कृषि अध्यादेशों के विरोध में बंद रही प्रदेश की मंडियां

Mandis of the state remained closed in protest against agricultural ordinances

किसानों और आढ़तियों ने काली पट्टी बांधकर जताया विरोध

  • डीसी के माध्यम से पीएम और सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
  • आढ़ती बोले : अध्यादेश लागू होने से केन्द्र सरकार को हर माह होगा 50 हजार करोड़ का घाटा
चंडीगढ़ (सच कहूँ ब्यूरो)। भले सरकार और मंत्री कृषि से जुड़े अध्यादेशों को किसानों के हित में बताते थकते ना हो, लेकिन किसान व आढ़ती शुरू से इनके विरोध में हैं। शुक्रवार को हरियाणा सहित राजस्थान, पंजाब व चंडीगढ़ में आढ़तियों ने सांकेतिक हड़ताल की, जिसमें किसान संगठनों ने भी उनका साथ दिया। आढ़ती व किसानों ने 10 सितंबर को पिपली में महापंचायत कर बड़े आंदोलन का एलान कर सरकार को चेतावनी दी है। भिवानी में आढ़ती सुभाष मित्तल ने बताया कि ये अध्यादेश किसान, आढ़ती, व्यापारी व मुनीमों को बर्बाद कर देंगे। इसके बाद खुद केन्द्र सरकार को भी प्रति माह 50 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि ये सांकेतिक हड़ताल है। आने वाले दिनों में जब कपास व बाजरे की फसल आएगी, तब आढ़ती व व्यापारी अपनी ताकत सरकार को दिखा देंगे। वहीं भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान राकेश आर्य ने भी तीनों अध्यादेशों को किसान विरोधी बताया और कहा कि ये अध्यादेश छोटूराम की आढ़ती व किसान की व्यवस्था को खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अगर तय करे कि कोई कंपनी किसी भी फसल को एमएसपी के कम खरीदेगी तो सजा का प्रावधान होगा, तो किसान इन अध्यादेशों को मान लेंगे। रोहतक में भारतीय किसान यूनियन अंबावाता के प्रदेशाध्यक्ष अनिल नांदल उर्फ बल्लू प्रधान ने आढ़तियों का समर्थन करते हुए कहा कि आढ़ती और किसान का परस्पर व स्वस्थ तालमेल है, जिससे हरियाणा का किसान पूरी तरह संतुष्ट है। उन्होंने कहा कि सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते आज खेती घाटे का सौदा बन गई है। सरकार किसानों को राहत देने की बजाए काले काननू लागू कर रही है, जिसके चलते किसान आत्महत्याएं करने पर मजबूर है। उन्होंने तुंरत केन्द्र सरकार से इन कृषि विरोधी अध्यादेशों को रद्द करने की मांग की।

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