7 वर्षों से कर रहे हैं साठी मूंग की खेती, किसानों के लिए बने प्रेरणास्त्रोत
- 17 वर्षों से कर रहे हैं साठी मूंग की खेती, किसानों के लिए बने प्रेरणास्त्रोत
- पानी और बिजली की बचत के साथ जमीन की उर्वरता में हुआ सुधार
बठिंडा (सच कहूँ/सुखजीत मान)। Bathinda News: फसल विविधिकरण के क्षेत्र में जहां पंजाब के किसान अब भी पारंपरिक फसलों पर निर्भर हैं, वहीं बठिंडा जिले के गांव गोलेवाला निवासी प्रगतिशील किसान निर्मल सिंह ने साठी मूंग की खेती को अपनाकर खेतीबाड़ी का एक नया और लाभदायक रास्ता दिखाया है। पिछले 17 वर्षों से वह गेहूं की कटाई के तुरंत बाद साठी मूंग की बुआई करते हैं और फिर बासमती व पछेती धान की फसल लगाते हैं। इस वैज्ञानिक और पर्यावरण अनुकूल पद्धति से उन्हें न केवल अतिरिक्त आमदनी मिल रही है बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर हो रही है। Bathinda News
इस वर्ष भी उन्होंने 11 एकड़ क्षेत्र में साठी मूंग की बुआई की है। मूंग की फसल 65 से 70 दिन में तैयार हो जाती है, जिससे गेहूं और धान की फसलों के बीच खाली समय का उत्पादक उपयोग हो पाता है। साठी मूंग औसतन प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल उत्पादन देती है और इसका बीज मात्र 10 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से उपलब्ध हो जाता है।
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अगली फसल को ऐसे मिलती है प्राकृतिक खाद | Bathinda News
निर्मल सिंह बताते हैं कि मूंग की फसल ना केवल उन्हें अतिरिक्त आमदनी देती है, बल्कि यह मिट्टी में जैविक रूप से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाकर अगली फसल के लिए प्राकृतिक खाद का कार्य भी करती है। इससे बासमती या पछेती धान की फसल में रासायनिक खादों की आवश्यकता कम पड़ती है, जिससे लागत घटती है और उपज की गुणवत्ता भी सुधरती है। उनका कहना है कि मूंग लगाने वाले खेतों में धान की बुआई वह 20 जुलाई के बाद करते हैं, जिससे पानी और बिजली की खपत में भारी बचत होती है, जबकि फसल समय पर तैयार होकर बाजार में अच्छा मूल्य दिलाती है।
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