत्रण और परीक्षण के लिए देश को प्रतिवर्ष 25 से 30 हज़ार विशेषज्ञ अभियंताओं की आवश्यकता होगी। India engineering workforce