Supreme court News: नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की नयी सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अदालत ने कहा कि इस मामले में यथास्थिति बनाए रखना आवश्यक है।
पीठ ने यह कहते हुए कि आरक्षण कार्यपालिका की कार्यप्रणाली का एक हिस्सा है, उच्च न्यायालय के उस आदेश को प्रथम दृष्टया गलत बताया और उस पर रोक लगा दी। पीठ ने कहा, ‘यह आश्चर्यजनक है! उच्च न्यायालय इस तरह कैसे रोक लगा सकता है? आरक्षण कार्यपालिका के कार्यों का हिस्सा है। पीठ ने आगे कहा, ‘जो भी हो, आयोग (ओबीसी) ने कुछ कार्यप्रणाली अपनाई है, जो सही हो सकती है या गलत, इसका फैसला उच्च न्यायालय करेगा। प्रथम दृष्टया आदेश गलत है। हम आदेश पर रोक लगाते हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय को 6-8 सप्ताह के भीतर इस मामले पर फैसला सुनाने का निर्देश दे सकती है। पीठ ने कहा, ‘हम मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करेंगे कि वह एक विशेष पीठ का गठन करें, जिसमें विद्वान न्यायाधीश, (अध्यक्षता करने वाले को छोड़कर) सभी शामिल हों। पश्चिम बंगाल सरकार ने नयी ओबीसी सूची पर रोक लगाने वाले 17 जून के उच्च न्यायालय के आदेश की वैधता को चुनौती दी है। राज्य ने यह नयी सूची मई 2024 में उच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी सूची में 77 समुदायों को शामिल करने के फैसले को रद्द करने के बाद तैयार की थी।