औपचारिकता पूरी करने से समस्याएं नहीं रूकती

Fire

हमारे देश में कानूनों और नियमों की कोई कमी नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि इसका समुचित और कठोर रूप से क्रियान्वयन हो। तमिलनाडु के ताजा मामले में भी घटना के कारणों का पता लगाकर उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि दोबारा ऐसी घटना न घटे।

तमिलनाडु के विरुद्ध नगर में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण आग लग गई, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई है। इस घटना के पीछे मानवीय गलतियों के कारण नजर आ रहे हैं। वास्तव में पटाखा फैक्ट्रियों में आग लगने से जानें जाना आम बात हो चुकी है। आज भी कई जगहों पर अवैध रूप से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में पटाखा फैक्ट्रियां चल रही हैं। आज तक किसी भी घटना से सबक नहीं लिया जाता। एक घटना की जांच पूरी नहीं होती उतने में कोई दूसरी घटना घट जाती है। इससे पहले भी वर्ष 2012 में पटाखों के लिए विख्यात तमिलनाडु के शिवकाशी के ओमशक्ति फैक्ट्री में हुए हादसे में 55 लोगों की जानें चली गई थीं।

2018 में दिल्ली के बवना औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर-5 में अवैध रूप से चल रहे पटाखे की एक फैक्ट्री में भीषण आग लगने से 17 मजदूर जिंदा जलकर मर गए थे। पंजाब में 2019 में बटाला में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाका होने से दो दर्जन के करीब लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन उसके बाद भी पंजाब व अन्य राज्यों में कहीं न कहीं घटना घटती ही रही। राजनीतिक लीडर अपने रटे-रटाए ब्यान इस मामले की गंभीरता से जांच होगी, दोषी बख्शे नहीं जाएंगे, मुआवजा दिया जाएगा देकर अपनी औपचारिकता पूरी कर देते हैं। इसी तरह मामला लटकता रहता। दूसरे देशों में इस प्रकार की घटनाओं को बेहद गंभीरता से हल किया जाता है, ताकि दशकों तक उस घटना के दोबारा घटने की कोई गुंजाईश बहुत कम रहे। हमारे देश में कानूनों और नियमों की कोई कमी नहीं है।

आवश्यकता इस बात की है कि इसका समुचित और कठोर रूप से क्रियान्वयन हो। तमिलनाडु के ताजा मामले में भी घटना के कारणों का पता लगाकर उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि दोबारा ऐसी घटना न घटे। दरअसल पुलिस की ढीली कार्रवाई व भ्रष्टाचार के कारण दोषी कानून के शिकंजे से निकल जाते हैं जिस कारण मानवीय जानों के साथ खेलने वालों में कानून का खौफ खत्म हो जाता है। अगर किसी भी मामले में प्रशासन या पुलिस एक भी कार्यवाई करती, तो इस दुर्घटना को टाला जा सकता था। केवल दुर्घटनाओं के बाद जाँच कराना और मामले को टालने से समस्याओं का समाधान नहीं मिलेगा। यह मामला संवेदनशीलता दिखाने का है। सरकारों को मजदूरों/कर्मचारियों की जानें बचाने के लिए संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।

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