मीरापुर (सच कहूं/कोमल प्रजापति)। Mirapur: क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित हो रही लकड़ी की आढ़तें अब पर्यावरण और वन संपदा के लिए गंभीर खतरा बन गई हैं। इन आढ़तों के पास न तो कोई वैध लाइसेंस है और न ही वन विभाग की अनुमति। फिर भी इनका संचालन धड़ल्ले से जारी है। इन आढ़तों में चोरी की लकड़ी खुलेआम खरीदी-बेची जा रही है। क्षेत्रवासियांे ने इन आढतो को तुरंत बंद कराने की मांग करते हुए उच्चाधिकांिरयों को पत्र प्रेषित किया है।
मीरापुर क्षेत्र में अवैध रूप से लकडी की आढते संचालित हो रही है जिनके पास कोई वैध लाइसेंस नही है। बताया गया कि कि कुछ दिन पूर्व एक बाग से चोरी हुए पेड़ों को इन्हीं अवैध आढ़तों में बेचा गया था तथा सेंचुरी क्षेत्र के हेदरपुर वेटलेंड से लगभग 100 खैर पेड भी अवैध रूप से काटकर इन्ही आढतो पर बेचे गये है। अवैध रूप से काटे गए खैर के पेड़ों से कत्था बनाया जाता है, जिसकी कीमत लगभग 10 हजार रुपये प्रति कुंतल होती है। तस्करों ने 50 से 250 सेंटीमीटर मोटाई तक के हरे-भरे पेड़ों को बेरहमी से काट डाला। कटाई के बाद जड़ों को मिट्टी से ढक दिया गया ताकि अवैध कटान का पता न चल सके। इससे पहले भी शीशम के पेड़ों की बरामदगी इनसे हो चुकी है, जिस पर जानसठ रेंज के वन क्षेत्राधिकारी ने कुछ लोगो पर मुकदमा दर्ज कराया था। Mirapur
बावजूद इसके, इन आढ़तों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह पूरा घटनाक्रम हैदरपुर वेटलैंड जैसे संवेदनशील सेंचुरी क्षेत्र में हुआ है। यहां सौ से अधिक प्रतिबंधित खैर के पेड़ों की कटाई की गई है, जिनकी कीमत करोड़ों में आंकी गई है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सब वन विभाग की मिलीभगत से हो रहा है, जिससे उसकी कार्यप्रणाली और निगरानी प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। जनता में इस मामले को लेकर भारी रोष है और अब सख्त कार्रवाई की मांग तेज होती जा रही है। स्थानीय निवासी राजेन्द्र सिंह, मन्नू सिंह, दिलशाद, शोकिन्दर, रविन्द्र, अंकित, कालूराम, जोगेन्द्र और जान मोहम्मद समेत कई लोगों ने उच्चाधिकारियों को पत्र प्रेषित कर इन अवैध लकडी की आढतो पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। Mirapur
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