हरि सिंह इन्सां ने अपने शरीरदान का लिया हुआ था संकल्प
- बेटियों, पुत्रवधू और पौत्रवधू ने दिया अर्थी को कंधा
गुहला चीका/कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Guhla Cheeka News: ब्लॉक गुहला के गांव थेह बुटाना निवासी डेरा प्रेमी हरि सिंह इन्सां (94 वर्ष) ने अपनी सांसारिक यात्रा पूर्ण करने के बाद मानवता की सेवा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। परिजनों ने उनकी अंतिम इच्छानुसार उनका शरीरदान किया। यह शरीरदान डेरा सच्चा सौदा द्वारा किए जा रहे 170 मानवता भलाई कार्यों में शामिल “अमर सेवा मुहिम” के तहत किया गया। हरि सिंह इन्सां थेह बुटाना गांव के पहले शरीरदानी बने। Body Donation
हरि सिंह इन्सां को मंगलवार को अचानक हार्ट अटैक आया। उन्होंने 1995 में पूज्य गुरु संत डॉ एमएसजी से गुरुमंत्र की अनमोल दात प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने लंबे समय तक सामान समिति में सेवा की। मरणोपरांत भी यह नश्वर शरीर किसी के काम आए- पूज्य गुरु जी की इसी पावन सोच से प्रेरित होकर हरि सिंह ने भी अपने शरीरदान का संकल्प लिया हुआ था। इसी भावना के अनुरूप उनका शरीरदान किया गया, जिससे भविष्य में मेडिकल छात्रों और जरूरतमंदों को लाभ मिल सके।
हरि सिंह इन्सां की पार्थिव देह को वर्ल्ड कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस एंड हॉस्पिटल झज्जर, हरियाणा को दान किया। इस दौरान साध संगत और सेवादारों ने अरदास बोली और ‘शरीरदानी हरि सिंह इन्सां अमर रहें’ और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, हरि सिंह इन्सां तेरा नाम रहेगा’ ‘शरीरदान – महादान जैसे गगनभेदी नारों के साथ अंतिम विदाई दी।।
इस अवसर पर ग्रामीण, परिजन, रिश्तेदार, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर कमेटी के सदस्य, विभिन्न सच्ची प्रेमी समितियों के सदस्य, सच्चे नम्र सेवादार तथा बड़ी संख्या में साध संगत उपस्थित रही। सभी ने उनके मानवता से जुड़े इस निर्णय की सराहना की।
बेटियों, पुत्रवधू और पौत्रवधू ने दिया अर्थी को कंधा | Body Donation
डेरा सच्चा सौदा की एक और मुहिम बेटा बेटी एक समान को आगे बढ़ाते हुए हरि सिंह इन्सां की बेटियों, पुत्रवधू और पौत्रवधू निर्मल कौर, जसविंदर कौर, जसबीर कौर, जसपाल कौर और मनजिंदर कौर ने अर्थी को कंधा दिया।
अब तक हो चुके है हजारों शरीरदान
मौके पर मौजूद सच्चे नम्र सेवादार ने बताया कि अमर सेवा मुहिम के अंतर्गत अब तक डेरा सच्चा सौदा के हजारों श्रद्धालु शरीरदान कर चुके हैं, जो समाज में जागरूकता और सेवा भावना को बढ़ावा दे रहे हैं। इस तरह के कार्य न केवल वैज्ञानिक और शैक्षणिक क्षेत्र में सहायक होते हैं, बल्कि समाज को भी सकारात्मक दिशा देते हैं।
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