Bombay High Court verdict: मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस: 19 साल बाद 12 आरोपी बरी, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

Supreme Court

Bumbai bomb blast 2006: नई दिल्ली। वर्ष 2006 में मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले ने देश की न्यायिक प्रणाली और राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। इस निर्णय को भारत सरकार ने चुनौती दी है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर तत्काल सुनवाई की मांग की है। शीर्ष अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया है और गुरुवार को सुनवाई निर्धारित की है। इसमें यह तय किया जाएगा कि हाईकोर्ट के फैसले पर अस्थायी रोक लगाई जाए या नहीं। Bombay High Court verdict

महाराष्ट्र एटीएस ने भी दी चुनौती

इस बीच, महाराष्ट्र सरकार की एंटी टेररिज़्म स्क्वॉड (ATS) ने भी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। दोनों पक्षों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होने की संभावना है।

क्या था मामला?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेनों में सात स्थानों पर 11 मिनट के भीतर सिलसिलेवार धमाके हुए थे। इन बम धमाकों में 189 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 827 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस वीभत्स घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।

19 वर्षों का लंबा न्यायिक सफर | Bombay High Court verdict

  • नवंबर 2006 में चार्जशीट दाखिल की गई थी।
  • 2015 में विशेष टाडा कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी करार दिया।
  • इनमें से 5 को मृत्युदंड और 7 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
  • दोषियों ने इसके विरुद्ध बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।

अब, न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस. चांडक की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत सबूत अपर्याप्त और संदेहास्पद हैं। इसलिए सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए रिहा करने का आदेश दिया गया है।

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