ई-गांव की मिसाल बना ‘घोटडू’, तकनीक व स्वच्छता में अव्वल

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Bhuna News: ई-गांव की मिसाल बना 'घोटडू', तकनीक व स्वच्छता में अव्वल

अब गांव में केवल नहरी जलघर की दरकार

  • गांव जो कभी बीमारी से बदनाम था, आज बना पहचान का प्रतीक

भूना (सच कहूँ/संगीता रानी)। Bhuna News: भूना ब्लॉक का छोटा-सा गांव ‘घोटडू’ अब पूरे फतेहाबाद जिले के लिए मिसाल बन चुका है। महज 1530 की आबादी वाले इस गांव ने वो कर दिखाया है, जो कई बड़े गांव और कस्बे अब तक सोच ही रहे हैं। ई-लाइब्रेरी, वाई-फाई, सीसीटीवी कैमरे, स्ट्रीट लाइट, और इंटरलॉकिंग गलियां—ये सभी सुविधाएं आज इस गांव को ‘स्मार्ट विलेज’ की श्रेणी में लाकर खड़ा कर चुकी हैं। Bhuna News

करीब 300 साल पहले ‘गलघोटू’ नाम से पुकारे जाने वाले इस गांव का इतिहास बीमारी से जुड़ा हुआ है। गलघोटू बीमारी के प्रकोप से गांव की पहचान एक डरावने नाम से होने लगी थी। लेकिन समय के साथ, गांव के नाम के साथ-साथ उसकी किस्मत भी बदली। 1992 में जब इसे स्वतंत्र पंचायत का दर्जा मिला, तब से इस गांव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज ये गांव ‘घोटडू’ नाम से विकास की नई इबारत लिख रहा है।

विकास की दौड़ में सबसे आगे, लेकिन अब भी कुछ जरूरतें बाकी

आज गांव में सफाई व्यवस्था से लेकर हरियाली तक की मिसाल पेश की जा रही है। अमृत सरोवर, महिला चौपाल, और गांव की फिरनी पर पौधारोपण ने पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता को दिखाया है। फिरनी और गलियों में इंटरलॉकिंग टाइल्स, हर घर में बिजली-पानी की सुविधा, और सीसीटीवी निगरानी—ये सब गांव को एक आदर्श मॉडल बना रहे हैं।

लेकिन इस चमक के बीच एक महत्वपूर्ण आवश्यकता अब भी अधूरी है—नहरी जलघर। वर्तमान में गांव की जलापूर्ति बोरिंग के जरिए की जा रही है, लेकिन इसकी गुणवत्ता लंबे समय तक भरोसेमंद नहीं रह सकती। गांव के सरपंच गुलाब शर्मा और नंबरदार राजेश शर्मा इस दिशा में प्रशासन से लगातार मांग कर रहे हैं कि गांव को नहरी पेयजल योजना से जोड़ा जाए।

शिक्षा और सड़कों पर भी उठी आवाज | Bhuna News

घोटडू गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय को मिडिल स्कूल का दर्जा दिलवाने की मांग भी लंबे समय से उठ रही है। इसके साथ ही, घोटडू-हसंगा संपर्क मार्ग को 18 फुट चौड़ा किए जाने की मांग भी पंचायत द्वारा प्रशासन तक पहुंचाई जा चुकी है।

धार्मिक सौहार्द की मिसाल

घोटडू न सिर्फ तकनीक और स्वच्छता में आगे है, बल्कि धार्मिक भाईचारे की भी मिसाल बन चुका है। गांव में हनुमान मंदिर, गुरुद्वारा साहिब, और लाला वाले पीर की दरगाह मौजूद हैं। यहां हर धर्म और जाति के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। साल में एक बार पीर की दरगाह पर भव्य मेला भी आयोजित होता है, जिसमें सभी समुदायों के लोग शामिल होते हैं।

सामूहिक सहमति से चलते हैं फैसले

गांव में 6 जातियों के 731 पक्के मतदाता हैं। यहां की सबसे बड़ी खासियत ये है कि पंचायत स्तर पर भी फैसले सामूहिक सहमति से लिए जाते हैं। यही कारण है कि गांव में आपसी सौहार्द और सामाजिक एकता मजबूत है।

मुख्य तथ्य-एक नजर में
विशेषता विवरण
जनसंख्या: 1530 लोग
मतदाता:731
जिला मुख्यालय से दूरी:
28 किलोमीटर
कनेक्टिविटी केवल सड़क मार्ग (रेल सुविधा नहीं)
प्रसिद्ध स्थल: हनुमान मंदिर,
गुरुद्वारा साहिब, लाला वाले पीर
गांव का रकबा: 805 एकड़
मुख्य फसलें धान: नरमा, मूंग, गन्ना
आज जरूरत है सिर्फ सरकारी सहयोग की
घोटडू गांव ने यह साबित कर दिया है कि अगर नेतृत्व ईमानदार हो और जनता साथ दे, तो विकास कोई मुश्किल काम नहीं। अब बस जरूरत है तो सरकार के उस एक कदम की, जिससे गांव को नहरी जलघर, बेहतर शिक्षा सुविधाएं, और मजबूत सड़क कनेक्टिविटी मिल सके।

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