पलकें बिछाए कब से, बाट हम जोह रहे थे…

Saint Ram Rahim
Saint Ram Rahim पलकें बिछाए कब से, बाट हम जोह रहे थे...

Poem For Saint Dr. MSG: आपके नूर की फिर हुई बरसात,
प्रेमियों ने घी के दिए जलाए हैं ।
महका-महका हुआ समां,
पूज्य गुरु जी घर आए हैं।।

अजी! देखो चंद्रमा भी शरमाया,
दो जहां का खुदा लौट आया है।
पावन धूली चरणों की लगा मस्तक पर
धरा ने भी खुशियों के गीत गाए हैं।
पूज्य गुरु जी घर आए हैं।।
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पलकें बिछाए कब से,
बाट हम जोह रहे थे।
व्यर्थ चिंता दुनिया की कर,
स्वांस कीमती खो रहे थे।
फिर भाग जगाने, खुशियां ढेरों लाए हैं।
पूज्य गुरु जी घर आए हैं।।
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ये अनामी दो जहां का खुदा,
सतयुग लेकर आएगा।
जो मानकर सिमरन करेगा,
नजारे अरबों गुणा वो पाएगा।।
ये सब का है मसीहा,
इसने गरीबों के बुझे दीप जलाए हैं।
पूज्य गुरु जी घर आए हैं।।

मानेगी सारी दुनिया,
चहुं और नफरत मिट जाएगी।
कुफर तोलने वाली रूहें,
फिर बड़ा पछताएगी
जिनको दुनिया ढूंढती है,
ये वो सतनाम हैं,
घट-घट की जानने वाला।
दो जहां का राम है।
अजी! खुशियों के गीत,
आसमां ने भी गाए हैं।
पूज्य गुरु जी घर आए हैं।।

@ कुलदीप स्वतंत्र