Kurukshetra: देश में छाया, कुरुक्षेत्र का 23 वर्षीय भारत जांगड़ा! जज बन दिया युवाओं को ये संदेश

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Kurukshetra: देश में छाया, कुरुक्षेत्र का 23 वर्षीय भारत जांगड़ा! जज बन दिया युवाओं को ये संदेश

6वां रैंक प्राप्त भारत जांगड़ा ने कहा- सोशल मीडिया से दूरी दिलाएगी सफलता

कुरुक्षेत्र (सच कहूँ/देवीलाल बारना)। कुरुक्षेत्र के 23 वर्षीय भारत जांगड़ा न्यायधीश बने हैं। भारत जांगड़ा ने ऑल इंडिया रैंक में 6वां स्थान पाकर न्यायाधीश बनने के अपने परजिनों के सपनों को साकार कर किया। इस परीक्षा के टॉप 10 में भारत जांगड़ा सहित 9 लड़कियों ने स्थान पाया। भारत जांगड़ा ने स्कूली शिक्षा से लेकर पंजाब यूनिवसिर्टी, चंडीगढ़ तक सभी कक्षाओं में टॉप किया। विशेष बातचीत में भारत जांगड़ा ने कहा कि जीवन में यदि बुलन्दियों के शिखर तक पहुंचना है तो उसके लिए कड़ी मेहनत एवं निरंतर प्रयास करते रहना बहुत आवश्यक है। Kurukshetra News

जीवन में कड़ा परिश्रम एवं सकारात्मकता ही जीवन में सफलता का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि कड़े परिश्रम के साथ-साथ निरंतरता द्वारा अपने लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपने परिवार के सदस्यों एवं गुरुजनों को दिया, जिन्होंने समय-समय पर उनका मार्गदर्शन किया। बता दें कि भारत जांगड़ा के दादा केयू के पूर्व कर्मचारी रोशन लाल गांव किरमच में रहते थे।

भारत जांगड़ा ने बताया कि पढाई के दौरान उसने सोशल मीडिया व मोबाइल से दूरी बनाकर रखी। तभी वे यह अचीवमेंट प्राप्त कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए सोशल मीडिया एवं मोबाइल से दूरी सफलता के लिए जरूरी है। इस दौरान प्रसिद्ध मूर्तिकार एवं उनके पारिवारिक सदस्य मोहन लाल जांगड़ा, तारो देवी व विजय जांगड़ा ने परिवार को बधाई दी एवं स्मृति चिह्न देकर उन्हें सम्मानित किया।

जोधपुर न्यायिक अकादमी में होगा एक वर्ष का प्रशिक्षण | Kurukshetra News

भारत जांगड़ा ने बताया कि राजस्थान के जोधपुर स्थित न्यायिक अकादमी में उन्हें एक वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके बाद सिविल जज (जूनियर डिविजन) सह न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पद पर उन्हें ज्वाइनिंग मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस परीक्षा के प्रथम प्रयास में असफल होने पर उसने हिम्मत नहीं हारी तथा निरंतर कड़ी मेहनत एवं परिश्रम द्वारा दूसरे प्रयास में इसे पास किया।

भारत जांगड़ा ने कहा कि लोकतंत्र में न्याय सर्वोपरि है अर्थात् कानून और न्याय के सामने कोई भी व्यक्ति, पद या प्रभाव बड़ा नहीं होता। उन्होंने कहा कि न्यायालय का पहला और अंतिम कर्तव्य निष्पक्षता, सत्य और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना है। उन्होंने यह भी कहा कि जब समाज को न्याय पर भरोसा होता है, तभी लोकतंत्र मजबूत होता है और आम नागरिक स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है।

माँ के स्नेह में अपार शक्ति

राजस्थान न्यायिक परीक्षा पास कर जज बने भारत जांगड़ा ने कहा कि उनकी प्रथम गुरु उनकी माता ममता जांगड़ा ही हैं, जिनके स्नेह से अपार शक्ति पाकर ही उन्होंने जीवन में छोटी से बड़ी समस्याओं का सामना कर इस सफलता का प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि उनके पिता सोहन लाल जो कि अंबाला में जेल वॉर्डन के पद पर कार्यरत हैं, उन्होंने कभी भी किसी चीज की कमी को महसूस नहीं होने दिया। उनके पिता की कार्य के प्रति सच्ची निष्ठा एवं लगन के बल पर उन्हें 2018 में राष्ट्रपति पदक से सम्मानित भी किया गया था। Kurukshetra News