आयुर्वेदिक दिनचर्या: स्वस्थ जीवन के लिए प्राचीन नियम

Health News
Health News: स्वस्थ जीवन के लिए प्राचीन नियम

Health News: आधुनिक जीवनशैली में भागदौड़, तनाव और अनियमित दिनचर्या के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। आयुर्वेद, जो कि एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, जीवन को संतुलित और स्वस्थ रखने के लिए विशिष्ट दिनचर्या का पालन करने की सलाह देता है। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी बनाए रखने में सहायक होता है। हमारी सहयोगी पंजाबी वेबसाइट के माध्यम से आइए जानें कि एक आदर्श आयुर्वेदिक दिनचर्या कैसी होनी चाहिए और इसके क्या लाभ हैं।

ब्रह्म मुहूर्त में जागरण (सुबह जल्दी उठना)
समय: सुबह 2:00 बजे से 5:00 के बीच।
लाभ: शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
मन शांत रहता है व एकाग्रता बढ़ती है।
आयुर्वेद के अनुसार, इस समय वातावरण में प्राणवायु (आॅक्सीजन) अधिक मात्रा में होती है, जो श्वसन प्रणाली के लिए लाभदायक होती है। ऐसे में प्राणायाम के साथ ध्यान करना अति उत्तम है।

ब्रह्म मुहूर्त में जागने के बाद क्या करें?

1. अपनी जीभ साफ करें: तांबे या स्टील की जीभ साफ करने वाली जिव्हानिर्लेखन का प्रयोग करें। यह टॉक्सिन्स (आमा) को निकालने में मदद करता है।

2. गुनगुना पानी पिएं: इससे पाचन तंत्र सक्रिय होता है और पेट साफ रहता है।

3. तेल से कुल्ला (आॅयल पुलिंग): तिल या नारियल के तेल से कुल्ला करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।

मल त्याग और शरीर शुद्धि | Health News

सुबह शौच जाना शरीर की प्राकृतिक क्रिया है। कब्ज जैसी समस्याओं से बचने के लिए रात में हल्का और सुपाच्य भोजन करें।

टिप्स: पेट साफ रखने के लिए गुनगुने पानी में नींबू और शहद डालकर पी सकते हैं। त्रिफला चूर्ण या आंवला का सेवन करने से भी पाचन तंत्र मजबूत रहता है।

ध्यान और योग

समय: सुबह 6 से 7 बजे के बीच
लाभ: शरीर में रक्त संचार सुधरता है और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ती है। मानसिक तनाव कम होता है।
क्या करें: सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें। हल्के व्यायाम या टहलना भी फायदेमंद होता है।

स्नान (अभ्यंग और शारीरिक शुद्धि)

समय: व्यायाम के बाद या सूर्योदय के तुरंत बाद स्नान करना अच्छा होता है।
लाभ: शरीर शुद्ध होता है और मन तरोताजा रहता है। रक्त संचार बेहतर होता है। थकान और तनाव कम होता है।

आयुर्वेदिक स्नान के नियम:

1. नहाने से पहले तिल या नारियल के तेल की मालिश करें (अभ्यंग)।
2. ठंडे या गुनगुने पानी से स्नान करें।
3. हर्बल साबुन या उबटन का उपयोग करें।
4. सिर पर कभी गर्म पानी न डालें।

पौष्टिक व संतुलित नाश्ता | Health News

समय: सुबह 8:00 से 9:00 बजे
क्या खाएं: अंकुरित अनाज, ताजे फल, दूध और घी युक्त खाना लें।
गरम पानी या हर्बल चाय का सेवन करें। चाय या कॉफी का अत्यधिक सेवन न करें।

कार्य व दोपहर का भोजन

समय: दोपहर 12:00 से 1:30 बजे के बीच
क्या खाएं: संतुलित आहार जिसमें दाल, चावल, रोटी, सब्जियां हो।
खाने के तुरंत बाद पानी न पिएं, एक घंटें का अंतर रखें।

दोपहर के बाद हल्का विश्राम (पावर नैप)

15-20 मिनट तक आराम करें। दोपहर में गहरी नींद न लें, यह सुस्ती बढ़ा सकती है।

शाम को हल्का व्यायाम या सैर

समय: सूर्यास्त से पहले या बाद में हल्की वॉक करें।
लाभ: पाचन में सहायता करता है।
मन को शांति देता है और तनाव कम करता है।

रात्रि भोजन

समय: सूर्यास्त से पहले भोजन करना सबसे उचित समय है।
क्या खाएं: हल्का और सुपाच्य भोजन लें, जैसे खिचड़ी, दलिया, हरी सब्जियां। रात में दही, भारी भोजन या तला-भुना खाना न खाएं। खाने के बाद 10-15 मिनट टहलें।

सोने से पहले नियम

समय: रात 10:00 बजे तक सो जाना चाहिए।
क्या करें: अच्छी किताब पढ़ें व सुमिरन करें। फोन और टीवी से दूरी बनाएं। तिल के तेल से पैरों की मालिश करें, इससे नींद अच्छी आती है।

गरम दूध में हल्दी मिलाकर पीना लाभदायक होता है।

आयुर्वेदिक दिनचर्या का पालन करने से शरीर और मन स्वस्थ रहता है। नियमित दिनचर्या अपनाने से जीवनशैली संतुलित होती है और बीमारियों से बचाव होता है। Health News

यह भी पढ़ें:– Haryana News: सीएम सैनी का बड़ा ऐलान, हरियाणा की इन महिलाओं के खाते में आएंगे 2100 रुपये हर महीने