दो नेत्रहीनों को आंखें दे गई सत्यवंती इन्सां

करनाल (यशविंदर)। नेत्रदान महादान ये वाक्य सभी सुनते आरहे हैं। परंतु इस कार्य को करने का जज्बा किसी किसी में ही देखने को मिलता है। मालिक की सच्ची रूह ही ऐसे काम को करने में सार्थक रहती है। ऐसा ही काम कर दिखाया करनाल के 15 मेंबर परविंदर इन्सां के परिवार ने। जिन्होंने अपनी माता सत्यवती इन्सां जो की 10 जुलाई को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी कर मालिक की गोद सचखंड जा विराजी थी, मरणोपरांत आंखे दान कर के संसार में रह रही दो नेत्रहीन जिंदगियों को रोशनी देकर। उनके द्वारा किए गए इस कार्य ही जहां हर कोई प्रशंसा कर रहा है।

वही उनके इस कार्य से दूसरों को भी ऐसा कार्य करने की प्रेरणा मिल रही है। माता सत्यवती इन्सां जो की डेरा सच्चा सौदा से जुड़ी रही व परिवार को भी जोड़े रखा। वही से मिली शिक्षा से उनके मन में आंखे दान की इच्छा जागृत हुई व आंखें दान का फार्म भी भरा। उनकी रस्म क्रिया के रूप में परिवार द्वारा शिव मंदिर सेवा सदन राम नगर करनाल में नामचर्चा आयोजित की गई। जिसमें साध-संगत ने फूल अर्पित किए। वही अपना आशियाना नेत्रदान महादान टीम द्वारा परिवार को सर्टिफिकेट देकर परिवार द्वारा दिए गए नेत्रदान की प्रशंसा की। इस अवसर पर अनेक राजनीति से जुड़े लोग भी उपस्थित रहे।

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