पंजाब में गेहूं की पराली जलाने से बढ़ रही पर्यावरणीय चिंताएं: मंत्री ने की पर्यावरण की रक्षा की अपील
- स्वास्थ्य मंत्री की किसानों से भावुक अपील, धरती मां को बंजर न करें
पटियाला (सच कहूँ/खुशवीर तूर)। Patiala News: पंजाब में गेहूं की कटाई के बाद बची पराली को आग लगाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक प्रदेश में 10 हजार से अधिक बार खेतों में आग लगाई जा चुकी हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने हाल ही में एक खेत में खड़े होकर किसानों से अपील की है कि वे धरती माता के सीने को जलाने से बचाएं और पर्यावरण की रक्षा करें। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कृषि विभाग सहित विभिन्न संस्थान किसानों को पराली जलाने से रोकने और जागरूक करने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसका प्रभाव सीमित ही रहा है। एक अप्रैल से 3 मई तक 1052 स्थानों पर आग लगी, जबकि 3 मई से 29 मई के बीच आग की घटनाएं बढ़कर 10,189 तक पहुंच गईं। Patiala News
सबसे अधिक आगजनी की घटनाएं अमृतसर, मोगा, गुरदासपुर, फिरोजपुर, तरनतारन, संगरूर, बठिंडा, लुधियाना और पटियाला जिलों में दर्ज की गई हैं। अमृतसर में 1102, मोगा में 863, गुरदासपुर में 856, फिरोजपुर में 742, तरनतारन में 700, संगरूर में 654, बठिंडा में 651, लुधियाना में 639 तथा पटियाला में 458 बार पराली को आग लगाई गई है। Patiala News
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि प्रशासन द्वारा सख्ती करने पर किसान संगठनों के धरने-प्रदर्शन शुरू हो जाते हैं, इसलिए इस मुद्दे का स्थायी समाधान किसान संगठनों की सक्रिय भागीदारी के बिना संभव नहीं। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं को पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभानी होगी।
पिछले वर्ष भी करीब 11 हजार से अधिक स्थानों पर आगजनी हुई थी। इस बार किसानों ने बताया कि तूंड़ी (पराली) के भाव गिरने के कारण उन्होंने इसे बेचने की बजाय खेतों में आग लगा दी। किसानों का कहना है कि जब फसल में आग लगती है, तब कोई भी सरकारी अधिकारी अक्सर मौके पर मौजूद नहीं होते। किसान रुलदू सिंह, प्रीतम सिंह और भाग सिंह ने कहा कि पराली जलाने से खेत की मिट्टी में प्राकृतिक उर्वरक तत्व खत्म हो जाते हैं, जिससे अगली फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
स्वास्थ्य मंत्री की अपील | Patiala News
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने काठमठी के निकट खेत में खड़े होकर किसानों से आग्रह किया कि वे पराली जलाने से बचें। उन्होंने कहा कि आग से न केवल पशु-पक्षी, कीड़े-मकोड़े और पेड़-पौधे नष्ट होते हैं, बल्कि धुआं बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर स्वास्थ्य खतरा भी पैदा करता है। इससे सांस संबंधी बीमारियां, कोरोना, दमा और कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं बढ़ती हैं। मंत्री ने किसानों से धरती, मानवता और आने वाली पीढ़ियों के प्रति जिम्मेदारी निभाने की अपील की और कहा कि कभी भी खेतों में आग लगाने की प्रवृत्ति को समाप्त करना होगा।
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