Pakistan Army:नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में कुख्यात जासूसी एजेंसी आईएसआई की मदद से दो घातक आतंकी संगठनों लश्कर ए तैयबा (एलईटी) और इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) के बीच एक नये गठबंधन को क्रियान्वित किया गया है। यह गठजोड़ अफगानिस्तान और बलूचिस्तान के लोगों के लिए बढ़ रहे खतरे की ओर इशारा कर रहा है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि पाकिस्तानी सेना जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद को फिर से भड़काने का इरादा रखती है जिससे क्षेत्रीय शांति को भंग किया जा सके। आईएसकेपी की प्रचार पत्रिका “यलगार” के हालिया अंक में इस बदलाव का संकेत दिया गया है। इससे पता चलता है कि उनकी भारत के राज्य जम्मू- कश्मीर में अपनी गतिविधियों का विस्तार करने की मंशा है। इस गठजोड़ की आईएसआई पूरी तरह से मदद कर रही है। पत्रिका से जानकारी मिली है कि पाकिस्तान कथित तौर पर लश्कर ए तैयबा और आईएसकेपी के बीच सहयोग को सुगम बना रहा है और लश्कर के लॉजिस्टिक नेटवर्क का उपयोग आईएसकेपी की आतंकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
दरअसल पाकिस्तान सेना अपने क्षेत्रीय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आतंकी समूहों का छद्म रूप से उपयोग करती रही है। सेना की लंबे समय से चली आ रही यह नीति अब भी बेरोकटोक जारी है, इस कड़ी में अब आईएसकेपी उसका नवीनतम हथियार बनकर उभरा है। पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान बलूच राष्ट्रवादियों और तालिबान शासन के उन तत्वों को निशाना बनाते हैं जो इस्लामाबाद को चुनौती देते हैं। इसके लिए दाइश (आईएसआईएस) और आईएसकेपी का इस्तेमाल किया जाता है।
हाल ही में सामने आयी एक तस्वीर में आईएसकेपी के बलूचिस्तान समन्वयक मीर शफीक मेंगल को लश्कर ए तैयबा के सीनियर कमांडर राना मोहम्मद अशफाक को एक पिस्तौल उपहार में देते हुए दिखाया गया है। यह तस्वीर खतरे की घंटी बजा रही है और आईएसआई के सीधे संरक्षण में पाकिस्तान के विस्तारित आतंकी गठजोड़ को उजागर कर रही है।
लश्कर-ए-तय्यबा का वर्तमान नाजिम-ए-आला (वरिष्ठ संचालक) राना मोहम्मद अशफाक पाकिस्तान में समूह के विस्तार की देखरेख करता हैं। वह नए मर्कज (प्रशिक्षण और विचारधारा केंद्र) स्थापित कर रहा हैं और विभिन्न संप्रदायों के अन्य आतंकी समूहों के साथ परिचालन (आॅपरेशनल लिंक) संबंध बना रहा हैं।
मीर शफीक मेंगल बलूचिस्तान के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री नसीर मेंगल का बेटा हैं और लंबे समय से आईएसआई के एक प्रमुख व्यक्ति रहा हैं। एक दशक से अधिक समय से वह बलूच राष्ट्रवादियों को निशाना बनाने वाली एक निजी डेथ स्क्वॉड का नेतृत्व कर रहा हैं। 2015 से मेंगल बलूचिस्तान में आईएसकेपी के प्रमुख सहयोगी के रूप में कार्य कर रहा हैं। वह आतंकियों को सुरक्षित ठिकाने, धन, और हथियारों की आपूर्ति की व्यवस्था करता रहा हैं। उसकी भूमिका का 2015 के एक संयुक्त जांच दल (जेआईटी) की रिपोर्ट में भी उल्लेख किया गया था, जो पाकिस्तान की अपनी जांच एजेंसियों द्वारा जारी की गई थी। अब यह माना जा रहा है कि लश्कर-ए-तय्यबा बलूच विद्रोहियों के खिलाफ अभियानों में आईएसकेपी के साथ अपने लड़ाकों को तैनात करना शुरू कर सकता है, जैसा उसने अफगान जिहाद के दौरान अल-कायदा के साथ पहले सहयोग किया था। आईएसआई की देखरेख में एलईटी-आईएसकेपी का यह एकीकरण पाकिस्तान के आतंकी तंत्र में एक खतरनाक परिवर्तन का संकेत देता है, जहां वैचारिक रूप से भिन्न आतंकी समूह इस्लामाबाद के भू-राजनीतिक और सांप्रदायिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक जगह मिल रहे हैं। यह गठजोड़ न केवल बलूचिस्तान और अफगानिस्तान के लिए, बल्कि दक्षिण एशिया में व्यापक क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा पेश करता है।