नए कृषि कानून के विरोध में प्रदेश का अन्नदाता सड़कों पर

Protest

ट्रैक्टर-बाइक लेकर किसान पहुंचे जिला कलक्ट्रेट, केन्द्र सरकार के खिलाफ किया विरोध-प्रदर्शन

हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। केन्द्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानून के खिलाफ देशभर में भड़की विरोध की आग की लपटों का असर सोमवार को जिला मुख्यालय पर भी साफ नजर आया। सोमवार को जिले भर के किसानों ने ट्रैक्टर व बाइक के साथ जिला कलक्ट्रेट पर हल्ला बोल प्रदर्शन करते हुए इन नए कृषि कानूनों का जमकर विरोध किया। कृषि अध्यादेश के खिलाफ विरोध में किसानों के साथ व्यापारी व मजदूर भी सड़कों पर उतरे। कृषि अध्यादेश के विरोध में सोमवार को मंडियां भी बंद रही। व्यापारियों व तोला-धानका मजदूरों के हड़ताल पर रहने से अनाज मंडियों में कामकाज नहीं हुआ।

यदि विधेयक पर पुन: विचार नहीं किया जाएगा, तो विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ और विभिन्न किसान संघों की ओर से लिए गए फैसले के बाद सोमवार को अनाज मंडियों में कामकाज नहीं हुआ। जिला कलक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन के दौरान किसान नेताओं व व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कृषि अध्यादेश के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और इन अध्यादेशों को किसान-आढ़ती व मजदूर विरोधी करार दिया। साथ ही कहा कि यदि विधेयक पर पुन: विचार नहीं किया जाएगा, तो विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा।

कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन से पहले किसानों की जंक्शन धानमंडी में सभा हुई। सभा में वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार किसानों और आढ़तियों का आपसी भाइचारा खराब करने की कोशिश कर रही है। किसान की मुसीबत, खुशी व गमी में अगर कोई काम आता है तो वह आढ़ती है। किसान व आढ़ती का चोली-दामन का साथ है लेकिन इन अध्यादेशों के माध्यम से सरकार इन दोनों के रिश्ते को तोड़ रही है।

यह आंदोलन किसानों के भविष्य व अस्तित्व को बचाने की निर्णायक लड़ाई है

तीनों अध्यादेश किसान व किसानी को तबाह कर देंगे। ये अध्यादेश केवल और केवल बड़े-बड़े उद्योगपतियों व पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का एक षड्यंत्र मात्र है। ये तीनों अध्यादेश भारत के करोड़ों किसान परिवारों के भविष्य से जुड़े हुए हैं। इन कानूनों के जरिए आने वाले समय में केन्द्र सरकार किसानों को मिलने वाले एमएसपी को खत्म करने जा रही है। केन्द्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों से किसानों को फायदा होगा।

लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा। नए कानून के जरिए सरकार किसानों के माल की एमएसपी पर खरीद की अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बचना चाहती है। जब किसानों के सामान की खरीद निश्चित स्थानों पर नहीं होगी तो सरकार इस बात को रेगुलेट नहीं कर पाएगी कि किसानों के माल की खरीद एमएसपी पर हो रही है या नहीं। उन्होंने कहा कि इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ यह आंदोलन किसानों के भविष्य व अस्तित्व को बचाने की निर्णायक लड़ाई है। उन्होंने साफ किया कि अध्यादेश वापस होने तक उनका संघर्ष लगातार जारी रहेगा।