
Ration Card New Rule: देहरादून (उत्तराखंड)। राज्य सरकार के बाल विकास एवं महिला सशक्तीकरण विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाले टेक होम राशन (THR) के वितरण में बड़ी और सख्त व्यवस्था लागू की है। अब राशन लेने के लिए बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। लाभार्थी की पहचान ‘पोषण ट्रेकर’ ऐप के जरिए होगी और सत्यापन के बिना किसी को भी राशन नहीं मिलेगा।
यह कदम फर्जी लाभार्थियों को योजना से बाहर करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। यह व्यवस्था डोईवाला ब्लॉक समेत देहरादून जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू कर दी गई है।
पहले क्या होता था, अब क्या बदला है | Ration Card New Rule:
पुरानी व्यवस्था
पहले आंगनबाड़ी केंद्रों में लाभार्थियों का पंजीकरण ऑफलाइन रजिस्टर में किया जाता था और बाद में उसे ऑनलाइन फीड किया जाता था। राशन लेने के लिए लाभार्थी के किसी भी पारिवारिक सदस्य को राशन दे दिया जाता था। इसमें किसी प्रकार का डिजिटल सत्यापन आवश्यक नहीं था।
नई व्यवस्था | Ration Card New Rule
अब लाभार्थी को स्वयं आंगनबाड़ी केंद्र पर उपस्थित होकर फेस रिकग्निशन आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन कराना होगा। सत्यापन के बाद लाभार्थी के आधार से लिंक मोबाइल नंबर पर ओटीपी (OTP) आएगा, जिसे दर्ज करने के बाद ही राशन दिया जाएगा।
इसके बिना कोई अन्य सदस्य या परिजन राशन प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
पोषण ट्रेकर ऐप: तकनीक से पारदर्शिता की ओर
बाल विकास विभाग ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल डिवाइस उपलब्ध कराए हैं, जिनमें ‘पोषण ट्रेकर’ ऐप इंस्टॉल किया गया है। इस ऐप की मदद से कार्यकर्ता लाभार्थियों का रीयल टाइम बायोमेट्रिक सत्यापन कर रही हैं।
इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि राशन केवल उन्हीं को मिले जो वाकई पात्र हैं।
इन लाभार्थियों को मिलेगा राशन
टेक होम राशन योजना के तहत निम्नलिखित वर्गों को राशन प्रदान किया जाता है।
गर्भवती महिलाएं
धात्री महिलाएं (जो स्तनपान करा रही हों)
6 माह से 3 वर्ष तक के बच्चे
अब इन्हें राशन लेने से पहले आधार लिंक और बायोमेट्रिक सत्यापन कराना जरूरी होगा।
राशन में प्रति लाभार्थी औसतन 3 किलो 800 ग्राम गेहूं और उतनी ही मात्रा में चावल दिया जाता है।
फर्जी लाभार्थियों की बढ़ती शिकायतों पर लगा विराम
बाल विकास विभाग को पिछले कुछ समय से कई शिकायतें मिल रही थीं, जिनमें लाभार्थियों द्वारा एक से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों से राशन लेने की बात सामने आई थी।
उदाहरण के लिए:-
कुछ लाभार्थी शहर और गांव दोनों जगह से राशन ले रहे थे।
कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता फर्जी नाम दर्ज करके अपनी उपस्थिति और गतिविधि दिखा रही थीं।
इन सभी समस्याओं पर अंकुश लगाने के लिए अब इस डिजिटल सत्यापन व्यवस्था को लागू किया गया है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बढ़ी
ऋषिकेश के गीता नगर-1 की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पिंकी भट्ट ने बताया कि नई व्यवस्था से उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ गई है।
अब उन्हें:-
हर लाभार्थी का बायोमेट्रिक सत्यापन करना है।
सत्यापन सफल होने के बाद ही राशन देना है।
पोषण ट्रेकर ऐप पर सारी जानकारी फीड करनी है।
इससे न केवल लाभार्थियों को सही समय पर सही राशन मिलेगा, बल्कि कार्यकर्ता की ईमानदारी और कामकाज की भी जांच हो सकेगी।
सत्यापन न कराने पर नहीं मिलेगा राशन
यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि कोई लाभार्थी:
आधार लिंक नहीं कराता
या बायोमेट्रिक सत्यापन नहीं कराता
तो उसे राशन नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में सभी लाभार्थियों को सूचना दी जा चुकी है।
फील्ड में शुरू हो गया है काम
डोईवाला ब्लॉक समेत अन्य आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यकर्ताओं ने लाभार्थियों का सत्यापन शुरू कर दिया है। जिन लाभार्थियों का सत्यापन पूरा हो चुका है, उन्हें नए नियमों के अनुसार राशन मिलना भी शुरू हो गया है।
नई व्यवस्था से क्या होंगे फायदे?
1. फर्जी लाभार्थियों की पहचान और निष्कासन।
2. लाभार्थियों को वास्तविक और पारदर्शी तरीके से योजना का लाभ।
3. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की जवाबदेही सुनिश्चित।
4. सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी की शुरुआत।
5. भविष्य में योजनाओं का डिजिटल ट्रैकिंग और निगरानी आसान।
राज्य सरकार का यह कदम पोषण सुधार और पारदर्शिता लाने की दिशा में अत्यंत सराहनीय है। बायोमेट्रिक सत्यापन जैसी तकनीक से जहां फर्जीवाड़ा रुकेगा, वहीं वास्तविक लाभार्थी को उसका हक समय पर मिलेगा।