Himanta Sarma Statement: नई दिल्ली। सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री के उस कथन पर, जिसमें उन्होंने असम में मुस्लिम आबादी बढ़ने की बात कहते हुए राज्य के बांग्लादेश बनने जैसी आशंका जताई थी, मोल्लाह ने इसे पूरी तरह आधारहीन और गैर-जिम्मेदाराना करार दिया। Delhi News
नई दिल्ली में बातचीत के दौरान हन्नान मोल्लाह ने कहा कि यदि इस प्रकार के दावे सही होते, तो देश में बहुसंख्यक आबादी आज भी हिंदू नहीं होती। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के बयान एक सुनियोजित राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हैं, जिनका उद्देश्य समाज में भय और भ्रम फैलाना है।
मोल्लाह ने कहा कि फासीवादी सोच की कुछ मूल विशेषताएं होती हैं। इसके तहत लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश की जाती है, संविधान को नुकसान पहुंचाया जाता है और किसी एक समुदाय को निशाना बनाकर उसके विरुद्ध नफरत फैलाई जाती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि झूठ को बार-बार दोहराकर उसे सच के रूप में स्थापित करने की रणनीति अपनाई जाती है। Delhi News
भारत के सामाजिक इतिहास में ऐसी घटनाएं पहले आम!
उन्होंने देश में बढ़ती भीड़ हिंसा की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के सामाजिक इतिहास में ऐसी घटनाएं पहले आम नहीं थीं। उनके अनुसार, बीते वर्षों में मुसलमानों और दलितों के खिलाफ हिंसा की सैकड़ों घटनाएं सामने आई हैं। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों और निर्देशों के बावजूद, कई राज्यों में सत्तारूढ़ दल इस मुद्दे पर या तो मौन रहता है या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे कृत्यों को सही ठहराता है।
हन्नान मोल्लाह ने पश्चिम बंगाल की राजनीति का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भी एक विशेष समुदाय को लक्ष्य बनाकर राजनीति की जा रही है। उनके मुताबिक, फासीवादी विचारधारा लोकतांत्रिक रास्ते से आगे नहीं बढ़ सकती, इसलिए वह पहले समाज को विभाजित करती है और फिर नफरत के सहारे अपना आधार तैयार करती है। उन्होंने पाकिस्तान की जमात-ए-इस्लामी और भारत में संघ परिवार की कार्यशैली की तुलना करते हुए दोनों को दक्षिणपंथी सोच से प्रेरित बताया।
भारत–पाकिस्तान संबंधों पर टिप्पणी करते हुए मोल्लाह ने कहा कि दोनों देशों के बीच बयानबाजी का सिलसिला लगातार चलता रहता है। उनका मानना है कि जब भी एक पक्ष कोई बयान देता है, दूसरा पक्ष प्रतिक्रिया देने का अवसर खोज लेता है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के बीच शांति और सद्भाव होना चाहिए, लेकिन अक्सर आंतरिक राजनीति के कारण तनावपूर्ण माहौल बना रहता है। Delhi News
सीपीआई (एम) नेता ने जोर देकर कहा कि देश की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया जाना आवश्यक है।















