प्यारे सतगुरू जी ने बसाया कल्याण नगर
पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने इस नगर की स्थापना 1974 में की। इस नगर का नाम कल्याण रखते हुए फरमाया, ‘‘जो कोई इस नगर में रहते हुए अपने प्यारे सतगुरू के वचनों पर अमल कमाएगा, उसका कल्याण हो जाएगा।’’ यहां के नगरवासियों में सेवा का जज्बा भरा हुआ ह...
सच्चे सतगुरु जी ने मौत जैसा भयानक कर्म कंकर में बदला
बहन नीलम इन्सां पत्नी रामफल इन्सां गांव हजवाना ब्लॉक पूंडरी जिला कैथल (हरियाणा) और मौजूदा पता है सुखचैन कॉलोनी, सरसा। बहन नीलम इन्सां पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने ऊपर हुई अपार रहमत का लिखित में वर्णन इस प्रकार करती हैं :-...
सतगुरू जी ने जीव को बख्शा खुशियों का खजाना
सन् 1957 में नेजिया खेड़ा आश्रम में पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज का सत्संग था। हरि चंद पंजकल्याणा ने पहली बार सत्संग सुना और वहीं नाम-शब्द भी ले लिया। आप जी ने नाम देते समय वचन फरमाए, ‘‘आज से तुम्हारा नया जन्म हो गया। सतगुरू तुम्हारे अंदर बैठ ...
बेटा, बहुत भयानक कर्म था, सूली से सूल हो गया। यह साध-संगत की सेवा का ही फल है।’’
यह बात 10 अक्तूबर, 1988 की है। मैं बिजली बोर्ड में लाईनमैन के पद पर नियुक्त था। मुझे मासिक सत्संग पर आश्रम में जाना था परंतु छुट्टी न मिलने के कारण नहीं जा सका। उसी दिन शाम को मैं सांगला गांव में एक हजार वोल्टेज पर काम कर रहा था। अचानक दुर्घटना हुई औ...
‘‘बेटा, सारा परिवार पेड़ के नीचे छाया में बैठ जाओ, तुमने कोई काम नहीं करना, तुम्हारा घर हम बनवाएंगे।’’
अप्रैल, 1981 की बात है। हम कल्याण नगर में अपना मकान बना रहे थे। लगभग 22 दिन तक काम चलने के बाद भी मकान अधूरा था। इस दौरान पैसे भी खत्म हो चुके थे। सारा परिवार दुविधा में था कि अब मकान कैसे बनेगा? मैंने मिस्त्रियों को काम पर आने के लिए मना कर दिया। मक...
प्यारे सतगुरू जी की रहमत से बच्चे की आंख हुई ठीक
13 मार्च 1993 की बात है। उस समय मेरा लड़का मनदीप सिंह करीब चार वर्ष का था। खेल रहे बच्चों में से किसी बच्चे ने मनदीप की दाई आंख में तीर मार दिया, जिससे बच्चे की आंख का डेला दो फाड़ हो गया। बच्चे को उसी समय दिखना बंद हो गया और मारे दर्द के उसका बुरा हाल...
…जब सच्चे सतगुरू जी का हुक्म बना दवाई
प्रेमी मिस्त्री बिगला सिंह इन्सां पुत्र श्री गुरदेव सिंह गांव झाड़ों तहसील सुनाम जिला संगरूर पंजाब हाल आबाद उपकार कॉलोनी, गांव शाह सतनाम जी पुरा, जिला सरसा से पूजनीय हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने पर हुई अपार रहमतों का वर्णन ...
अपने शिष्यों की हरदम करते संभाल पूज्य परम पिता जी
सरसा (सच कहूँ डेस्क)। एक बार गांव हुसनर जिला मुक्तसर साहिब में सत्संग का कार्यक्रम था और प्यारे मुर्शिद-ए-कामिल पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने प्रेमी गुरांदित्ता सिंह के घर पर अपने पावन चरण रखने थे क्योंकि परिवार जनों ने पूजनीय शहनशाह जी...
रूहानी सवाल-जवाब
जिज्ञासुओं के सवाल पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के जवाब:-
प्रश्न : कोई आत्महत्या कर लेता है तो क्या यह उस इन्सान की प्रारब्ध है? यदि उसका अंत ही ऐसा है तो उसे आत्महत्या का दंड क्यों?
उत्तर : एक-न-एक दिन हर किसी ने जाना है और कुदरती मृृत्यु क...
साईं जी ने जात-पात का भेद मिटाया
एक बार आप जी नोहर से लालपुरा की तरफ जीप में सवार होकर जा रहे थे। उन दिनों वह रास्ता कच्चा था। रोड़ के आसपास बड़े-बड़े टीले थे। रास्ते में आपजी ने जीप को रूकवाया व पानी पीने की इच्छा जताई। वैसे तो सेवादार हर समय पानी अपने साथ रखते थे। लेकिन उस समय उनके प...
प्यारे सतगुरू जी ने जीव के विश्वास को किया दृढ़, बख्शी रहमतें
सन् 1973 की बात है। हमारा सारा परिवार नाम लेने के लिए मासिक सत्संग पर आश्रम में पहुंचा तथा नाम-दान लिया। जब हम घर वापिस पहुुंचे तो देखकर घबरा गए क्योंकि घर के सभी ताले टूटे हुए थे। हमनें सोचा कि शायद चोरों ने अपना काम कर दिया है परंतु जब अंदर जाकर दे...
‘‘बेटा, सेवा और सुमिरन करो, टांग मत कटवाना’’
मेरी टांंग में एक ऐसा रोग लगा कि मुझे दूसरे या तीसरे दिन घुटने के ऊपर से चीरा लगवाकर मवाद (रेशा) निकलवाना पड़ता था। इस बीमारी के कारण मेरी टांग के तीन आॅपरेशन भी हो चुके थे। मैंने दिल्ली और जयपुर के बड़े अस्पतालों में उपचार करवाया। उन डॉक्टरों की राय थ...
भक्तों की सुनी पुकार, बख्शा खुशियों का खजाना
करके रहमत बेमिसाल, कर दिया मालामाल
दरबारा सिंह पुत्र स्व. श्री हरदम सिंह उर्फ हाथी राम शास्त्री नगर, नई दिल्ली ने बताया कि पहले हम बहुत ज्यादा गरीब थे। जमीन तो हमारे पास तब भी काफी थी लेकिन सारी जमीन बंंजर थी। यदि बरसात अच्छी हो जाती तो कुछ फसल हो ज...
अच्छे कर्मों से जिंदगी में आती हैं खुशियों की बहार
एक दिन मेरा छोटा भाई राकेश किसी कार्यवश तेरावास में पूजनीय परम पिता जी से मिला। पूजनीय परम पिता जी ने राकेश को कहा, ‘‘बेटा, राजेश को बोलना कि उसके लिए एक अच्छा रिश्ता ढूंढ रखा है।’’ उन्हीं दिनों पूजनीय परम पिता जी ने मेरे पापा श्री पुरूषोत्तम लाल धवन...
रूहानी यादें: 12 मार्च 1993 को पिपली में सत्संग सुनने को उमड़ पड़ा था हुजूम
सेवादार बोले, यूं लगता है जैसे 29 साल नहीं सिर्फ 29 दिन पहले की ही बात हो
पिपली की नई अनाज मंडी को सत्संग के लिए सजाया गया था दुल्हन के जैसा
पहुंची थी लाखों की तादाद में साध संगत, 5369 ने ली थी नाम की अनमोल दात
कुरुक्षेत्र(सच कहूँ, देवीलाल...
सफाई महाअभियान में हुआ बहुत बड़ा करिश्मा
सरसा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के वचन हैं कि जब भी आप सेवा पर जाते हैं तो परमात्मा आपके भयंकर कर्मों को पहाड़ से कंकर में बदल देते हैं और कई बार तो वो आपको खरोंच तक भी नहीं आने देते और आपके भंयकर कर्म को सपने में ही काट देते ह...
सतगुरू ने बख्शी नजर
सन् 1975 की बात है। एक बार पूजनीय परम पिता जी शाम की मजलिस समाप्त करके पानी वाली डिग्गी की तरफ इशारा करके सेवादारों को कहने लगे, ‘‘पानी की डिग्गी के पास र्इंट के टुकड़े पड़े हैं, उनको उठाकर काल-बुत के पास वाली जगह पर रख दो।’’ पूजनीय परम पिता जी के हुक्...
पाखंड से छुटकारा दिला सच्चे सतगुरू जी ने दिखाया सच्चा रास्ता
प्रेमी कंवलजीत सिंह इन्सां सुपुत्र श्री कुलजीत सिंह इन्सां निवासी बंबीहा भाई ब्लॉक मल्ल के तहसील बाघा पुराना जिला मोगा और वर्तमान में जो कुवैत देश के जलीन नामक शहर/राज्य में रहता है। प्रेमी कंवलजीत लिखता है कि यह सन् 1992 की बात है। एक दिन मुझे स्कूल...
कड़वा बोलने वाले अफसर हो हुआ अपनी गलती का अहसास
डेरा सच्चा सौदा, सरसा में भवन निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा था। सेवादार भाई पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज के हुक्मानुसार तन्मयता से सेवा में जुटे हुए थे। नई दीवारों पर टीप करने के लिए 50 बोरी सीमेंट की आवश्यकता थी। उन दिनों सीमेंट बाजार में बहुत ही ...
प्यारे सतगुरू जी के महान परोपकार
सेवा का फल
प्रेमी जंगीर सिंह निवासी लोहाखेड़ा, फतेहाबाद सतगुरु की साक्षात रहमत को इस प्रकार बयां करते हैं। ये बात 10 अक्तूबर, 1988 की है। मैं बिजली बोर्ड में लाइनमैन के पद पर नियुक्त था। मुझे मासिक सत्संग पर आश्रम में जाना था, परंतु छुट्टी न मिलने के...
रामनाम का बजाया डंका, छुड़ाई बुराइयां
पूजनीय परम पिता जी ने डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही के रूप में गद्दीनशीन होकर लगभग 30 वर्षों तक साध-संगत की सेवा संभाल की। आप जी ने साध-संगत को हक-हलाल की करके खाना, किसी का दिल न दुखाना व बुराइयों से दूर रहकर मालिक-प्रभु की सच्ची भक्ति करने, मालि...
बच्चे को बोरी में बांध रहा था बदमाश, परम पिता जी ने खुद प्रकट होकर छुड़ाया
सरसा। मकान नं. 926 मोहल्ला धोबियों वाला बंद गेट सरसा शहर से बीबी ईश्वर देवी परम पूजनीय सतगुरु जी की अपार बख्शिश का एक अद्भुत करिश्मा (Ruhani Karishma) इस प्रकार वर्णन करती है : सन् 1975 की बात है। उस दिन भी दरबार में प्रतिदिन की तरह सुबह की मजलिस लगी...
परम पिता जी की साक्षात रहमत-प्रेमी का गुम हुआ लड़का खुद घर वापिस लौटा
प्रेमी प्रीतम दास बस्ती अलीपुर, अमृतसर रोड, मोगा से वाली दो जहान पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज की अपार दया-मेहर के बारे में इस प्रकार लिखता है:-
सन् 1977 की बात है। एक दिन मेरा दस वर्षीय लड़का अशोक कुमार घर से नाराज होकर कहीं चला गया। मैंन...
दिली इच्छा पूरी की सतगुरू ने
प्रेम हरी राम सरसा से लिखते हैं कि सन् 1987 में एक दिन उसकी पत्नी ने सुबह-सुबह घर में चाय बनाई तो बच्चों ने चाय मांगी। अचानक वह कहने लगी, ‘‘यह चाय तो मैंने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के लिए बनाई है, आपको और बनाकर देती हूं।’’ बच्चों ने ह...
सतगुरू जी ने जीव को सिखाया ईमानदारी पर चलना
शाह मस्ताना जी धाम सरसा में मासिक सत्संग पर भारी संख्या में साध-संगत पहुंची हुई थी। पूर्व की तरफ कच्चे रास्ते पर पुराना मुख्य द्वार था। सरसा के भक्त माना राम छाबड़ा व कुछ अन्य फल बेचने वाले भी डेरे के बाहर अपनी अस्थाई दुकानें लगाकर अपना सामान बेचने आए...