काबुल (एजेंसी)। अफगानिस्तान में तालिबान ने अपना कब्जा जमाए हुए हफ्ते से ज्यादा हो गया है लेकिन अब तक सरकार का गठन नहीं कर पाया है। तय समय के अनुसार अमेरिका के सैनिकों ने भी अफगानिस्तान छोड़ दिया था लेकिन फिर भी तालिबान सरकार का गठन नहीं कर पाया है। इस बीच जो खबर निकल कर आ रही है वह तालिबान के लिए चिंताजनक है। तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर और हक्कानी गुट के बीच झड़प हुई है और इसमें गोली भी चली है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस झड़प में अब्दुल गनी बरादर घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि हक्कानी गुट ने ही गोली चलाई है।
Gunfire last night in Kabul was a power struggle between two senior Taliban leaders. Forces loyal to Anas Haqqani and Mullah Baradar fought over a disagreement on how to resolve the #Panjshir situation. Mullah Baradar was reportedly injured and is receiving treatment in Pakistan. pic.twitter.com/LorfFtJJuG
— Panjshir Observer (@PanjshirObserv) September 4, 2021
अफगानिस्तान पर जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक अगले सप्ताह
जापान ने कहा है कि रूस और चीन की भागीदारी के साथ अगले सप्ताह जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक की योजना है, जो अफगानिस्तान पर केंद्रित होगी। जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने यह जानकारी दी। उन्होंने रविवार को एनएचके टेलीविजन को बताया कि अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करने के लिए अगले सप्ताह जी7 देशों के विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक बैठक की उम्मीद है। बैठक में रूस, चीन और अन्य देशों के मंत्रियों की उपस्थिति की भी उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘यह बैठक आठ सितंबर को हो सकती है।
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हक्कानी नेटवर्क के ज्यादा करीब है पाकिस्तान
एक तरफ तालिबान बोल रहा है कि उसने काबुल को जीता है, तो वहीं दूसरी तरफ हक्कानी नेटवर्क का कहना है कि उसने काबुल को जीता है। वहीं पाकिस्तान तालिबान के मुकाबले हक्कानी नेटवर्क के ज्यादा करीब है और उसके हक में सरकार इसलिए भी बनवाना चाहता है, ताकि बाद में उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सके। गौरतलब है कि अमेरिका ने 20 साल से चले आ रहे अफगान युद्ध को खत्म करते हुए अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है।
निकासी अभियान के बीच ही 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल में प्रवेश कर देश पर कब्जा कर लिया था और इसी दिन अफगान सरकार गिर गई। राष्ट्रपति रहे अशरफ गनी भी देश छोड़कर भाग गए थे। चीन, पाकिस्तान और रूस जैसे देशों ने बयान जारी किए, जिनसे ऐसा लगता है कि ये तालिबान के आने से खुश हैं।
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