Sutlej-Yamuna Link Canal Dispute: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हरियाणा और पंजाब के बीच सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर को लेकर पुराने जल-विवाद पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने दोनों राज्यों को परस्पर सहयोग और केंद्र सरकार की मध्यस्थता से समाधान निकालने की सलाह दी। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकलता है, तो वह इस मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त 2025 को करेगा। Supreme Court
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को सूचित किया कि जल शक्ति मंत्रालय के तत्वावधान में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है, जो जल बंटवारे के मुद्दे पर विचार कर रही है। केंद्र की ओर से यह भी बताया गया कि 1 अप्रैल 2025 को एक अतिरिक्त हलफनामा भी न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। हरियाणा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने अपनी दलीलों में कहा कि राज्य ने नहर के निर्माण का कार्य अपने क्षेत्र में पूर्ण कर लिया है, परंतु अभी तक पंजाब की ओर से आवश्यक पानी नहीं छोड़ा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्षों से बातचीत के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया। Sutlej Yamuna Link
नहर का निर्माण कार्य अभी अधूरा है
वहीं, पंजाब सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि मूल समझौता केवल अतिरिक्त जल को लेकर था और नहर का निर्माण कार्य अभी अधूरा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि हरियाणा को कितना जल मिलना चाहिए, यह विषय अभी ट्रिब्यूनल के विचाराधीन है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी कहा कि केंद्र द्वारा दाखिल हलफनामे में उल्लेख है कि दोनों राज्य मध्यस्थता के लिए सहमत हो गए थे। हालांकि, हरियाणा की ओर से बताया गया कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से वार्ता में सहयोग न करने की बात कही है, जिससे मध्यस्थता प्रक्रिया बाधित हो गई है। हरियाणा के अनुसार वे वर्ष 2016 से लगातार प्रयासरत हैं, परन्तु अब तक कोई प्रगति नहीं हुई।
गौरतलब है कि सतलुज-यमुना लिंक नहर से जुड़ा यह विवाद वर्ष 1966 में हरियाणा के पंजाब से पृथक होने के बाद आरंभ हुआ था। 1981 में जल बंटवारे को लेकर एक समझौता किया गया था, जिसके तहत हरियाणा को अपने हिस्से का जल मिलना था। परंतु वर्षों बीत जाने के बाद भी यह मामला अब तक अनसुलझा है। Supreme Court