
छह साल के संघर्ष के बाद मिली नियुक्ति
पटियाला (सच कहूँ/खुशवीर तूर)। Patiala News: लंबे संघर्ष और धरनों के बाद अपंगता और गरीबी को मात देने वाले फाजिल्का जिले के पृथ्वी वर्मा को आखिरकार सरकारी शिक्षक की नौकरी मिल गई है। पृथ्वी ने तीन-तीन मुख्यमंत्रियों के दरवाजे पर नारे लगाए, पुलिस की धक्कामुक्की और लाठीचार्ज भी झेला। अब उन्होंने पटियाला जिले में बतौर ईटीटी शिक्षक अपनी नियुक्ति संभाल ली है।
फाजिल्का जिले के गांव डंगरखेड़ा निवासी पृथ्वी वर्मा ने 2019 से रोजगार पाने के लिए धरनों का रास्ता अपनाया। सबसे पहले उन्होंने पटियाला में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मोती महल के बाहर तीन साल से अधिक समय तक धरनों में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्हें पुलिस लाठीचार्ज और खींचतान का सामना करना पड़ा। इसके बाद मुख्यमंत्री बने चरणजीत सिंह चन्नी की रिहाइश के बाहर भी उन्होंने अपनी नौकरी के लिए धरना दिया। Patiala News
रिक्शे या अन्य साधनों पर बैठकर वह अपने साथियों के साथ हर प्रदर्शन में आगे रहते और सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाते रहे। आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद भी उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की संगरूर और चंडीगढ़ स्थित सरकारी रिहाइश के बाहर धरना दिया। कई बार पुलिस ने उन्हें उठाकर धरनों से हटाया।
पृथ्वी वर्मा ने बताया कि उनकी लड़ाई अपंगता और गरीबी दोनों से थी। रोजगार पाने के लिए तीन-तीन मुख्यमंत्रियों के प्रशासन से टकराना आसान नहीं था। छह साल के लंबे संघर्ष के बाद दिव्यांग कोटे की खाली पड़ी सीटों को भरा गया। हाल ही में उन्होंने पटियाला जिले के घनौर हलके के गांव झाड़वा में ईटीटी प्राइमरी शिक्षक के रूप में ज्वाइन किया है।
मीडिया का आभार जताया | Patiala News
गौरतलब है कि वर्ष 2020 में सच कहूँ अखबार ने पृथ्वी वर्मा के संघर्ष और हालातों पर विशेष स्टोरी प्रकाशित की थी। शिक्षक बनने के बाद पृथ्वी ने अपनी आवाज उठाने के लिए सच कहूँ का आभार व्यक्त किया।
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