छुट्टियां खत्म, सुपर ब्रेन योगा से पढ़ाई का आगाज

Holidays finish, Super Brain Yoga begins academy

सराहनीय। बच्चों का मन पढ़ाई में लगाने तथा यादाश्त तेज करने के लिए भिवानी बोर्ड ने की अनूठी पहल

  • शिक्षा बोर्ड के राधा कृष्णन लैब स्कूल से हुई शुरूआत

भिवानी (इन्द्रवेश दुहन/सच कहूँ)। सोमवार को गर्मी की छुट्टियां खत्म होने के बाद बच्चे स्कूलों में लौटे। पहले ही दिन हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के राधा कृष्णन लैब स्कूल के सभी बच्चे प्रार्थना के वक्त अपने दोनों कान पकड़कर उठक-बैठक लगाते दिखे। इन बच्चों ने ना तो गलती कि थी और ना ही कोई शरारत। ये सब बच्चे अपने योग कोच के आदेश पर ये सब कर रहे थे और योगा कोच शिक्षा बोर्ड प्रशासन के निर्देश पर ये सब करवा रहे थे।

आपको बताते हैं कि दरअसल शिक्षा बोर्ड प्रशासन ने बच्चों का मन पढ़ाई में लगाने तथा यादाश्त तेज करने के लिए सुपर बे्रन योगा के नाम से ये अनूठी पहल शुरू की है। सचिव राजीव प्रसाद ने बताया कि इसी को लेकर लैब स्कूल में प्रयोग के तौर पर सुपर बे्रन योगा शुरू किया है, ताकि बच्चों में पढ़ने-सीखने व याद करने की क्षमता बढ़े। उन्होंने बताया कि दंड के रूप में दिखने वाला ये योग हर रोज एक से तीन मिनट करवाया जाएगा और इसके परिणाम सकारात्मक आने पर इसे पूरे प्रदेश के स्कूलों में शुरू किया जाएगा।

  • प्रार्थना में कान पकड़ा करवाई गई उठक-बैठक

सुपर बे्रन योगा के तहत लंबी छूट्टी के बाद स्कूल आकर प्रार्थना में अपने दोनों कान पकड़, उठक-बैठक लगाने वाले बच्चों ने भी इस पहल की बुराई की बजाय सराहना की। बच्चों ने बताया कि सुपर बे्रन योगा करते समय उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई।
वहीं सुपर ब्रेन योगा करवाने वाले योगा शिक्षक गजानंद ने बताया कि जब हम दोनों हाथों को उल्टा कर विपरीत दिशा के कान पकड़ते हैं और उठक-बैठक लगाते हैं तो उस समय जो रक्त संचार होता है, उससे हमारे मस्तिष्क में एकाग्रता व याद रखने की क्षमता बढ़ती है। योगा कोच का कहना है कि इस प्रकार के योग से आने वाले दिनों में बच्चों में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।

पुराने समय में बच्चों को कान पकड़वाना, उठक-बैठक लगवाना, हाथ खड़े करना या मुर्गा बनाकर सजा दी जाती थी। इस सजा का मतलब बच्चों को परेशान करना नहीं था, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण था। बच्चों द्वारा अपने कान पकड़ने, हाथ खड़े करने, उठक-बैठक करने या मुर्गा बनने से रक्त संचार बढ़ता है और उनमें एकाग्रता आती है। इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ती है और याद रखने की क्षमता बढ़ती है।
-राजीव प्रसाद, शिक्षा बोर्ड सचिव

 

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