मिलेगा ‘वन रैंक, वन पेंशन’ One rank, one pension
Supreme Court Order: नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों (High Court retired judges) की पेंशन को लेकर एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। यह निर्णय देश के न्यायिक इतिहास में एक नई मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह निर्णय पारित किया। न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि अब उच्च न्यायालयों से सेवानिवृत्त सभी न्यायाधीशों को समान स्तर की पेंशन दी जाएगी, भले ही उनकी नियुक्ति का स्रोत कुछ भी रहा हो — चाहे वे अधिवक्ता के रूप में नियुक्त हुए हों या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत होकर आए हों। Supreme Court
खंडपीठ ने निर्देश दिया कि
सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों को प्रति वर्ष 15 लाख रुपये की पूरी पेंशन दी जाएगी।
सेवानिवृत्त स्थायी और अतिरिक्त न्यायाधीशों को प्रति वर्ष 13.65 लाख रुपये की पेंशन प्राप्त होगी।
यह नियम सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों पर समान रूप से लागू होगा।
पारिवारिक पेंशन और विधवा लाभ में भी समानता | Supreme Court
निर्णय में यह भी कहा गया कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के परिवारों को भी वे सभी लाभ मिलेंगे, जो वर्तमान में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के परिवारों को प्राप्त हैं। इसमें पारिवारिक पेंशन और विधवा पेंशन भी शामिल है, जो अतिरिक्त न्यायाधीशों के परिवारों को भी उसी प्रकार मिलेंगे। यह निर्णय न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद आया है। वे देश के 52वें और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले न्यायमूर्ति के. जी. बालाकृष्णन इस पद पर आसीन हुए थे, जिन्होंने वर्ष 2007 में सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का कार्यभार संभाला था।