फसलों के भुगतान में न हो राजनीति

Crops Payment

केंद्र सरकार ने फसलों की खरीद के लिए किसानों को सीधी अदायगी करने का निर्णय लिया है जिसके अंतर्गत आॅनलाइन पोर्टल पर किसान को अपनी जमीन, बैंक अकाउंट संबंधी रिकार्ड देना होगा। इस निर्णय से पंजाब सरकार व केंद्र सरकार के बीच फिर पेच फंस गया है। पंजाब सरकार का दावा है कि इस संबंधी किसानों के साथ या पंजाब सरकार के साथ विचार-विमर्श होना चाहिए था। दरअसल इस मामले को गैर-राजनीतिक और वैज्ञानिक तरीके से लागू करने की आवश्यकता है। आज तकनीक व आधुनिकता का युग है, जिस कारण कृषि क्षेत्र को इससे अलग नहीं रखा जा सकता। किसान के लिए पैसे का लेन-देन सरल व तेजी से होना चाहिए। मेहनत के साथ उपज का पैसा बिना किसी देरी और परेशानी के मिलना चाहिए। कारोबारी लोग आज तकनीक का प्रयोग कर तरक्की कर रहे हैं। देश डिजिटल हो रहा है।

बुजुर्गों, विधवाओं की पैंशन से लेकर मनरेगा योजना के लाभपात्रियों को भुगतान सीधा बैंकों में दिया जा रहा है। किसानों को सीधी अदायगी एक सुविधा है न कि कोई समस्या हैं। यह आवश्यक है कि राज्य सरकारें किसानों के खाते में फसल भुगतान को सुनिश्चित बनाएं। किसानों को बिना किसी देरी के फसल खरीद के टोकन मिलें। कई बार किसान सरवर डाउन के झंझट से परेशान होकर फसल प्राईवेट कंपनियों को सस्ते दाम में बेच देता है, जहां तक आढ़ती वर्ग का संबंध है वह पहले भी सरकार से मिलने वाले पैसे को किसानों के खाते में ट्रांसफर करते थे। ऐसा कई बार हुआ है कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश से गेहूं-धान की फसल सस्ते दामों पर मंगवा कर उसे एमएसपी के नाम पर महंगे दामों में बेच दिया जाता है। दलाली के इस खेल में पंजाब के साथ-साथ उन राज्यों के छोटे किसान भी पिस जाते हैं, जो कम दामों पर अपनी फसल बेचने को विवश होते हैं।

सस्ती फसल खरीद कर उसे एमएसपी पर बेचने और इसमें भी आढ़त के नाम पर कमीशन खाकर पंजाब के ग्रेन मर्चेंट खूब मालामाल हो रहे हैं। वहीं, छोटा किसान गरीबी की दलदल में रहने को विवश है। अगर पंजाब सरकार किसानों को भुगतान का लिंक सीधा केंद्र से करने की व्यवस्था करती है और जमीन का रिकार्ड उपलब्ध करवा देती है तो यह सारा खेल अपने आप खत्म हो जाएगा और लाभ असली व छोटे किसानों को मिलेगा जिसका अभी तक शोषण होता आया है। यदि किसानों को अपनी उपज का पैसा जल्दी मिलता है तब इससे न तो किसानों का कोई नुक्सान है और न ही आढ़तियों का कोई नुक्सान है। अब किसानों को सीधा बैंकों में पैसा मिलने से आढ़ती वर्ग का बोझ हलका होगा। पिछले कई वर्षों से किसान संगठन सीधी अदायगी की मांग करते आ रहे हैं। यूं भी किसान वर्ग आधुनिक होता जा रहा है। सरकार की कई योजनाओं का लाभ पहले से ही आॅनलाइन मिल रहा है।

किसानों की नई पीढ़ी शिक्षित व तकनीक का प्रयोग कर रही है। नई व्यवस्था से किसानों को सीधी अदायगी के साथ-साथ अपनी जमीन के ताजा रिकार्ड की भी जानकारी मिलती रहेगी और वह धोखाधड़ी से बच जाएंगे। विशेष रूप से विदेशों में रहने वाले लोगों की जमीनें सुरक्षित रहेंगी। प्रश्न उठता है कि किसानों के खाते में सीधा पैसा जाने से आखिर आपत्ति किसे हो सकती है? स्वभाविक है इसमें आढ़तियों की भूमिका कम होगी और सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों में भी यही व्यवस्था है कि किसानों व उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों की भूमिका को खत्म किया जाए ताकि किसानों को बाजार का सीधा लाभ मिले। यह आवश्यक है कि सीधी अदायगी की आॅनलाइन प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। सरकारी कार्यालयों में किसानों को जमाबंदी बिना किसी परेशानी व देरी के मिले। पंजाब सरकार को बंद पड़े सांझ केंद्र दोबारा चालू करने चाहिए, ताकि किसानों को गांव में ही आवश्यक कागज व सेवाएं मिल सकें।

 

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