
Rajasthan Bullet Train: जयपुर (गुरजंट सिंह)। Rajasthan Bullet Train: देश में तेज़ गति से बदलते ट्रांसपोर्ट सिस्टम के अंतर्गत अब राजस्थान भी बुलेट ट्रेन के नक्शे पर आने को तैयार है। केंद्र सरकार की बहुप्रतीक्षित दिल्ली-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है और अब मंजूरी मिलने का इंतजार है। यह हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर कुल 875 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें से 657 किलोमीटर का हिस्सा राजस्थान में होगा।
राजस्थान के 7 जिले और 335 गांव होंगे ट्रेन रूट में शामिल | Rajasthan Bullet Train
इस रूट से राजस्थान के 7 प्रमुख जिले – अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर और डूंगरपुर होकर बुलेट ट्रेन गुजरेगी। इसके साथ ही यह ट्रेन 335 गांवों से होकर निकलेगी, जिससे इन क्षेत्रों के लोगों को न केवल तेज़ यात्रा का विकल्प मिलेगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे।
9 प्रमुख स्टेशन राजस्थान में बनेंगे
दिल्ली-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल मार्ग पर कुल 11 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जिनमें से 9 स्टेशन राजस्थान में होंगे। ये स्टेशन होंगे:-
जयपुर
अजमेर
बहरोड़
शाहजहांपुर
विजयनगर
भीलवाड़ा
चित्तौड़गढ़
उदयपुर
खेरवाड़ा
यह स्टेशन राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों और औद्योगिक क्षेत्रों को देश की राजधानी दिल्ली और औद्योगिक शहर अहमदाबाद से सीधे जोड़ेंगे।
350 किमी/घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी हाई-स्पीड ट्रेन
बुलेट ट्रेन को लेकर सबसे खास बात यह है कि यह ट्रेन 350 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ेगी। वर्तमान में दिल्ली से अहमदाबाद की यात्रा में लगभग 14 घंटे का समय लगता है, लेकिन इस बुलेट ट्रेन के माध्यम से यह दूरी सिर्फ 3 से 4 घंटे में तय की जा सकेगी। यह यात्रियों के समय की बचत के साथ-साथ ऊर्जा खपत और सड़क पर दबाव को भी कम करेगा।
राजस्थान में पर्यटन को मिलेगी नई ऊंचाई
यह ट्रेन जिन जिलों से होकर गुजरेगी, वे राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन स्थलों के लिए मशहूर हैं। जैसे कि जयपुर, अजमेर, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर – ये सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए पसंदीदा स्थल हैं। बुलेट ट्रेन से इन स्थानों तक पहुंचना न केवल आसान होगा बल्कि तेज़ भी। इससे राजस्थान के पर्यटन उद्योग को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।
समृद्ध विरासत से जुड़े गांवों का होगा विकास
दिल्ली से चलकर अहमदाबाद तक पहुंचने वाली यह हाई-स्पीड रेल लाइन 657 किलोमीटर राजस्थान में तय करेगी, जो सीधे तौर पर 335 गांवों से होकर निकलेगी। ये गांव अब तक परिवहन व्यवस्था की सीमाओं से जूझते रहे हैं, लेकिन बुलेट ट्रेन के आगमन से इन्हें देश के आर्थिक विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी।
भारत में पहली बार राजस्थान में होगा बुलेट ट्रेन का ट्रायल
राजस्थान के गुढ़ा साल्ट से ठठाना मिठड़ी के बीच में 60 किलोमीटर लंबा पहला समर्पित ट्रायल ट्रैक तैयार किया जा रहा है, जहां भारत की पहली बुलेट ट्रेन का ट्रायल होगा। इस ट्रैक पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन के साथ-साथ यात्री व मालगाड़ियों के इंजन, कोच और अन्य तकनीकी परीक्षण किए जाएंगे।
अब तक नहीं था देश में कोई समर्पित ट्रायल ट्रैक
भारत में अभी तक सभी प्रकार के ट्रेन परीक्षण रेगुलर पटरियों पर होते थे, जिससे यातायात भी प्रभावित होता था। लेकिन यह ट्रैक पूरी तरह से हाई-स्पीड ट्रेनों के ट्रायल के लिए समर्पित रहेगा, जिससे नए तकनीकी प्रयोगों के लिए रास्ता खुलेगा और सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
जोधपुर को नहीं मिल पाई कॉरिडोर में जगह
राजस्थान का एक प्रमुख शहर जोधपुर, जो लंबे समय से बुलेट ट्रेन नेटवर्क का हिस्सा बनने की आशा कर रहा था, इस परियोजना में शामिल नहीं हो सका। हालांकि, जोधपुर रेल मंडल में ही भारत का पहला हाई-स्पीड टेस्ट ट्रैक विकसित किया जा रहा है, जहां भविष्य में बुलेट ट्रेन से जुड़े सभी तकनीकी परीक्षण होंगे।
पर्यावरण और इंजीनियरिंग की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण होगा रूट
दिल्ली-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का मार्ग कई पहाड़ी क्षेत्रों, पुलों और सुरंगों से होकर गुजरेगा। इसके रास्ते में देश की 5 प्रमुख नदियां भी आएंगी, जिन पर आधुनिक तकनीक से पुल बनाए जाएंगे। यह पूरा प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग कौशल का अद्भुत उदाहरण होगा।
स्थानीय रोजगार और व्यवसाय को मिलेगा बढ़ावा
इस परियोजना के पूरा होने से राजस्थान में हज़ारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। निर्माण कार्यों, ट्रैक बिछाने, स्टेशन निर्माण और संचालन में कई तरह के श्रमिकों, इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी सेवाएं, गाइडिंग सेवाएं जैसी स्थानीय व्यवसायों को भी फायदा होगा।
राजस्थान के लिए भविष्य की रफ्तार
दिल्ली-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट राजस्थान के लिए सिर्फ एक परिवहन परियोजना नहीं है, बल्कि यह राज्य की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक तस्वीर को बदलने वाली पहल साबित होगी। इस ट्रेन के जरिए जहां लोग कम समय में लंबी दूरी तय कर सकेंगे, वहीं राजस्थान का पर्यटन, ग्रामीण विकास और रोजगार क्षेत्र भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।