Career: बागपत] संदीप दहिया। देश का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी में बसता है, और इस युवा शक्ति को सही दिशा देना आज के समय की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुकी है। शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे ही एक प्रेरणास्रोत हैं डॉ. प्रदीप कुमार, जो न केवल श्रीराम IAS एकेडमी के संस्थापक हैं, बल्कि एक संवेदनशील और समर्पित काउंसलर भी हैं। उनका लक्ष्य सिर्फ छात्रों को UPSC या किसी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा की तैयारी कराना नहीं है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी मज़बूत बनाना है, ताकि वे जीवन के हर मोड़ पर आत्मविश्वास के साथ खड़े रह सकें।
सही मार्गदर्शन का संबल | Career
डॉ. कुमार का करियर काउंसलिंग का तरीका पारंपरिक ढांचे से बिल्कुल अलग है। वह सिर्फ छात्रों की रूचियों और क्षमताओं पर ध्यान नहीं देते, बल्कि उन्हें भविष्य के संभावित करियर विकल्पों से भी जोड़ते हैं। उनके मार्गदर्शन में सैकड़ों छात्र आज देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ रहे हैं या कार्यरत हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर छात्रों को सही समय पर सही दिशा दी जाए, तो वे असंभव को भी संभव बना सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की पैरवी
आज के प्रतिस्पर्धात्मक दौर में छात्रों पर पढ़ाई, करियर और सामाजिक अपेक्षाओं का जबरदस्त दबाव होता है। डॉ. कुमार इस दबाव को अच्छी तरह समझते हैं और इसलिए उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को भी शिक्षा जितनी ही प्राथमिकता दी है। उन्होंने परीक्षा तनाव, निम्न आत्मविश्वास, डिजिटल लत, और परिवारिक दबाव जैसे मुद्दों पर केंद्रित अनेक काउंसलिंग और थेरेपी सत्र आयोजित किए हैं।
माता-पिता और शिक्षकों के लिए कार्यशालाएं
केवल छात्रों को मार्गदर्शन देना ही पर्याप्त नहीं होता। इसलिए डॉ. कुमार ने शिक्षकों और अभिभावकों को भी शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने “संवेदनशील पालन-पोषण” और “छात्र व्यवहार की समझ” जैसे विषयों पर कई कार्यशालाएं आयोजित की हैं, जिससे शिक्षा समुदाय में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहारिक समझ को लेकर जागरूकता बढ़ी है।
महामारी के दौरान बना सहारा
जब COVID-19 महामारी ने दुनिया को रोक दिया और छात्रों की मानसिक स्थिति सबसे अधिक प्रभावित हुई, तब डॉ. कुमार एक मजबूत सहारा बनकर उभरे। उन्होंने ऑनलाइन काउंसलिंग, वेबिनार, और इंटरेक्टिव सत्रों के माध्यम से हज़ारों छात्रों और अभिभावकों को मानसिक राहत दी। उनकी सहानुभूतिपूर्ण संवाद शैली ने छात्रों को यह अहसास दिलाया कि वे अकेले नहीं हैं।
प्रधानमंत्री से मिला सम्मान
डॉ. कुमार की सेवाओं को केवल छात्रों और अभिभावकों ने ही नहीं, बल्कि सरकार ने भी सराहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के दौरान डॉ. कुमार को एक प्रशंसा पत्र भेजकर उनके कार्यों को औपचारिक रूप से सम्मानित किया, जो इस बात का प्रमाण है कि उनका योगदान राष्ट्रीय स्तर पर सराहनीय है।
शिक्षा में परिवर्तन के अग्रदूत
आज जब शिक्षा केवल अंकों और डिग्रियों तक सीमित होती जा रही है, ऐसे समय में डॉ. प्रदीप कुमार जैसे प्रोफेशनल्स छात्रों की मानवता, संवेदनशीलता, और समग्र विकास पर ध्यान देकर नई मिसाल कायम कर रहे हैं। उनके कार्यों से प्रेरित होकर देशभर के कई शिक्षण संस्थानों ने उन्हें नियमित मेंटर और काउंसलर के रूप में नियुक्त किया है।
हार्दिक बच्चा विशेष होता है
डॉ. कुमार का यह विश्वास कि “हर बच्चा विशेष होता है, बस उसे सही समय पर सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है,” आज कई युवाओं की सफलता की कुंजी बन चुका है। शिक्षा विशेषज्ञों और अभिभावकों का मानना है कि अगर हर स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान में डॉ. कुमार जैसे मार्गदर्शक हों, तो देश का भविष्य पहले से कहीं अधिक उज्ज्वल हो सकता है। डॉ. प्रदीप कुमार न केवल एक शिक्षक हैं, बल्कि एक प्रेरणा एक सुनहरा भविष्य गढ़ने वाले शिल्पकार हैं, जो हर छात्र में संभावनाओं की लौ जलाना जानते हैं।