सलाबतपुरा: भंडारे में हुआ भारी इक्ट्ठ

साध-संगत से खचाखच भरे पंडाल

  •  भंडारे की खुशी में जरूरतमंद लोगों की मदद की, पक्षियों के लिए पानी के सकोरे बांटे
  • अनुशासनबद्ध पार्क किए गए साध-संगत के वाहन
  • पंडाल में लगाई गई 12 बड़ी स्क्रीनें
  • सैकड़ों सेवादारों ने साध-संगत को कुछ ही मिनटों ने खिलाया लंगर-भोजन
  • अगर आपने नशा करना ही है तो मालिक के नाम का करो: पूज्य गुरु जी

सलाबतपुरा। (सच कहूँ न्यूज) डेरा सच्चा सौदा के रूहानी स्थापना माह की खुशी में पंजाब की साध-संगत द्वारा रविवार को शाह सतनाम जी रूहानी धाम डेरा राजगढ़-सलाबतपुरा में पावन भंडारा मनाया गया। गेहूं की चल रही कटाई के बावजूद भी पावन भंडारे में भारी तादाद में साध-संगत ने शिरकत की। वहीं सेवादारों द्वारा पंडाल को सुन्दर रंगोली व फूलों से सजाया गया। कविराजों ने खुशियों भरे शब्द बोले व पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन अनमोल रिकॉडिर्ड वचन साध-संगत को बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से सुनाए गए। इस अवसर पर 29 गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार की किटें दी गई व गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते पक्षियों हेतु पानी रखने के लिए 175 सकोरे भी बांटे गए।

पूज्य गुरू जी ने अपने पावन अनमोल वचनों से नशों के खात्मे के लिए साध-संगत को प्रेरित किया। आप जी ने फरमाया कि सभी धर्मों के प्रचारक व प्रतिनिधि मिलकर नशा छुड़वाएं क्योंकि सभी के सहयोग से ही यह संभव हो सकता है।

आप जी ने नशों के सौदागरों को भी कहा कि क्यों नशा बेच रहे हो, और भी बहुत से व्यापार हैं, वे कर लो, लेकिन नशे बेचना छोड़ दो। आप जी ने फरमाया कि कोई भी दीन-दुखी हो तो जाकर उसकी मदद की जाए, डेरा सच्चा सौदा की यही शिक्षा है। यह रास्ता बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने दिखाया, जिसका नाम डेरा सच्चा सौदा रखा। आप जी ने फरमाया कि 1948 से लेकर आज तक कोई बताए कि डेरा सच्चा सौदा ने किसी धर्म की निंदा की हो।

डेरा सच्चा सौदा में सभी धर्मों का सत्कार करने की शिक्षा दी जाती है व डेरा सच्चा सौदा के 6 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इन्सानियत की संभाल कर रहे हैं। आप जी ने फरमाया कि हम सभी का सत्कार करने वाले हैं, इज्जत करने वाले हैं, किसी को भी बुरा नहीं कहते, अगर हम कहते हैं तो मानवता भलाई के कार्य करने के लिए कहते हैं, हर धर्म-स्थल के आगे सजदा करने के लिए कहते हैं। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि अगर सभी अपने-अपने धर्म को मानने लग जाएं तो कहीं भी ठगी नहीं होगी, कहीं चोरी नहीं होगी, कहीं भी नशा नहीं होगा, कहीं भी मांस खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, कहीं

भी वेश्यावृति नहीं होगी, कोेई बुरा काम नहीं होगा। इस मिनट मानने का प्रण कर लो और अगले मिनट धरती स्वर्ग बन जाएगी। लेकिन बात है मानने की। हमारे धर्माें में लिखा है कि सभी का भला मांगों, किसी की निंदा न करो। अगर आप किसी की निंदा करते हो तो यह भी सोचा करो कि आपमें भी कोई अवगुण न हो, अगर हैं तो पहले अपने दूर करो। हमारे सभी धर्म कहते हैं कि इन्सानियत की सेवा करो, प्रकृति की सेवा करो, भला करो किसी गिरे हुए को उठाने का, भला करो किसी मरते हुए को पानी पिलाने का, भला करो आज के समय में चल रहे समुद्र रूपी नशे को रोकने का ताकि वे माएं आपको दुआएं दें, जिनके बच्चे छोटी आयु में ही इस दुनिया से जा रहे हैं, नशों के कारण। सभी धर्मों का सार है कि सभी का भला करो। सो बातों से नहीं कर्म के साथ धर्म को मानकर देखो।

एक हैं और हमेशा एक ही रहेंगे: साध-संगत

पंडाल में मौजूद साध-संगत ने दोनों हाथ खड़े कर प्रण दोहराया कि हम एक हैं और हमेशा एक ही रहेंगे। साध-संगत ने कहा कि मानवता भलाई कार्यों में और तेजी से जुटेंगे ताकि जरूरतमंदों की मदद की जा सके।

दोनों जहानों में नहीं उतरता राम-नाम का नशा

पोस्त, भांग, अफीम व शराब का नशा अगर आप सुबह करते हो तो शाम को उतर जाता है और अगर शाम को करते हो तो सुबह उतर जाता है लेकिन उस राम, अल्लाह, वाहेगुरु के नाम का नशा जो करता है, उसका नशा दोनों जहानों में नहीं उतरता व चेहरे पर नूर और अंदर सरूर हमेशा बना रहता है। सो अगर आपने नशा करना ही है तो उस मालिक के नाम का करो, जिससे अन्दर-बाहर हमेशा उस मालिक का सरूर बना रहेगा।
                                                                       – पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

नशों के खिलाफ गीत भी गूंजा

इस पावन भंडारे के अवसर पर पूज्य गुरु जी द्वारा नशों के खात्मे के लिए गाया गया गीत ‘जागो दुनिया दे लोको’ भी सुनाया गया। यह गीत शुरू होते ही पंडाल में मौजूद साध-संगत खुशी में झूम उठी। उल्लेखनीय है कि लाखों लोग इस गीत से प्रभावित होकर नशा छोड़ चुके हैं और भारी तादाद में नशा छोड़ भी रहे हैं।

नशा छोड़ने वालों ने सांझे किए अपने अनुभव

नशों के खात्मे के लिए डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाई जा रही मुहिम से संंबंधित एक डॉक्यूमैंट्री भी दिखाई गई। डॉक्यूमैंट्री में बताया गया कि किस तरह नशों की दलदल में फंसे युवाओं ने पूज्य गुरू जी से नाम-शब्द प्राप्त कर चिट्टे जैसा भयानक नशा भी पल में ही छोड़ दिया। चिट्टा छोड़ चुके युवाओं ने पूज्य गुरु जी का शुक्राना करते हुए कहा कि उनको लगता था कि वह कभी भी नशा नहीं छोड़ पाएंगे, लेकिन पूज्य गुरु जी की दया मेहर रहमत से अब वह बिल्कुल नशा मुक्त होकर तन्दरुस्त जीवन व्यत्तीत करने लगे हैं।

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