स्वाद और मिठास के दीवाने हुए आसपास के ग्रामीण
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5 एकड़ भूमि में बोया संचरी किस्म का तरबूज, अब खूब हो रही आमदनी
सच कहूँ/भगत सिंह नाथूसरी चोपटा। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हर वर्ग को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। कई वर्ष से घाटे का सौदा बन रही खेती के कारण व कोरोना संकट के चलते आर्थिक तंगी के कारण किसानों के घर परिवार की स्थिति डावांडोल होने लगी। लेकिन सरसा जिले के गांव जोड़कियां के किसान राकेश पुत्र ओमप्रकाश ढाका ने हौंसला हारने की बजाय अपने खेत में मौसमी सब्जी व फलों का उत्पादन करके आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रहा है। कोरोना संकट में आर्थिक संकट से पार पाने के लिए राकेश ने 5 एकड़ भूमि में 2 साल पहले किन्नू का बाग लगाया। वहीं किन्नू के पौधों की लाइनों में खाली पड़ी जमीन पर संचरी किस्म के तरबूज लगाया।
खास बात ये रही कि इस किसान ने तरबूज की फसल पर कोई भी रासायनिक खाद की बजाय गोबर की खाद व जैविक खाद का ही प्रयोग किया है। कीटनाशकों की जगह चावल की मांड का छिड़काव किया। विपरीत परिस्थितियों में कुछ हटकर करने के ज़ज्बे ने राकेश को आस-पास के गांवों में भी अलग पहचान दिलवाई। जिससे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया। उनके खेत का जैविक विधि से तैयार तरबूज काफी गुणकारी और मीठा होने के साथ-साथ उत्पादन भी अच्छा हो रहा है।
रोजाना हो रही 10 हजार रुपये की कमाई
किसान राकेश ने बताया कि परम्परागत कृषि के साथ-साथ कोई अन्य काम धंधा शुरू करने का मन बनाया था। ऐसे में उसने अतिरिक्त कमाई का जरिया खोजना शुरू किया। उन्होंने बताया कि परंपरागत खेती में खर्चा ज्यादा व बचत कम होने पर घाटा झेलना पड़ता है। इस बार लॉकडाउन के कारण और ज्यादा घाटा न हो, इसके लिए उसने खेत में तरबूज लगाने का मन बनाया। सोशल मीडिया पर जानकारी लेकर अपने खेत में उसने 2 साल पहले किन्नू का बाग लगाया था। उसी की कतारों में खाली पड़ी जमीन पर तरबूज लगाकर कमाई शुरू कर दी। जिससे इस समय हर रोज करीब 10 हजार रुपए की कमाई हो रही है।
जैविक विधि और ड्रिप सिस्टम को दी तव्वजो
उसने बताया कि इन तरबूजों में किसी भी रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया। जैविक खाद व देशी कीटनाशक का प्रयोग किया। क्षेत्र के आसपास के बरासरी, कुत्तियाना, रामपुरा ढिल्लों, जमाल, गुसाईयाना सहित कई गांवों के लोग हर रोज खेत से ही तरबूज खरीद कर ले जाते हैं व जैविक विधि से तैयार तरबूज को खूब पंसद कर रहे हैं। खेत में लगे नलकूप व नहरी पानी से ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करके फसल को पकाया जाता है। किसान राकेश ढाका ने बताया अपने भाई विकास के साथ तरबूज की खेती कर अच्छी कमाई कर रहा है। अन्य किसान भी इस समय कमाई का जरिया खोज कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।
नाथूसरी चौपटा में विकसित हो फल-सब्जी मंडी
राकेश ने बताया कि उसके खेत से आसपास के गांवों के लोग व सब्जी विक्रता तरजबू खरीदकर ले जाते हैं। सरसा मण्डी में फलों व सब्जियों को ले जाकर बेचने में यातायात खर्च ज्यादा आता है और बचत कम होती है। उसका कहना है कि प्रशासन अगर सब्जियों व फलों की मंडी नाथूसरी चौपटा में विकसित कर दे तो यातायात खर्च कम होने से बचत ज्यादा हो जाएगी। इसके अलावा सरकार को अनुदान भी देना चाहिए।
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