नई दिल्ली (सच कहूँ/विकास बाघला)। Bhashantara 2025: भारत अब अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल को वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के साथ साझा करने को तैयार है। यह बात इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने FICCI द्वारा आयोजित “Bhashantara 2025” सम्मेलन में कही।
“भारत कर सकता है, तो दुनिया में कहीं भी संभव है”
अपने मुख्य संबोधन में श्री कृष्णन ने कहा कि भारत की भाषा प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी प्रणाली इतनी विविध है कि अगर कोई समाधान भारत में बन सकता है, तो वह विश्व के किसी भी हिस्से में कारगर हो सकता है। उन्होंने Mission Bhashini, Anuvadini जैसे सरकारी कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए बताया कि भारत स्थानीय बोलियों और भाषाओं पर आधारित मल्टीलिंगुअल AI समाधान विकसित कर रहा है।
उन्होंने बताया कि India AI मिशन के तहत एक विशाल डेटा रिपॉजिटरी AI Kosh विकसित की गई है, जिसमें 400 से अधिक डेटाबेस मौजूद हैं – जिसका उद्देश्य शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स को भाषायी AI समाधान विकसित करने में मदद करना है।
प्रारंभिक सत्र: डिजिटल समावेशन की ओर भारत का कदम
कार्यक्रम की शुरुआत FICCI की Multilingual Internet and Universal Acceptance Committee के चेयरमैन डॉ. अजय डाटा के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने बताया कि कैसे भारत की सभी आधिकारिक भाषाओं में डोमेन नाम उपलब्ध कराकर इंटरनेट को अधिक समावेशी बनाया जा रहा है।
इसके बाद Google के APAC रिसर्च एवं AI पार्टनरशिप्स लीड हर्ष धंड ने AI विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला और सरकार से तीन महत्वपूर्ण आग्रह किए:
1. प्रसार भारती और ऑल इंडिया रेडियो जैसे संस्थानों के ऐतिहासिक डाटा को सार्वजनिक किया जाए।
2. “Make in India” को “Made in India by India for India” की दिशा में विस्तारित किया जाए।
3. शोध संस्थानों को एक-दूसरे से जोड़ा जाए ताकि संसाधनों का दोहराव रुके।
BITS Technologies के चेयरमैन और FICCI कमेटी के सह-अध्यक्ष संदीप नुलकर ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि “अब बहुभाषी इंटरनेट एक संभावना नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक आवश्यकता बन चुका है।”
पैनल चर्चा: बहुभाषी AI का भविष्य
एक अन्य महत्वपूर्ण सत्र “Harnessing Large Language Models for Multilingual AI” की अध्यक्षता Boston Consulting Group के VP AI मनील गुप्ता ने की।
इस सत्र में इन प्रमुख विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया:
• शर्मिष्ठा दासगुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर जनरल, NIC
• डॉ. बुद्ध चंद्रशेखर, CEO, Anuvadini AI
• डॉ. अजय डाटा, CEO, Data Xgen
• प्रो. पुष्पक भट्टाचार्य, IIT बॉम्बे
• अंकित प्रसाद, CEO, Bobble AI
• संजय कृषेन, रीजनल डायरेक्टर, Intel APAC
सभी ने AI में भारतीय भाषाओं की क्षमताओं, LLMs के इस्तेमाल और सार्वजनिक-निजी भागीदारी की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
वॉयस और वर्नाक्युलर की शक्ति
Bhashini के CEO अमिताभ नाग ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि आने वाला डिजिटल युग “वॉयस और वर्नाक्युलर” आधारित होगा। ऐसे AI समाधान जो भारतीय भाषाओं में काम करें, देश के कोने-कोने तक डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करेंगे।
बहुभाषी इंटरनेट: भारत की $1 ट्रिलियन डिजिटल इकॉनमी की नींव
FICCI के सह-अध्यक्ष संदीप नुलकर द्वारा संचालित इस अंतिम पैनल सत्र में चर्चा की गई कि कैसे बहुभाषी इंटरनेट भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।
इस सत्र में शामिल पैनलिस्ट्स थे
• सुधीन एम, प्रेसिडेंट, CITLoB
• विदुषी कपूर, CEO, Process9
• सेंथिल नाथन, CEO, Ailaysa
• पंकज बंसल, मैनेजर, NIXI
• प्रो. गिरीश नाथ झा, JNU
निष्कर्ष
भाषांतर 2025 सम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत केवल एक तकनीकी शक्ति नहीं, बल्कि भाषा आधारित डिजिटल समाधान के वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है। भारत का “AI for Bharat and Beyond” विज़न अब न केवल भाषाई समावेशन का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, बल्कि वैश्विक दक्षिण के लिए एक व्यवहारिक मॉडल भी प्रस्तुत कर रहा है।
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