चिंता का कारण, कोरोना संक्रमितों का बढ़ता आंकड़ा

Coronavirus
लॉकडाउन का चौथा चरण देश में शुरू हो चुका है। लॉकडाउन के इस चरण में पहले से अधिक सहूलियतें नागरिकों को मिली हैं तो वहीं आर्थिक विकास को गति देने के विभिन्न उपाय भी इसमें शामिल किए गए हैं। वहीं देश में प्रवासी मजदूरों का पलायन भी लगातार जारी है। शहरों से गांवों की ओर कोरोना फैलने की आशंका इससे बलवती हो रही है। अगर देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या की बात करें तो उसका आंकड़ा एक लाख को पार कर चुका है। 138 करोड़ की आबादी वाले देश में एक लाख की संख्या कोई बड़ी नहीं दिखती। लेकिन जिस तेजी से प्रतिदिन कोरोना के नये मामले सामने आ रहे हैं, वो चिंता बढ़ाने वाले हैं। ठीक होने वालों का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, लेकिन कोरोना का कहर थमता दिखाई नहीं दे रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ठीक होकर घर लौटने वालों का आंकड़ा निरंतर बढ़ने से स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास जागा है और अब लोग जांच करवाने से भी नहीं डर रहे।
राजधानी दिल्ली में आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां 12,910 लोग वायरस से पीड़ित थे, जिनमें से कुल 6267 लोगों को डिस्चार्ज किया गया है और 231 लोगों की यहां मौत हुई है। उधर, गोवा में सिर्फ 66 मामले सामने आए हैं, इनमें से भी 16 को डिस्चार्ज किया जा चुका है। गुजरात में यह आंकड़ा 13,669 पहुंच चुका उधर, हरियाणा में कोरोना पीड़ितों की संख्या 1131 पहुंच चुकी है। हिमाचल प्रदेश में यह संख्या 185 पहुंची है, 57 को डिस्चार्ज किया गया, 4 की मौत हुई, जम्मू एवं कश्मीर में 1,569 मामले सामने आए हैं। कर्नाटक में कोरोना पीड़ितों का आंकड़ा 1,959 है। केरल में यह आंकड़ा 795 हो गया, 515 को डिस्चार्ज किया जा चुका है। मध्यप्रदेश में कोविड-19 वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या 6371 हो गई है, जिसमें से 3267 को डिस्चार्ज किया गया. यहां 281 लोगों की मौत हुई है। उधर, महाराष्ट्र में स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है। यहां अब तक सर्वाधिक 47,190 लोग कोरोनावायरस से पीड़ित बताए गए हैं। इनमें से 13404 को डिस्चार्ज किया गया है। अकेले महाराष्ट्र में 1577 मरीजों की मौत हुई है। देश में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम अभी भी कोरोना मुक्त राज्य बने हुए हैं।
ये कहने और मानने में संकोच नहीं होना चाहिए कि सरकार के उपायों के चलते भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में कोरोना अपना रौद्र रूप नहीं दिखा पाया है। लॉकडाउन से लेकर तमाम दूसरी सावधानियों के बावजूद देश में कोरोना वायरस संक्रमण के आंकड़े लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। रोज जिस तरह से हजारों नये मामले सामने आ रहे हैं, वे हमारी चिंता बढ़ाने वाले हैं। यह ठीक है कि संक्रमण और कोविड-19 से मरने वालों की संख्या यूरोप व अमेरिकी देशों जैसी नहीं है, मगर रफ्तार की दर कम भी नहीं है। उस पर ‘कोढ़ पर खाज’ यह कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया है कि हमें एड्स के वायरस की तरह बिना वैक्सीन के ही कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। यह सच स्वीकार करना आसान नहीं है, मगर हमें इसे देर-सवेर स्वीकार करना ही होगा। हमें लॉकडाउन चार में तमाम तरह की छूट मिली हैं, राज्यों के विवेक के अनुसार ग्रीन और आॅरेंज जोन में कई अन्य छूट भी मिल सकती हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपना और दूसरों का जीवन बचाने के लिए सुरक्षा उपाय अपनाएं। जब तक कि कोरोना वायरस का कारगर उपचार सामने नहीं आता, ऐसे में बचाव ही उपचार है, जिसमें नागरिक जिम्मेदारी की बड़ी भूमिका है।
हम एक ऐसे अदृश्य शत्रु से लड़ाई लड़ रहे हैं, जिससे लड़ने के तौर-तरीकों और उसे हराने के उपायों से बिल्कुल अपरिचित और अनजान हैं। हमारे पास चिकित्सा सुविधाएं पर्याप्त नहीं थीं। यहां तक कि जांच के लिए पर्याप्त लैब तक नहीं थी। अब तक सरकारी ‍व निजी लैबों ने बीस लाख टेस्ट का लक्ष्य पूरा कर लिया है। महत्वपूर्ण यह है कि यह लक्ष्य हमने मई के अंत तक हासिल करना था, जिसे कोरोना योद्धाओं के अथक प्रयासों से दो सप्ताह पहले हासिल कर लिया है। फिर भी कड़वा सत्य है कि एक अरब तीस करोड़ भारतीयों के देश में जांच की गति काफी धीमी है। ज्यों-ज्यों जांच बढ़ी है कोरोना संक्रमितों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है।
पहले तीन चरणों में सरकार के प्रयत्नों ने लोगों को बहुत कुछ समझा दिया। महामारी को लेकर लोगों में जागरूकता आई है। देश में महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए टेस्टिंग सुविधाएं बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य कर्मियों की प्रशंसनीय सेवाओं के फलस्वरूप देश में इस महामारी से लड़ने का मार्ग पहले ही प्रशस्त हो चुका है। जब तक महामारी पर नियंत्रण के लिए कारगर वैक्सीन का आविष्कार नहीं कर लिया जाता, हमें कोरोना के साथ सुरक्षित तौर पर जीना सीखना पड़ेगा। लॉकडाउन-4 के बावजूद सरकारों ने काफी कुछ खोल दिया है। सार्वजनिक परिवहन का एक हिस्सा भी चलने लगा है, लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जब तक राजकोषीय घाटा बढ़ा कर आम आदमी की जेब में नकदी नहीं डाली जाएगी, तब तक बाजार में मांग नहीं उठेगी, लिहाजा तब तक कारोबार का पुनरोत्थान भी नहीं होगा। बहरहाल प्रधानमंत्री को ही देशव्यापी अनिश्चितता भंग करने के लिए खुद ही एक प्रयास करना होगा। वायरस पहली बार इस देश में नहीं आया है, लेकिन करीब 70 दिनों तक देश तालाबंदी में जरूर रहेगा।
एम्स दिल्ली के निदेशक व कई अन्य विशेषज्ञों ने पिछले दिनों मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए इस बात की आंशका जाहिर की थी कि कोरोना वायरस जून और जुलाई में अपना रौद्र रूप दिखा सकता है। और उस हालत में लॉक डाउन में की जाने वाली छूट खत्म की जा सकती है। चूंकि अभी मामले की गम्भीरता बरकरार है ऐसे में हम सब लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि शारीरिक दूरी के साथ ही दूसरी जरूरी सावधानियों को जीवन का आवश्यक अंग बनाएं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा मंत्री समूह यानी जीओएम को बताया गया कि देश में कोविड-19 के इलाज के लिए समर्पित 919 अस्पतालों सहित कुल 8,694 केन्द्र, 2,036 स्वास्थ्य केन्द्र और 5,739 देखभाल केन्द्र हैं। इनमें गंभीर और अति गंभीर हालत वाले मरीजों के लिए 2,77,429 बिस्तर हैं, आईसीयू में 29,701 बिस्तर हैं जबकि पृथक वार्डों में 5,15,250 बिस्तर हैं। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए देश में फिलहाल 18,855 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। घरेलू विनिमार्ता रोज करीब तीन लाख पीपीई और इतनी ही संख्या मे एन-95 मास्क का निर्माण कर रहे हैं।
सरकारों, प्रशासन और जन-भागीदारी के प्रयासों से देश कोरोना मुक्त होता दिख रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों ने देश की आर्थिक स्थिति के पहिये को गति देने, लोगों की रोजी-रोटी के साधनों को सुचारु करने और देश को सुरक्षित रखने के लिए बहुत-सी राहतों के साथ देश में लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ा दिया है। लेकिन लॉकडाउन 4.0 में जो भारी ढील दी गई है, उसमें देश के लोगों का दायित्व बनता है कि वह कोरोना के प्रति लापरवाही न बरतें। ये समझ लीजिए किसी एक की गलती पूरे परिवार, मोहल्ले, क्षेत्र या शहर को संक्रमित कर सकती है। देश में जब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 450-500 थी तब लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। आज जब मरीजों का आंकड़ा 1 लाख को पार कर चुका हैै, तब सार्वजनिक परिवहन को हरी झंडी दिखाई जा रही है। अगर लॉकडाउन को लेकर सख्ती नहीं बरती गई तो देश में कोरोना मरीजों की संख्या में और वृद्धि होगी। यह चिंता का विषय है। आशा है सरकार जनता के सहयोग से जल्द से जल्द कोरोना पर काबू पाएगी। और आम आदमी फिर से सामान्य जिन्दगी बसर कर सकेगा।

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