पूर्व सीएम चौ. भजन लाल से खत्म करवाया था चौधर को लेकर संघर्ष
भूना/फतेहाबाद (सच कहूँ/संगीता रानी)। Special Sunday: गांव नाढोड़ी का इतिहास गौरवशाली रहा है। पौने चार सौ वर्ष पहले नड्ढ़ा जाट ने यहां डेरा लगाया था। जिसके बाद अलग-अलग कई बिरादरी के लोग आकर बसे थे। इसलिए तब गांव की नड्ढ़ा से पहचान थी। मगर धीरे-धीरे गांव का नाम नाढोड़ी में तब्दील हो गया। हालांकि गांंव में बिश्नोई बिरादरी के लोग लगभग 57 फीसदी हैं। Special Sunday
जबकि नड्ढ़ा जाट के वंशज की गांव में बढ़ोतरी अधिक नहीं हुई। वहीं अन्य विभिन्न जातियों के लोग सुुख-दुख में मिल-जुल कर रहते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि 30 साल पहले तक इस गांव में परिवारों के बीच चौधर को लेकर संघर्ष चलता रहा, जिसके कारण आपसी शत्रुता थी। मगर चौधरी भजन लाल के सीएम बनने के बाद गाँव में आपसी शत्रुता खत्म हो गई। आज हर परिवार एक-दूसरे के सुख-दुख में साझीदार रहता है।
ये हैं सुविधाएं | Special Sunday
नाढोड़ी के बुजुर्गों ने बताया कि गांव में पहले मिट्टी के कच्चे मकान होते थे। गांव के जोहड़ की चिकनी मिट्टी से र्हंटें बना उनसे मकान बनाए जाते थे। जो धीरे-धीरे विकास होता गया और मकान पक्के बनते चले गए। इस समय गांव में एक पशु अस्पताल, एक आयुर्वेदिक अस्पताल, एक प्राइमरी कन्या स्कूल, एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, एक प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र, जलघर, बिजली घर, खेल स्टेडियम, लड़कियों की फुटबॉल नर्सरी, पांच आंगनवाड़ी केन्द्र व गांव में एक गोशाला है, जिसमें 600 के लगभग गाय हैं।
धारनिया गोत्र के लोगों का रहा है सरपंची पर दबदबा
गांव नाढोड़ी के सबसे पहले सरपंच बृजलाल धारनिया चुने गए थे। दूसरे नंबर पर गनी राम धारनिया सरपंच बने। तीसरे सोहनलाल गोदारा को कार्यकारी सरपंच बनाया गया था। चौथे नंबर पर हनुमान सिंह धारनिया, पांचवें नबर पर मनफूल सिंह धारनिया, छठे नंबर पर रामनारायण धारनिया, सातवें नंबर पर डिप्टी प्रसाद शर्मा, आठवें नंबर पर रविंद्र कुमार धारनिया, नौवे नंबर पर भूप सिंह डेलू, दसवें नंबर पर कृष्ण कुमार धारनिया व 11वें नंबर पर सुमित कुमार धारनिया रहे। अब 12वें नंबर पर वर्तमान सरपंच नरेंद्र सिंह गांव के विकास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
एक नजर
जनसंख्या:-11500
मतदाता: 5300
जिला मुख्यालय से दूरी: 28 किलोमीटर
कनेक्टिविटी: सरसा-चंडीगढ़ स्टेट हाईवे दो, रेलवे नहीं
प्रमुख उत्पादन: धान, गेहूं, नरमा, सरसों, मुंग, बाजरा
आय का स्रोत: कृषि एवं पशुपालन
गांव का रकबा: 12000 बीघा
200 वर्ष पहले ग्रामीणों ने खरीदी थी 12 सौ बीघा जमीन
नाढोड़ी के इतिहासकार बताते हैं कि यह क्षेत्र मुस्लिम चराकली नामक व्यक्ति के अधीन था। उससे भूना के एक सेठ ने खरीद लिया था। लेकिन अधिक मुनाफा देकर नाढोड़ी के सदाशुख धारनिया ने कुछ ग्रामीणों के साथ मिलकर 2 लाख 70 हजार रुपये में 12000 बीघा जमीन खरीदी थी। गांव की वर्तमान में जनसंख्या 11500 से अधिक है। ग्राम वासियों ने गोसेवा के लिए पंचायती जमीन में श्मशान भूमि के पास करीब 10 एकड़ भूमि में गोशाला बनाई हुई है। जिस में प्रतिवर्ष गेहूं व तूड़ी आदि भारी मात्रा में चंदे के रूप में दान देते हैं। इसलिए गांव के लोग पर्यावरण, जीव जंतुओं की रक्षा तथा स्वच्छता को लेकर सजग हैं।
जीवों की रक्षा व पौधारोपण बनी मिसाल | Special Sunday
गांव नाढोड़ी के लोगों में जीवों के प्रति अनूठा प्रेम है। जो गुरु जंभेश्वर भगवान की शिक्षाओं को आज भी ग्रहण किए हुए हैं। बिश्नोई धर्म के नियमों का पालन कर रहे है। खेतों में जीव-जंतुओं को फसल में विचरण करने से रोका नहीं जाता। यहां काफी संख्या में वन्य जीव है। यहां के लोगों को जीव हत्यारों से सख्त नफरत है। इस कारण खेतों में सैकड़ों की संख्या में काले एवं सामान्य हिरण, नील गाय व खरगोश देखे जा सकते हैं।
ढाणियों में रहने वाले लोग पालतू कुत्तों को नहीं रखते। शिकारियों को नाढोड़ी क्षेत्र में दूर-दूर तक घुसने से भी डर लगता है। जीव की रक्षा के लिए अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा की टीम पिछले कई वर्षों से निस्वार्थ भावना से काम कर रही है। नाढोड़ी के लोगों ने पर्यावरण की शुद्धता को लेकर गांव की शमशान भूमि व जोहड़ तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर हजारों पेड़ लगाए हैं। जिससे लोगों को शुद्ध प्राणवायु मिल रही है।
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