सच कहूँ /कुलदीप नैन कैथल। शहर की नई अनाज मंडी की आंतरिक सड़कों का वर्षों बाद कायाकल्प होने वाला है। मार्किट कमेटी की ओर से मंडी की सभी आंतरिक सड़कों का एस्टीमेट बनाकर फाइल ऊपर भेज दी गई है। अनाज मंडी की करीब 4 किलोमीटर क्षेत्र की सभी सड़कों का 1 करोड़ 63 लाख रुपए का एस्टीमेट मार्किट कमेटी ने भेजा है। इसी को लेकर मंगलवार को मार्किट कमेटी अधिकारियों की एक बैठक भी हुई, जिसमें इस पूरे वर्क प्लान पर चर्चा की गई। सड़कों के अलावा फड़ों के साथ-साथ पानी निकासी का भी प्रबंध किया जाएगा। अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही अनाज मंडी में सड़कें बनाने को लेकर अप्रूवल मिल जाएगी, जिसके बाद सड़कों को बनाने का काम शुरू हो जाएगा। दरअसल पिछले काफी वर्षों से यहां की खस्ताहाल हो चुकी सड़कों की कोई सुध नहीं ली जा रही थी।
गौरतलब है कि नई अनाज मंडी में सड़कें करीब 8 से 10 वर्ष पुरानी हो चुकी है। हर बार बारिश के सीजन में जलभराव हो जाता है। इस कारण अनाज मंडी में पानी निकासी की भी समस्या बनी रहती है। पानी खड़ा होने की वजह से सड़कें टूट जाती है। किसानों और आढ़तियों के बार-बार कहने पर भी मंडी की सड़कों पर हर सीजन से पहले मात्र पैच वर्क करवाकर ही काम चलाया जा रहा था। जो एक सीजन भी बड़ी मुश्किल से चलता है और उसके बाद फिर से बजरी उखड़कर सड़कों पर फैल जाती है।
जनस्वास्थ्य विभाग ने पाइपलाइन दबाने के लिए भी उखाड़ी थी सड़कें
बीते वर्ष जनस्वास्थ्य विभाग की ओर से अनाज मंडी में पाइपलाइन दबाई गई थी, उस समय भी मंडी की अधिकतर सड़कें उखाड़ दी गई थी। बाद में इन सड़कों को बनाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुई। वहीं अब आए दिन अनाज मंडी में सीवरेज ब्लॉक हुए रहते है, जिससे गंदगी और बदबू का आलम छाया रहता है। गेहूँ और धान के सीजन में यहां से गुजरने वाले वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अब उम्मीद जगी है कि अनाज मंडी की टूटी पड़ी सड़कों से निजात मिल जाएगी।
बाहरी सड़कें नगर परिषद के क्षेत्र में
अनाज मंडी की अंदरूनी और बाहरी सड़कों की हालत बदतर हो चुकी है। मंडी की सड़कें दो विभागों में फंसी हुई है, जिस कारण इनकी हालत सुधारने पर ध्यान नहीं दिया जाता। अनाज मंडी के अंदर की सड़कें तो मार्किट कमेटी के अंतर्गत आती है और बाहर की सड़के नगर परिषद के अंतर्गत आती है। अब अंदर की सड़कों के लिए तो मार्किट कमेटी ने एस्टीमेट भेज दिया है लेकिन बाहर की सड़कों पर भी बड़े बड़े गड्ढÞे हो चुके है, जिनकी अभी कोई सुध नहीं ले रहा। गड्ढों के अलावा बारिश के मौसम में तो गंदगी व कीचड़ की भी भरमार हो जाती है। मंडी में ये हालात आज के नहीं, बल्कि वर्षों पुराने है।