भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ: पूज्य गुरुजी

Saint Dr MSG, Precious Words

रूहानी सत्संग: उमस भरी गर्मी के बावजूद पूज्य गुरु जी के दर्शनों को पहुंची लाखों में साध-संगत, 22780 लोगों ने लिया गुरुमंत्र

सरसा। सत्संग में आना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। भाग्यशाली होते हैं वह जीव, जो सत्संग में चलकर आते हैं, पर और भाग्य बना लेते हैं जब वह सुनकर अमल कमाया करते हैं। आप भाग्यशाली बनो उसके लिए जरूरी है, सत्संग सुनना। उक्त वचन पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रविवार को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित रूहानी सत्संग में फरमाए। सत्संग के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की और पूज्य गुरुजी के वचनों को श्रवण किया। सत्संग के दौरान पूज्य गुरुजी ने 22,780 लोगों ने गुरुमंत्र लिया। हजारों लोगों ने जाम ए इन्सां ग्रहण कर बुराइयां त्यागने का संकल्प लिया।

कलियुग में सबसे मुश्किल है राम के नाम में बैठना

श्रद्धालुआें को पावन वचनों से लाभांवित करते हुए पूज्य गुरुजी ने फरमाया कि आज का दौर कलियुग का दौर है, इस दौर में इन्सान मनमते ज्यादा चलता है। काम-वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार, मन और माया इन सब ने इन्सान को अपना गुलाम बना रखा है। आज इन्सान विषय विकारों में समय लगाता है, ठग्गी, बेईमानी, भ्रष्टाचार में समय लगाता है, झूठ बोलना उसमें समय लगाता है, चुगलियां करना, निंदा करना, गप मारना यह आजकल आम बात हो गई है। इस कलियुग में सबसे मुश्किल है राम के नाम में बैठना। राम के नाम का जाप करना।

आपजी ने फरमाया कि दस मिनट भी अगर प्रभु का नाम लेना पड़ जाए तो ऐसे लगता है कि जैसे बहुत सारा बोझ उठा लिया हो, ऐसे लगता है जैसे बहुत बड़ी कुर्बानी दे दी हो। दुनियां की तमाम बातें मसालेदार लगती हैं लेकिन राम नाम की बात अलुनी सिल की तरह लगती है कि यह तो बकबका समान है लेकिन आप नहीं जानते कई बकबकी चीजें सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। नीम की दातुन बड़ी कड़वी होती है लेकिन दातों के साथ मुंह की बहुत सी बीमारियों से निजात दिला देती है। नीम, करेला, जामुन, मैथी यह ऐसी चीजें है जिसे कोई खाना पंसद नहीं करेगा लेकिन क्या आप जानते है कि यह चीजें शरीर सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है और पुरातन समय में लोग इन्हें खाया करते थे।

निंदा चुगली कभी भी नहीं करनी चाहिए

गांव में बड़ा अच्छा सा फल होता है नीम की निमौली। नीम के बीज लगते हैं पहले वह हरे रंग की होती है और फिर बाद में पीला रंग की हो जाती है। फिर हल्का सा संतरा रंग हो जाता है तो जब निमौली का रंग पीला या संतरा होता है तब वह खा ली या चुस ली जाए तो वह बहुत ही मीठी होती है और बड़ी ही गुणकारी होती है तो कहने का मतलब हर मीठी चीज फायदेमंद नहीं होती और हर कड़वी चीज नुकसानदायक नहीं होती।

मीठे में चीनी है और अब डॉक्टर मानने लगे हैं कि चीनी सबसे घातक है, नमक है वह भी सबसे घातक है और आप नमक मिर्च वाली बाते ही पंसद करते हैं। जब खाने पीने में नमक मिर्च घातक है तो जो बातें भी नमक मिर्च वाली होती है वह भी उतनी ही घातक है। चुगली करते हो, एक तरह से आप दूसरों की मैल धोते हो, एक तरह से आप दूसरों की बुराइयां अपने आप में प्रवेश करने का मौका देते हो, इसलिए निंदा चुगली कभी भी नहीं करनी चाहिए।

समाज भलाई व राम-नाम की बातें करो

पूज्य गुरुजी ने फरमाया कि लोगों का एक रूतबा हो जाता है, लोग कहते हैं कि यह बंदा तो झूठ ही झूठ बोलता है, सारी जिंदगी निकल जाती है उन लोगों की लेकिन जब तक दिन में दस पंद्रह बार झूठ न बोल दे उनकी रोटी हजम नहीं होती और कोई भी उन पर यकीन नहीं करता। पता है कि छोड़ रहा है, झूठ बोल रहा है तो बातें वह करो जिसका कोई मूल्य हो, राम नाम की बात करो, हम गांरटी देने को तैयार हैं राम नाम की बात का मूल्य लाखों करोड़ो से बढ़ कर होगा।

सृष्टि की भलाई की बातें करो। हम आपको गारंटी देते है सृष्टि की भलाई की बातें करने से किसी का भला हो ना हो आपका भला जरूर होगा। पुण्य दान की बात करो। सच्चा पुण्य, सच्चा दान बीमारों का ईलाज करवा दो, भूखों को खाना खिला दो, प्यासे को पानी पिला दो। यह कार्य करने की बातें करोगे और आप इन कार्यों को करोगे तो हम आपको गारंटी देते हैं कि आपका ही नहीं आपके परिवार का भला जरूर हो जाएगा।

तो यह वह बातें हैं तो मूल्यवान होती है, देश की तरक्की की बात, इन्सानियत और समाज के भले की बात यह बातें आप करो इसके साथ राम नाम की बात जैसे जैसे आप करते जाओगे वैसे वैसे आत्मिक शांति, आत्मिक आंनद आता जाएगा, लेकिन ऐसी बातें करने वाले बहुत कम होते हैं।

लग्न से सुनें सत्संग

पूज्य गुरुजी ने फरमाया कि आप सत्संग में आते हैं, हम भी सत्संग में आया करते थे और देखते थे कि सत्संग में कोई नया सज्जन आके बैठा है उससे हाथ मिलाया उससे पूछा सुना क्या हाल चाल है उधर राम नाम की चर्चा हो रही है। और इधर कोई और चर्चा हो रही है, बड़े दिनों के बाद आया है क्या हो गया और वह शुरू हो जाता है कि मेरे घर यह परेशानियां थी, मेरे घर में ये था वो था वगैहरा वगैरहा लेकिन वो जिसे सुना रहा है क्या वह तेरी तकलीफ दूर कर देगा, नहीं ना।

अरे, सत्संग में तो खास कर, कोई भी तकलीफ कोई भी परेशानियां है अगर आप सत्संग लग्न से सुनोगे तो क्या पता वह मालिक आपकी परेशानियां दुख तकलीफ एक मिनट में दूर कर दे। ऐसी बातें अगर आपको सुनानी है , जो इसे सुनने के लायक है तो वह अल्लाह, वाहेगुरू, सतगुरू राम है जो सुनेगा भी और परेशानियां दूर भी करेगा।

इन्सान, इन्सान को क्या देगा

इन्सान, इन्सान को क्या दे सकता है। ठीक है! आप घर परिवार में हैं तो आपस में बात करने से कोई परेशानी नहीं है उससे दिल हल्का होता है। आप अपने गम को शेयर करो लेकिन सुनने वाला सच्चा दोस्त हो, सच्चा इन्सानियत का पहरेदार हो, उसके सामने अगर बात करो तो हो सकता है कि कुछ न कुछ वह आपको राह दिखा दे और ऐसा करने से आपका गम भी थोड़ा बहुत दूर हो जाएगा। पर आम तौर पर लोग बेवजह बिना सिर पैर की बातें करते हैं।

आजकल के नौजवान कहीं भी बैठते हैं तो बैठते ही शुरु हो जाते हैं कि चलो गपशप मारते हैं। हमें लगता है गप का मतलब तो जो आप झूठ बोलते हो, और शप का मतलब समय की बर्बादी है, कि आ जाओ गप मारकर समय की बर्बादी करते हैं। क्यों भाई? आज जो जिंदगी का दिन जी रहे हो वो आज ही है, कल नहीं आएगा। ये दिन आपकी जिंदगी में से कम हो गया। जो दिन, घण्टा, मिनट, सेकेण्ड गुजर जाता है आपकी कुल उम्र में से कम हो जाता है।

आप निरंतर अपने अंतिम समय (मृत्यु) की ओर जा रहे हैं। तो फिर क्यों न हर दिन को नेकी में गुजारा जाए, खुशी में गुजारा जाए। क्या आपको ये शरीर खाने, पीने, सोने के लिए मिला है? आपका दिन गुजर रहा है, पर कुछ ऐसा गुजारो कि आने वाली दुनिया के लिए वो दिन रोशनी से भरा हो लोग उसकी रोशनी से आगे बढें। वो दिन राम नाम से, अच्छे कर्म करने से व लोगों का भला करने से गुजरेगा।

अच्छाई में समय लगाओ

पूज्य गुरुजी ने फरमाया कि हमने देखा शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों की फोटो विदेशों की किताबों में आ गई हैं, और वो फोटो इसलिए नहीं आई कि उसमें कुछ खास बात है वो फोटो इसलिए आई उन्होंने मानवता भलाई का खास काम किया था। लोग याद रखते हैं कि ये अच्छे काम करने वाले हैं, ये भले काम करने वाले हैं। इसलिए अच्छाई में समय लगाओ, समय का सदुपयोग करो। समय तो गुजरेगा लेकिन गुजरते समय के साथ-साथ समझ लेनी चाहिए, नासमझ नहीं बनना चाहिए।

कई लोग अच्छी-भली जिंदगी गुजार रहे होते हैं पर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे ही उनके गलत कामों की लिस्ट बढ़ती जाती है। आपको अच्छे कर्म करने हैं, आपको बुराइयों को छोड़ना है। आपको लगता है कि जिंदगी जीने का तजुर्बा ही अब आया है पहले तो पता नहीं था कि जिंदगी कैसे जीनी है? जिंदगी में क्या नजारे मिल सकते हैं? उम्र हो जाने पर आप कहते हो कि मुझे तजुर्बा आ गया। और लोग गलत कर्म करने लगते हैं।

अरे! आपकी उम्र गुजर गई, इसका मतलब ये नहीं है कि आपने गलत कार्य नहीं किए तो पश्चाताप हो रहा है बल्कि अच्छे कर्म नहीं किए उसका पश्चाताप होना चाहिए। और सिर्फ पश्चाताप ही नहीं, जो समय बचा हुआ है उसका सदुपयोग करते हुए अच्छे कर्म करो, क्योंकि समय का सदुपयोग आपको समाज में परिवार में इज्जत दिलाएगा। वो तमाम खुशियां देगा जिसकी आपने कभी कल्पना नहीं की होती। समय का सदुपयोग करना बहुत जरूरी है।

दुनिया को भारत ने सिखाई प्यार की परिभाषा

आपजी ने फरमाया कि भारतीय सभ्यता बहुत ही आगे थी। लेकिन आपने उसे मामूली बना दिया आपको लगता है कि विदेशी लोगों की सभ्यता, संस्कृति हमसे ज्यादा है। ये आपको भ्रम है, गलत सोच है। आप तो इतना ही जानते हैं कि भारत ने पूरी दुनिया को शून्य, दशमलव दिया, पर आप ये नहीं जानते कि प्यार की परिभाषा सिखाई भारत ने पूरी दुनिया को। लोग पशुओं की तरह रहते थे। हजारों साल पहले पवित्र वेदों में प्यार की परिभाषा सिखाई गई। और यहीं से ये भाषा पूरी दुनिया में फैली। इसलिए आप ये मत सोचो कि आप पिछड़े वर्ग से हो। संस्कृति, सभ्यता का उदय कहीं से हुआ है तो वो है भारत।

हमारी नालंदा विश्वविद्यालय में यूएसए, कनाडा, यूके बाहर जितनी भी कंट्री हैं वहां के लोग पढ़ना पसंद करते थे। और पूरी दुनिया को बताया करते थे कि हम नालंदा यूनिवर्सिटी में पढ़कर आए हैं। और आज कोई अमेरिका या कनाडा पढ़ने गया होता है तो और कुछ हो न हो, टूटा सा सेंट लगाकर 15-20 लोगों को बात सुना प्रभावित कर लेते हैं कि तुझे पता नहीं मैं कनाडा गया हूं। दो-चार शब्द बोलना सीख लेते हैं। इंग्लिश को नाक में बोल लेते हैं विदेश की हो गई। और अगर हम मुंह से इंग्लिश बोलेंगे तो तो इंण्डियन इंग्लिश हो जाती है।

लोग अब तो फूफा को भी अंकल और मामा को भी अंकल कहने लगे हैं। पहले चाचा नहीं कहलवाने देते थे। आज वालों को तो पता ही नहीं है हर एक को अंकल चाहे जो भी हो। क्या आपको अपनी भाषा बोलने में सहज नहीं लगती।

हमारी भाषा में हर चीज का अलग नाम है। हमारी भाषा बड़ी ही मीठी है, वो अलग बात है कि आपने बिल्कुल बुरा हाल कर रखा है। जब किसी को घर बुलाते थे तो कहा करते थे- आइए, आप घर, आईएगा न। तो आजकल की बात होती है- आएंगा? बस यहीं पर बात खत्म। सारी मिठास को खूह-खाते में डाल दी जाती है। आपने भाषा का कचरा करके रख दिया है वरना इतनी मीठी भाषाएं हैं पर आप जीभ पर जोर नहीं लगाना चाहते इसलिए भाषा का कचरा किया हुआ है। हमारी संस्कृति, सभ्यता बहुत ही अच्छी है।

हमारी संस्कृति बहुत महान है

आपजी ने फरमाया कि हमारी संस्कृति बहुत महान है। आपको लगता है कि हमारी संस्कृति में कमी है ये आपका भ्रम है। हम महान सभ्यता का हिस्सा हैं जिसने पूरी दुनिया को सभ्यता सिखाई है। हमारे देश में ये सिखाया गया है कि 25 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। खासकर 23 सालों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए था। आप कहते हो कि पहले ताकत ज्यादा थी दिमाग कम था तो ये आपकी गलतफहमी है। पहले साऊंडलेस जहाज होते थे, आज तक नहीं बने। पहले परमाणु कंधे पर रखकर चलते थे आज तक नहीं हुआ। पहले परमाणु चल जाता था तो उसे रोका जा सकता था जो आज तक संभव नहीं हुआ। पहले जब चाहे वर्षा करवा लेते थे , जो आज तक संभव नहीं हुआ।

 ब्रह्मचर्य का पालन करना

पहले शरीर ही नहीं दिमाग भी आज के दौर से कई गुना ज्यादा पावरफुल और स्वस्थ होते थे। क्योंकि पच्चीस साल तक बच्चों को पता ही नहीं होता था कि गृहस्थ जिंदगी होती क्या है? गुुरुकुल में पढ़ाया जाता था, सख्त निर्देश होते थे। 23 साल तक ब्रह्मचर्य के अकॉर्डिंग युद्ध कला, विज्ञान कला, धर्म कला, समाज कला बहुत सारी अन्य कलाएं यानि शिक्षाएं दी जाती थी।

और 24-25 साल में गृहस्थ जीवन के बारे में बताकर 25 साल के बाद शादी की जाती थी तब जाकर पता चलता था कि ये नर और मादा होते हैं, अदॅरवाईज ब्रह्मचर्य पर ही जोर दिया जाता था और लोग सच्चे दिल से पालना करते थे। तब जो हाईट होती थी वो इंचों, सेंटीमीटरों और फुटों में नहीं हाथों में नापी जाती थी कि ये सात हाथ का है। सात हाथ का मतलब 10 फुट का कम से कम माना जाता था। और आजकल साढ़े सात फुट ही हो जाए तो जाने क्या हो जाए? यूं लगेगा जैसे आदमियों में कोई ऊंट घूम रहा है।

पहले हमारी ही प्रजाति थी। हमारे ही पूर्वज थे जिनकी हाईट इतनी होती थी और पावर कितनी थी, दिमाग कितना तेज था वो भी कहने-सुनने से परे है। इंसान पुनर्विकसित हुआ तो इंसान को लगता है कि पहले पिछड़े वाले थे आज वाले ज्यादा तेज हैं। कोई तेज नहीं है ये सिर्फ आपका भ्रम है। आज के युवा को ज्यादा अहंकार हो गया हो तो साऊंडलेस जहाज बना कर दिखाओ। परमाणु को कंधे पर टांगकर दिखाओ। जब चाहे बरसात करवा के दिखाओ। चन्द्रमा की रोशनी से खाना बनाया जाता था। पहले के लोग सफल क्लोन ज्ञाता थे, लेकिन ये सब तब कहीं देखने को नहीं मिलता।

सवाल-जवाब

सवाल: किसी के पूर्वज अच्छे कर्म करते हैं तो आने वाली पीढ़ी सुखी रहती है, और बुरे कर्म करने पर दु:खी रहती है, शास्त्रों में लिखा है कि जो जैसा कर्म करेगा वैसा ही फल भोगेगा। तो पूर्वजों के किए हुए कर्मों का फल आने वाली पीढ़ी क्यों भोगती है?

जवाब: आपके पूर्वज करोड़ों रूपए कमाकर जाएं तो आप प्रयोग में लाते हो क्योंकि वो आपकी जद्दी-जायदाद है। उसी प्रकार पूर्वजों के कर्म भी आपको ही भोगना पड़ेगा।

सवाल: दुनिया में सबसे मुश्किल काम क्या है?

जवाब: आज के दौर में राम का नाम जपना सबसे मुश्किल काम है। बड़े आसान से शब्द होते हैं पर उनका जाप करना ऐसा लगता है जैसे बोझा उठाना हो। अपनी आदतों को बदलना ये भी बहुत मुश्किल काम होता है।

सवाल: पूज्य पिता जी, सपने मे जो आप जी दर्शन देते हो, वचन करते हो, क्या वो हम परिवार में बता सकते हैं जी?

जवाब: हां, जो आप सत्संग सुनते हो या समाज भलाई की बात, परिवार के भले की बात हो तो बता सकते हैं। अगर आपकी पर्सनल बात है तो वो कभी शेयर नहीं करनी चाहिए।

7 परिवारों को सौंपी मकान की चाबी

पूज्य गुरु जी ने सत्संग के दौरान 7 जरूरतमंदों विधवा सावित्री, पटौदी जिला गुरूग्राम, विधवा बबली इन्सां (गुरूग्राम), विधवा सीमा इन्सां, ब्लॉक कोटकपूरा (पंजाब), कालू इन्सां, ब्लॉक नाथूसरी कलां (सरसा), धर्मपाल इन्सां, ब्लॉक बुढलाड़ा (मानसा), निर्भय इन्सां, ब्लॉक शेरपुर (संगरूर) और संदीप कुमार, ब्लाक बरनाला (पंजाब) को साध-संगत द्वारा बनाए गए मकानों की चाबियां दी।

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