India-Pakistan Tension: नई दिल्ली। भारत अब पाकिस्तान को प्रत्येक स्तर पर कड़ी चुनौती देने की दिशा में कार्य कर रहा है। केवल रणनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों तक सीमित न रहकर, भारत अब आर्थिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को कमजोर करने की योजना बना रहा है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) तथा अन्य बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों से आग्रह करेगा कि वे पाकिस्तान को दिए गए ऋण और सहायता राशि की दोबारा समीक्षा करें। इसके अतिरिक्त, भारत वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) से पाकिस्तान को पुनः ‘ग्रे सूची’ में डालने की भी मांग करेगा। Delhi News
भारत की पाकिस्तान के विरुद्ध रणनीति | Delhi News
एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि पाकिस्तान को संकट से उबारने के लिए दी जा रही वित्तीय सहायता की पुनः जांच की जाए। इसके लिए विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसी संस्थाओं से भी संपर्क किया गया है। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है और भारी मात्रा में विदेशी कर्ज पर निर्भर है। यदि उसे मिलने वाली विदेशी सहायता बाधित होती है, तो देश की आर्थिक स्थिरता और शासन व्यवस्था दोनों पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने गत वर्ष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से सात अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज प्राप्त किया था और मार्च 2025 में उसे 1.3 अरब डॉलर का जलवायु ऋण भी मिला था। इसके अतिरिक्त, जनवरी 2025 में विश्व बैंक ने भी पाकिस्तान को 20 अरब डॉलर के वित्तीय पैकेज की स्वीकृति दी थी। अब आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड 9 मई को पाकिस्तान के साथ इस वित्तीय सहायता की पहली समीक्षा के लिए बैठक करेगा। Delhi News
आईएमएफ को पाकिस्तान के प्रति अपनाई गई नीति का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए
विशेषज्ञों का मत है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में आईएमएफ को पाकिस्तान के प्रति अपनाई गई नीति का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान की नरमी और समर्थन को देखते हुए, बिना सख्त शर्तों के वित्तीय सहायता जारी रखना न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह वैश्विक स्थायित्व के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो सकता है। बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं, जिसमें 26 लोग मारे गए और अनेक घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी ‘लश्कर-ए-तैयबा’ से संबद्ध समूह ‘टीआरएफ’ ने ली है।
इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है। भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध कई कड़े निर्णय लिए हैं, जिनमें सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करना, अटारी सीमा स्थित एकीकृत जांच चौकी को बंद करना तथा पाकिस्तानी नागरिकों को दिए जा रहे वीज़ा को स्थगित करना शामिल है। इसके प्रत्युत्तर में पाकिस्तान ने भी भारत के साथ शिमला समझौते को स्थगित करने, भारतीय विमानों के लिए अपने वायु क्षेत्र को बंद करने और भारतीय नागरिकों के वीज़ा निरस्त करने जैसे कदम उठाए हैं। Delhi News
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