
Kisan News: गाजियाबाद (सच कहूं/रविंद्र सिंह)। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आगामी भारत-अमेरिका व्यापार समझौते से कृषि और डेयरी क्षेत्र को बाहर रखने की मांग की है। उन्होंने चेताया कि अगर अमेरिकी दबाव में आकर इन क्षेत्रों को विदेशी बाजार के लिए खोला गया, तो यह करोड़ों किसानों और पशुपालकों के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा।
टिकैत ने पत्र में उल्लेख किया कि एक अप्रैल 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा वैश्विक टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की गई थी, जिसकी अवधि 9 जुलाई 2025 को समाप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच इस मुद्दे पर वार्ता अब अंतिम चरण में है और समाचार पत्रों से यह जानकारी सामने आ रही है कि अमेरिका भारत पर कृषि और डेयरी क्षेत्र को अपने लिए खोलने का दबाव बना रहा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री को चेताया कि “भारत का कृषि और डेयरी क्षेत्र न केवल अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह ग्रामीण समाज का जीवन स्रोत भी है। अमेरिका की कारपोरेट आधारित कृषि व्यवस्था के लिए भारतीय बाजारों को खोला गया तो देश का किसान बड़ी कंपनियों के आगे घुटने टेकने पर मजबूर हो जाएगा।”
टिकैत ने कहा कि बिना किसानों और पशुपालकों से परामर्श लिए कोई भी अंतरराष्ट्रीय समझौता पहले से ही संकटग्रस्त ग्रामीण वर्ग पर दोहरी मार होगा। उन्होंने कहा कि “अमेरिका अपने किसानों को जिस स्तर की सब्सिडी देता है, वह भारत में कल्पना से परे है। ऐसी स्थिति में भारतीय किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर रह जाएगा।”
अपने पत्र में टिकैत ने सरकार से आग्रह किया कि देश के 60 फीसदी आबादी वाले कृषि और पशुपालन वर्ग को विदेशी कंपनियों के हाथों गिरवी न रखा जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री से स्पष्ट शब्दों में मांग की कि “भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में कृषि और डेयरी क्षेत्र को शामिल न किया जाए और संरक्षणवादी नीति को प्राथमिकता दी जाए।”
टिकैत ने कहा कि यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।