नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज़)। Toll Plaza News: हाल ही में मोदी सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल शुल्क के भुगतान को लेकर एक नई पहल की शुरुआत की है। इसके तहत, सैटेलाइट आधारित टोलिंग सिस्टम लागू करने की योजना बनाई गई है, जिससे वाहन चालकों को टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी। यह सिस्टम स्वचालित रूप से वाहन के टोल को कट कर देगा। इस नई प्रणाली को कुछ टोल प्लाजा पर ट्रायल के रूप में लागू किया गया है और यह आने वाले समय में और भी अधिक क्षेत्रों में लागू किया जाएगा।
नई पॉलिसी और छूट की संभावना | Toll Plaza News
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में ऐलान किया है कि सरकार नेशनल हाइवे पर टोल चार्ज के लिए एक नई पॉलिसी लेकर आएगी, जिसका उद्देश्य नियमित रूप से यात्रा करने वाले लोगों को टोल शुल्क में छूट देना होगा। इसके तहत, उपयोगकर्ताओं को एक साल के लिए 3000 रुपये और 15 साल के लिए एकमुश्त 30,000 रुपये का शुल्क दिया जाएगा।
गडकरी ने यह भी बताया कि मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए एनुअल और लाइफटाइम टोल चार्ज पर विचार किया है, जो नियमित यात्री और दीर्घकालिक उपयोगकर्ताओं के लिए किफायती हो। इससे लंबे समय तक टोल भुगतान के बजाय एकमुश्त शुल्क प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा, जिससे यात्रियों को सुविधा और छूट दोनों मिलेंगे।
इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश और टोल शुल्क की जरूरत
गडकरी ने राज्यसभा में यह स्पष्ट किया कि टोल शुल्क एक आवश्यक उपाय है, ताकि देश में सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन जुटाए जा सकें। उनका कहना था कि बेहतर सड़कें और यातायात सुविधाओं के लिए टोल शुल्क लिया जाना अनिवार्य है। यह सिस्टम उन क्षेत्रों में भी लागू होगा, जहां बड़े पैमाने पर सड़क निर्माण और विस्तार के लिए निवेश की आवश्यकता है। Toll Plaza News
उन्होंने यह भी कहा कि यह टोल चार्ज जनता को उच्च गुणवत्ता वाली सड़कों का लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। यदि हम सड़क नेटवर्क में सुधार चाहते हैं, तो उसे बेहतर बनाने के लिए कुछ निवेश करना होगा। Toll Plaza News
सैटेलाइट बेस्ड टोलिंग की प्रणाली
सैटेलाइट बेस्ड टोलिंग एक नई तकनीकी पहल है, जिसका उद्देश्य टोल प्लाजा पर लंबी कतारों को खत्म करना है। इस प्रणाली के तहत वाहन के गुजरने पर टोल स्वचालित रूप से कट जाएगा, जिससे वाहन चालक को रुकने या कैश या डिजिटल भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।
सैटेलाइट आधारित टोलिंग प्रणाली को लेकर गडकरी ने यह भी बताया कि इसके सही कामकाजी के लिए भारत के सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम, NavIC की मदद ली जाएगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए सटीक स्थान का निर्धारण करने के लिए NavIC में और अधिक सैटेलाइट नेटवर्क और रिसीवर विकसित करने की आवश्यकता है।
टोल प्लाजा के बीच दूरी और नई नीति
2008 में बने राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों के अनुसार, किसी भी नेशनल हाइवे पर एक ही दिशा और हिस्से में स्थित दो टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किमी की दूरी होनी चाहिए। यह नियम इसलिए बनाया गया था, ताकि यात्री को बार-बार टोल प्लाजा पर रुकने की परेशानी न हो। Toll Plaza News
गडकरी ने इस बात की भी जानकारी दी कि सैटेलाइट आधारित टोलिंग के प्रायोगिक चरण के बाद, सरकार नई टोल नीति को पेश करेगी। इसमें विभिन्न विवादों को सुलझाने और उपयोगकर्ताओं को उचित छूट प्रदान करने के उपाय शामिल होंगे।
2023-24 में टोल कलेक्शन
2023-24 के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल कलेक्शन में काफी वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर टोल कलेक्शन 64,809.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 35% अधिक है। यह वृद्धि सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण योजनाओं की सफलता का संकेत है।
भविष्य की दिशा और चुनौतियां
भारत में बढ़ते यातायात और यात्री संख्या को देखते हुए, सैटेलाइट बेस्ड टोलिंग का सिस्टम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। हालांकि, इसके साथ ही कुछ चुनौतियां भी होंगी, जिनमें सुरक्षा, गोपनीयता, ऑपरेशनल कंट्रोल और तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नई पॉलिसी का लागू करना शामिल है। गडकरी ने इस पर चर्चा की आवश्यकता को स्वीकार किया और कहा कि टोलिंग प्रणाली को पूरी तरह से निष्कलंक और पारदर्शी बनाने के लिए इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। Toll Plaza News
इस नई नीति और सैटेलाइट आधारित टोलिंग प्रणाली के सफल कार्यान्वयन से न केवल यात्रा को सुगम बनाया जाएगा, बल्कि इससे भारत के सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर को और भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
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