जानें, कैसे एक दिव्यांग ने पैरों से अपनी किस्मत लिखना शुरू की

Story Of Handicap

पैरों से हाईस्कूल की परीक्षा पास कर नजीर पेश की

(Story of divyang (divine body)

नई दिल्ली (एजेंसी)। कहावत है कि जिंदगी कभी हार नहीं मानती हैं और यह कभी भी आसानी से हार न मानने की अपील भी करती है, यही जिंदगी की खासियत भी होती है। (Story Of Handicap) हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताएंगे, जिस व्यक्ति के दोनों हाथ नहीं है। हर काम के लिए दूसरों पर आश्रित रहने की बेबसी और मायूसी जिंदगी में भर दी।

इतने खराब हालात के बाद भी हार नहीं मानी। पैरों को ही सहारा बनाया और बेहतर भविष्य की इबारत लिखने निकल पड़ी। पैरों से निकले खूबसूरत अक्षर किस्मत में रोज नए मोती जड़ते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के एक दिव्यांग अमर बहादुर जो कि अमेठी जिले में रहते हैं। अमर बहादुर के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उनके हौसलों में कोई कमीं नहीं है। हाथ न होने के बाद भी उनकी पढ़ाई में कभी बाधा नहीं आई और उन्होंने पैरों से हाईस्कूल की परीक्षा पास कर नजीर पेश की।

हाईस्कूल की परीक्षा के दौरान कापी अपने पैरों से लिखी

अमेठी जिले के पिंडोरिया ग्राम के करेहेंगी गांव के रहने वाले अमर बहादुर, रामलखन और केवला देवी के दिव्यांग पुत्र हैं। अमर के हाथ बचपन से काम नहीं करते थे इस कारण उन्होंने पैरों से अपनी किस्मत लिखना शुरू की।

उन्होंने रामबली इंटर कॉलेज में साल 2017 में हाईस्कूल की परीक्षा के दौरान कापी अपने पैरों से लिखी। परीक्षा परिणाम आने के बाद लोग दंग रह गए। 59 प्रतिशत अंक लाकर अपने गांव का मान बढ़ा दिया।

  • मां ने बेटे की इस सफलता पर बताया कि इसके दोनों हाथ बचपन से ठीक नहीं है।
  • मां ने कहा, ‘ इसे पहले हम खाना खिलाते थे लेकिन अब वह अपने पैरों से खुद ही खाना खाता है।
  • बचपन से ही इसकी पढ़ने में रुचि थी।
  • छोटी आयु से ही आसपास के बच्चों को पढ़ने जाते देख पढ़ाई की जिद करता था।
  • वह पैर से ही सिलेट पर लिखने लगा।
  • हम लोगों ने तब उसका उत्साह बढ़ाना शुरू किया।
  • अमर ने बताया कि हाईस्कूल की परीक्षा पास करने से मेरा हौसला बढ़ा है।
  • मैं ज्यादा मेहनत करूंगा और शिक्षक बन कर देश समाज का नाम रोशन करूंगा।

 

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