Snake News: सांप के जहर से मौत के मुंह में जा रहा था किशोर, डॉक्टरों की सजगता ने दी नई जिंदगी

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Snake News: सांप के जहर से मौत के मुंह में जा रहा था किशोर, डॉक्टरों की सजगता ने दी नई जिंदगी

Snake News: देहरादून। देहरादून के इंदिरा नगर निवासी 17 वर्षीय किशोर हिमांशु 26 जून को दोपहर करीब 12:30 बजे अपने घर के आसपास था, जब एक विषैले सांप ने उसके दाहिने हाथ के अंगूठे के पास डस लिया। जैसे ही सांप का जहर शरीर में फैला, हिमांशु को हाथ में तेज खुजली, जलन और बेचैनी महसूस होने लगी। परिजनों ने बिना समय गंवाए उसे तुरंत दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया।

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डॉक्टरों ने तत्काल किया उपचार शुरू | Snake News

अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने हिमांशु की प्राथमिक जांच की, जिसमें सांप के काटने के स्पष्ट निशान मिले। उस वक्त उसकी स्थिति सामान्य थी, लेकिन कुछ ही घंटों में हालात बिगड़ने लगे। मरीज को सिरदर्द, हाथ में दर्द, आंखों में धुंधलापन और पेट दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने लगे। डॉक्टरों ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर ले लिया और 6 घंटे तक ऑक्सीजन सहायता दी गई। साथ ही मरीज को 10 शीशियां एंटी-स्नेक वेनम (सांप के जहर की दवा) दी गईं।

अगले दिन बढ़ी समस्या, सामने आए न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव

27 जून की सुबह हिमांशु की हालत में अपेक्षित सुधार नहीं दिखा। उल्टा अब उसे आंखें न खोल पाने, मांसपेशियों में कमजोरी और गर्दन में दर्द जैसी गंभीर शिकायतें होने लगीं। यह संकेत न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव के थे, जो सांप के जहर से नसों और मांसपेशियों पर पड़ते हैं।
स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने तुरंत नियोस्टिग्माइन और एट्रोपीन इंजेक्शन दिए। इन दवाओं से मरीज की मांसपेशियों की कार्यक्षमता को बनाए रखने में मदद मिली।

टीम वर्क और सतर्क निगरानी ने बचाई जान

पूरे इलाज के दौरान डॉक्टरों की टीम ने हिमांशु की हालत पर लगातार नजर रखी। हर मिनट उसके वाइटल्स की मॉनिटरिंग की जाती रही। डॉक्टरों ने दिन-रात एक कर उसकी जान बचाने के लिए सभी संभावित उपाय किए।
28 जून को हालत में सुधार आने लगा और धीरे-धीरे हिमांशु की सांसें सामान्य हो गईं। अब वह खतरे से पूरी तरह बाहर है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

इस जीवनरक्षक कार्य में शामिल रही समर्पित टीम

इस गंभीर मामले का नेतृत्व बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने किया। उनके साथ डॉ. गौरव मुखिया, डॉ. पूजा और डॉ. प्रमोद टम्टा भी लगातार इलाज में सक्रिय रहे। सभी डॉक्टरों ने मिलकर समर्पण के साथ हिमांशु के जीवन को बचाने में सफलता प्राप्त की।

प्राचार्य और चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने की सराहना

दून मेडिकल कॉलेज की इस डॉक्टर टीम के कार्य की सराहना खुद संस्थान की प्राचार्य डॉ. गीता जैन और चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने की। उन्होंने कहा कि,”समय पर उपचार, विशेषज्ञता और मजबूत टीम वर्क के कारण ही एक और बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सका। यह पूरी टीम के लिए गर्व की बात है।”

सांप के काटने पर क्या करें – जरूरी सावधानियां

इस घटना से सीख लेते हुए, विशेषज्ञों ने यह सुझाव भी दिया है कि सांप के काटने पर घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत इन बातों का ध्यान रखें। काटे गए स्थान को स्थिर रखें और ऊपर की ओर ऊंचा न करें। मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं।
झाड़-फूंक या घरेलू इलाज से बचें। सांप को मारने की कोशिश न करें, लेकिन उसका रंग, आकार, या फोटो (अगर संभव हो) लेकर आएं जिससे पहचान आसान हो।

सजगता और तत्परता ही जीवन की कुंजी

हिमांशु की जान बचाने वाली यह घटना एक मिसाल है कि कैसे समय पर उपचार, चिकित्सकीय सजगता और टीमवर्क किसी की डूबती सांसों को दोबारा जीवन दे सकते हैं। यह न सिर्फ मेडिकल कॉलेज की टीम की सफलता है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र के लिए प्रेरणास्रोत भी है।