नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आपरेशन सिन्दूर में भारतीय सशस्त्र बलों के पराक्रम की सराहना करते हुए सोमवार को कहा कि सेना ने देश की रक्षा करने के साथ ही आतंकवादी ठिकानों को तबाह करके समूचे विश्व को आतंकवाद के खिलाफ एक स्पष्ट, सशक्त और निर्णायक संदेश दे दिया है। भाजपा के प्रवक्ता एवं सांसद डॉ.. संबित पात्रा ने पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्तान ने 22 अप्रैल को आतंकवादी घटना के माध्यम से भारत की वीरता और संप्रभुता को चुनौती देने का दुस्साहस किया। इस पर भारतीय सेना अद्भुत साहस का परिचय देते हुए आतंकवाद के गढ़ में घुसी और न केवल देश की रक्षा की, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ सशक्त प्रहार भी किया।
डॉ. पात्रा ने कहा कि बीते कुछ दिनों में भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई की है, विशेष रूप से ह्यआॅपरेशन सिंदूरह्ण के माध्यम से पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डों को समाप्त किया है, वह अपने आप में न केवल भारत के भीतर बल्कि समूचे विश्व को आतंकवाद के खिलाफ एक स्पष्ट, सशक्त और निर्णायक संदेश देता है।
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक अभियान में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय दिया है। यह केवल एक सैन्य आॅपरेशन नहीं था, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और आत्मसम्मान की रक्षा का प्रतीक था। आॅपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए भारत की सेना, वायुसेना, नौसेना और उन सभी जांबाज जवानों का हृदय से आभार प्रकट किया, जिनकी बहादुरी के कारण यह संभव हो पाया। भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों अभियान महानिदेशकों ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस में देश को बताया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अब पूरी शक्ति और प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है। आॅपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। भारत किसी भी चुनौती का सामना करने में संकोच नहीं करता, बल्कि उसका उत्तर निर्णायक और ऐतिहासिक रूप में देता है। आज का भारत आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक भूमिका निभा रहा है और पूरी दुनिया भारत के इस नए आत्मविश्वास को देख रही है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि 22 अप्रैल की तारीख को देश कभी नहीं भूल सकता। यह दिन एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था, जब पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की नृशंस हत्या की गई। यह कायराना हमला उन आतंकवादियों द्वारा किया गया जो पाकिस्तान से भेजे गए थे, जिन्हें पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था। इस आतंकी हमले में 25 भारतीय नागरिकों के साथ एक नेपाली नागरिक भी शहीद हुए। घटना के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सऊदी अरब के आधिकारिक दौरे पर थे, लेकिन जैसे ही उन्हें इस आतंकी हमले की सूचना मिली, वह तत्काल भारत लौटे और जनता की भावनाओं को समझा। देशभर की जनता ने एक स्वर में मांग की कि अब आतंकवाद पर निर्णायक हमला होना चाहिए। श्री मोदी ने उसी समय बिहार की धरती से जनता को आश्वासन दिया, ह्लहम इस हमले का बदला लेंगे। हम 26 लोगों की शहादत का प्रतिशोध लेंगे और यह प्रतिशोध आतंकवादियों की कल्पना से परे होगा।ह्व श्री मोदी का यह संकल्प और भारतीय सेना का अदम्य साहस ही वह शक्ति है, जिसने आतंकवादियों को उनके ठिकानों में घुसकर धूल चटाई। गत 22 अप्रैल से सात मई तक पूरे देश में तनाव और अपेक्षा का माहौल था। देश चाहता था कि तत्काल निर्णय लिया जाए और कार्रवाई हो। श्री मोदी ने अत्यंत सूझबूझ, रणनीति और संयम के साथ निर्णय लिया। पाकिस्तान को भली-भांति पता था कि भारत इस बार चुप नहीं बैठेगा। आतंकवाद के खिलाफ एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के उदाहरण पाकिस्तान देख चुका था। फिर भी, वह यह नहीं समझ पाया कि हमला कब और किस रूप में होगा।
डॉ. पात्रा ने कहा कि ‘आॅपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि इसका एक बड़ा और प्रभावशाली ‘असैन्य भाग’ भी था। इस रणनीति के अंतर्गत भारत सरकार ने 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का निर्णय लिया। पाकिस्तान की 90 फीसदी जनता और 80 फीसदी कृषि इस जल पर निर्भर करती है। यदि भारत इस जल प्रवाह को रोक दे तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट जाएगी। पाकिस्तान की जीडीपी गिर जाएगी, कृषि व्यवस्था चरमरा जाएगी, और देश संकट में डूब जाएगा। प्रधानमंत्री ने जो कहा था, “हम घुसकर मारेंगे और मिट्टी में मिला देंगे। वह आज पूरे देश ने साकार होते देखा है। यह केवल शब्द नहीं थे, यह भारत के संकल्प, सामर्थ्य और गौरव का जीवंत उदाहरण था।
डॉ. पात्रा ने कहा कि आॅपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध भारत का एक संपूर्ण और निर्णायक प्रतिघात है। यह कार्यवाही न केवल आतंकियों को समाप्त करने के लिए की गई, बल्कि इसके असैन्य आयाम भी उतने ही प्रभावशाली थे, जिसने पाकिस्तान को एक कमजोर देश के रूप में उजागर कर दिया। सिंधु जल संधि, जिसे 1960 से भारत ने तमाम युद्धों के बावजूद जारी रखा, उसे इस बार स्थगित कर दिया गया। झेलम और चिनाब नदियों के जल पर अब भारत सरकार का पूर्ण नियंत्रण है।
उन्होंने कहा कि भारत अब इन नदियों पर बांध निर्माण, जल संग्रहण, सिंचाई और जलविद्युत के माध्यम से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को व्यापक लाभ पहुंचाने जा रहा है। यह वह कार्य है जो 50 वर्षों में नहीं हुआ। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में आज यह असंभव कार्य भी संभव हो गया। भारत सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि ‘पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। पाकिस्तान की 80 फीसदी कृषि और 90 प्रतिशत जनता सिंधु जल पर निर्भर है। यदि यह जल रोका जाए, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, विशेषकर उसकी जीडीपी और कृषि व्यवस्था, पूरी तरह चरमरा जाएगी। केवल इतना ही नहीं, बिजली कटौती बढ़ेगी और पाकिस्तान की जनता त्राहि-त्राहि करेगी। भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर व्यापार को भी पूर्णत: रोक दिया। पाकिस्तान के किसी भी नागरिक को अब भारत में रहने की अनुमति नहीं दी गई, जिनके पास वीजा था, उन्हें वापस भेजा गया। पाकिस्तान के किसी कलाकार या सांस्कृतिक प्रदर्शन को भारत में मंच नहीं मिलेगा। यह कड़े लेकिन आवश्यक प्रतिबंध थे, जिनसे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया गया।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लगभग 20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों से सीधी बातचीत कर, आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक सहयोग को मजबूत किया और पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति पर चर्चा की। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका जैसे बड़े देशों ने भारत के रुख का पूर्ण समर्थन किया। जब पहलगाम हमला हुआ था, तब प्रधानमंत्री सऊदी अरब में थे और जब वह भारत लौटने लगे, तो उन्हें सऊदी सरकार द्वारा यह आश्वासन मिला, ह्लहम आपके साथ हैं, आतंकवाद के खिलाफ आपकी लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि है कि इस बार भारत ने वे उपकरण इस्तेमाल किए जो पिछले 50 वर्षों में कभी नहीं किए गए थे। भारत ने पहली बार उन रास्तों पर कदम रखा, जहां पहले कभी नहीं गया था। 6 और 7 मई 2025 की रात को भारत द्वारा किए गए निर्णायक हमले से पूरा विश्व चौंका गया। आॅपरेशन सिंदूर के तहत 9 आतंकी ठिकानों को, जो पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान के अंदर स्थित थे, सटीक रूप से ध्वस्त किए गए। यह हमला केवल नियंत्रण रेखा तक सीमित नहीं था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पार जाकर, गहराई में छिपे आतंकी अड्डों को निशाना बना कर पूरी दुनिया को यह संदेश दिया गया कि भारत अब किसी भी खतरे को जड़ से समाप्त करने में सक्षम है।
डॉ. पात्रा ने कहा कि आॅपरेशन सिंदूर के पांच प्रमुख लक्ष्य थे: 1- उन आतंकी ठिकानों को समाप्त करना जो अब तक अछूते और सुरक्षित माने जाते थे। 2- आतंकवादियों को ढेर करना और उनका सफाया करना। 3- आतंकी संरचनाओं को पूरी तरह जमींदोज करना। 4- इस पूरी कार्रवाई में किसी नागरिक को कोई क्षति न हो। 5- पाकिस्तान की सेना या सैन्य अड्डों पर कोई हमला न हो झ्र क्योंकि यह लड़ाई आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ थी, पाकिस्तान की सेना के खिलाफ नहीं। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध था और भारत ने इस लड़ाई में न केवल अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि अब भारत केवल प्रतिक्रिया नहीं देगा, बल्कि निर्णायक रूप से कार्रवाई करेगा।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय सेना द्वारा आतंक के खिलाफ जब यह हमला हुआ, तब नौ आतंकी ठिकाने ध्वस्त किए गए, जिनमें से पांच पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में और चार पाकिस्तान के भीतर स्थित थे। पहली बार भारत ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत जैसे सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र में घुसकर आतंकियों का सफाया किया। यह आॅपरेशन सिंदूर की बड़ी उपलब्धि है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के प्रशिक्षण केंद्रों को लक्ष्य बनाकर यह कार्रवाई की गई।
डॉ. पात्रा ने भारतीय सेना द्वारा नष्ट किये गए सभी नौ ठिकानों की जानकारी देते हुए कहा कि :- 1) सवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद (पीओजेके): लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर, 20 अक्टूबर 2024 (सुनमर्ग) और 24 अक्टूबर 2024 (गुलमर्ग) के हमलों से जुड़ा।, 2) सैयदाना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद झ्र जैश-ए-मोहम्मद का प्रशिक्षण केंद्र।, 3) गुलपुर कैंप, कोटली (पीओजेके) झ्र पुंछ और तीर्थयात्रियों पर हमलों से जुड़ा लश्कर का अड्डा।, 4) बरनाला कैंप, बीरबगढ़ झ्र एलओसी से 9 किमी दूर स्थित।, 5) अब्बास कैंप, कोटली झ्र एलईटी का फिदायीन प्रशिक्षण केंद्र।, 6) सरजाल कैंप, सियालकोट झ्र मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस पर हमले के आतंकियों का अड्डा।, 7) मेहमूना जया कैंप, सियालकोट झ्र हिजबुल मुजाहिदीन का बड़ा केंद्र।, 8) मरकज तैयबा, मुरीदके झ्र 26/11 के हमलावरों का प्रशिक्षण केंद्र। और 9) मरकज सुभान अल्लाह, बहावलपुर झ्र जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय, जिसे एयर फोर्स ने ध्वस्त किया।
डॉ. पात्रा ने कहा कि इन ठिकानों को ध्वस्त करना कोई सामान्य उपलब्धि नहीं है। आॅपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के भीतर 100 किमी तक घुसकर कार्यवाही की, जहाँ अमेरिकी ड्रोन भी नहीं पहुँच पाए। यह भारत की सैन्य क्षमता, राजनीतिक इच्छाशक्ति और राष्ट्रीय संकल्प का प्रतीक है। इस आॅपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। प्रमुख मारे गए आतंकियों के नाम :- 1) मुदस्सर कादियान उर्फ अब्बू जुंदाल (एलईटी), 2) हाफिज मोहम्मद जमील (जेईएम), 3) मसूद अजहर का साला, 4) मोहम्मद यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद जी और 5) आईसी-814 हाइजैकिंग का आरोपी खालिद उर्फ अब्बू अक्का खालिद (एलईटी)।
डॉ. पात्रा ने कहा कि पाकिस्तान के सरकारी अधिकारियों, सेना के जनरलों और नेताओं की मौजूदगी इन आतंकियों के जनाजों में यह सिद्ध करती है कि पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक है। लश्कर-ए-तैयबा कमांडर अब्दुल रऊफ और पाकिस्तान के उच्चाधिकारी जनाजे में शामिल हुए। आॅपरेशन सिंदूर का उद्देश्य स्पष्ट था: आतंकी ठिकानों का सफाया, आतंकियों को चुन-चुन कर मारना और एक मजबूत संदेश देना कि भारत आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। भारत का नया स्वरूप अब विश्व के सामने है, एक ऐसा भारत जो दुश्मन की जमीन में घुसकर निर्णायक कार्यवाही कर सकता है। आॅपरेशन सिंदूर ने यह दिखा दिया कि पाकिस्तान का कोई भी हिस्सा भारत की पहुंच से बाहर नहीं है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि विश्व में संभवत: पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी देश ने केवल 23 मिनट में उच्च स्तर के प्रशिक्षण के साथ आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर उन्हें ध्वस्त किया। यह आॅपरेशन पूरी तरह योजनाबद्ध, सटीक, मापित और गैर-उकसावे वाला रहा। जब आॅपरेशन पूरा हुआ, तब विदेश मंत्रालय और सेना द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में चार महत्वपूर्ण शब्दों का उल्लेख किया गया: नियंत्रित, सटीक, नपीतुली और गैर उकसावे वाली कार्रवाई। नौ आतंकवादी अड्डों को अत्यंत नियंत्रित और सटीक तरीके से ध्वस्त किया गया। केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया, कोई नागरिक या सैन्य ठिकाना प्रभावित नहीं हुआ। जितना आवश्यक था, उतना ही लक्ष्य साधा गया इससे आसपास की संरचनाओं को कोई क्षति नहीं पहुँची। यह कार्रवाई युद्ध भड़काने के लिए नहीं, बल्कि सीमित प्रतिक्रिया के रूप में की गई, क्योंकि प्राथमिक उकसाने वाला हमला पाकिस्तान की ओर से 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ था।
डॉ. पात्रा ने कहा कि आॅपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पूर्ण रूप से हासिल किया गया। हमारे वीर पायलट राफेल विमानों के साथ सुरक्षित लौटे और दुश्मन के आतंकवादी ठिकानों को तबाह कर लौटे, किसी भी नागरिक को क्षति पहुँचाए बिना। लेकिन, पाकिस्तान से अपेक्षा के अनुरूप प्रतिक्रिया मिली, ड्रोन और मिसाइलें भेजी गईं, जिन्हें भारत की वायु रक्षा प्रणाली ने हवा में ही नष्ट कर दिया। सबसे बड़ी बात यह रही कि सात से नौ मई के बीच भारत ने लाहौर का वायु रक्षा प्रणाल निष्क्रिय किया और नौ से 10 मई के बीच पाकिस्तान के 11 एयरबेसों को ध्वस्त कर दिया। इन एयरबेसों में नूर खान, रफीक, मुरीद, सुक्कुर, सियालकोट, पसरूर, चुनियान, सरगोदा, स्कारू, भुलारी और जैकोबाबाद शामिल थे।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने नूर खान एयरबेस को विशेष रूप से उल्लेखित करते हुए कहा कि, जो एयर-टु-एयर रिफ्यूलिंग की सुविधा देता था। इसे नष्ट करने से पाकिस्तान के विमानों की हवाई क्षमता सीमित हो गई। भुलारी एयरबेस पर 50 पाकिस्तानी जवान मारे गए, जिनमें स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ भी शामिल थे। कुल मिलाकर, नौ आतंकी ठिकाने और 11 एयरबेस नष्ट किए गए तथा 100 से अधिक आतंकवादी और 50 से अधिक पाकिस्तानी जवान मारे गए। यह पहली बार है जब किसी देश ने परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के भीतर घुसकर उसके सैन्य ढांचे का 20 प्रतिशत तबाह कर दिया। पाकिस्तान इस झटके को सह नहीं सका और 10 मई को ही उसके डीजीएमओ का फोन आया। इसके बाद जो स्थिति बनी, वह कोई संघर्ष विराम नहीं बल्कि एक ‘समझ’ है, यदि भविष्य में कोई आतंकी हमला हुआ तो समझ स्वत: समाप्त मानी जाएगी। इस बार भारत ने अंदर घुसकर मारा है। पाकिस्तान में उनके मौलाना और मौलवियों ने भी वहां की सरकार का समर्थन नहीं किया, जबकि भारत की एकता अद्वितीय रही। पूरा देश सेना, राजनीतिक इच्छाशक्ति और निर्णायक नेतृत्व के पीछे एकजुट होकर खड़ा रहा। आज पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ चुका है। पहले भारत आतंकवाद के सबूत डोजियर के जरिए देता था, लेकिन अब नया भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर रहा है। जैसा मोदी ने कहा कि ‘अगर वहाँ से गोली आएगी, तो यहाँ से गोला जाएगा।