गुरुद्वारे की आस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं, राकेश टिकैत ने हाईवे निर्माण रोकने की दी चेतावनी

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Meerapur गुरुद्वारे की आस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं, राकेश टिकैत ने हाईवे निर्माण रोकने की दी चेतावनी

मीरापुर।(सच कहूं/कोमल प्रजापति) ग्राम देवल स्थित बीआईटी चौकी के समीप बने गुरुद्वारे के पास पिछले कई माह से जारी किसान यूनियन का धरना मंगलवार को उस समय और जोर पकड़ गया, जब किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत स्वयं धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने मौके पर मौजूद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रशासनिक और हाईवे अधिकारियों को तुरंत बुलवाया तथा उनसे स्पष्ट शब्दों में कहा कि गुरुद्वारे से 260 मीटर के दायरे में किसी भी कीमत पर हाईवे का निर्माण कार्य नहीं होने दिया जाएगा।

टिकैत ने चेतावनी दी कि यदि किसी एनएचएआई कर्मचारी ने इस क्षेत्र में कार्य शुरू करने की कोशिश की तो किसान यूनियन उसका सामान जब्त कर लेगी और धरना-प्रदर्शन को तेज कर देगी। उन्होंने कहा कि यह गुरुद्वारा क्षेत्र के साथ-साथ यात्रियों की आस्था का केंद्र है, जहां प्रतिदिन हजारों लोग पहुंचते हैं। यहां चलने वाले लंगर में लोग भोजन ग्रहण कर विश्राम करने के बाद अपनी यात्रा आगे बढ़ाते हैं। यदि हाईवे का निर्माण इस स्थान पर कर दिया गया तो गुरुद्वारा दूसरी ओर छिप जाएगा और राहगीरों की नजर से ओझल हो जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या प्रभावित होगी।

उन्होंने कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया कि 260 मीटर तक का क्षेत्र चिन्हित कर वहां झंडे लगाए जाएं और वहीं से धरना समाप्त कर दिया जाए। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस दायरे में कोई कर्मचारी निर्माण कार्य करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ तत्काल विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा।

धरना स्थल पर इस दौरान एडीएम गजेंद्र सिंह, एसडीएम राहुल देव भट्ट, नायब तहसीलदार विपिन चौधरी, कानूनगो संजीव शर्मा और हल्का लेखपाल हरेंद्र सिंह मौजूद रहे। किसान यूनियन की ओर से जिला अध्यक्ष नवीन राठी, योगेश शर्मा, अशोक घटायन, योगेश बालियान, अमीर सिंह, प्रमोद अहलावत, गुलशन चौधरी, मास्टर महकर सिंह, जयप्रकाश, मोनू प्रधान, बबलू चपराना, खालिद चौधरी, सद्दाम और सतवीर सिंह सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।

धरने में राकेश टिकैत की मौजूदगी से किसानों का उत्साह देखते ही बन रहा था। यूनियन कार्यकर्ताओं ने संकल्प दोहराया कि गुरुद्वारे की आस्था और परंपरा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा और आवश्यकता पड़ी तो बड़े आंदोलन का रास्ता भी अपनाया जाएगा।