नई दिल्ली। अफसरों द्वारा सिफारिश का सहारा लेने के रूख पर अब केंद्र सरकार सख्त हो गई है। इंटर कैडर ट्रांसफर की मांग करते हुए राजनीतिक मदद लेने वाले सरकारी अधिकारियों के बारे में सरकार ने गंभीरता से विचार किया है। इस संबंध में 3 दिसंबर को एक मेमो भी जारी किया और कहा कि ऐसा करना नियमों का उल्लंघन है। साथ ही ऐसा करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। मेमो में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने कहा है कि सरकारी अधिकारी व्यक्तिगत या मेडिकल आधार पर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से जुड़े या बाहरी कार्यालयों में कई इंटर कैडर ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं। सरकार की ओर से जारी किए गए मेमो में कहा गया है कि केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) में सहायक अनुभाग अधिकारियों (एएसओ) के ग्रेड में सरकारी अधिकारियों से यह मांगें मिल रही हैं, जो सेंट्रल सिविल सर्विसेज में से एक है।
साथ ही कहा गया है कि एएसओ के अनुरोध को मंत्रियों, लोकसभा या राज्यसभा सांसदों या अन्य नामित अथॉरिटी के जरिये विचार के लिए भेजा जाता है। मेमो में यह भी कहा गया है कि इस तरह का आचरण सीसीएस (आचरण नियम), 1964 के नियम 20 का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी सरकार के अधीन उनकी सेवा से संबंधित मामलों के संबंध में अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए किसी भी वरिष्ठ प्राधिकारी पर कोई राजनीतिक या अन्य बाहरी प्रभाव डालने या लाने का प्रयास नहीं करेगा। बताया गया है कि सक्षम अधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया है। सभी को यह जानकारी दी गई है कि अगर इस तरह के काम किए जाते हैं तो ऐसे सभी मामलों में मौजूदा नियमों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित उचित कार्रवाई की जाएगी।
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