नोएडा (सच कहूँ न्यूज)। नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित ट्विन टावर आज जमींदोज हो गया।ब्लास्ट के बाद धुएं का गुबार उठा और इलाके में चारों तरफ सिर्फ धुआं ही दिखाई देने लगा। दोनों टावरों में करीब 3700 किलोग्राम विस्फोट डाला गया था। इससे पहले इसको गिराए जाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। इस इमारत गिराने का जिम्मा एडिफाइस नाम की कंपनी को दिया गया है। प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता की निगरानी में यह इमारत गिराई जाएगी। मयूर मेहता ने बताया कि वाटरफॉल तकनीक इस्तेमाल करके इस टावर को गिराया जाएगा। ये एक तरह का वेविंग इफेक्ट होता है, जैसे समुंद्र की लहरें चलती हैं। बेसमेंट से ब्लास्टिंग की शुरूआत होगी और 30वीं मंजिल पर खत्म होगी। इसको इग्नाइट आॅफ एक्सप्लोजन कहते हैं।
अह्म बातें-
- देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश के बाद आज दोपहर ढाई बजे ट्विन टावर को गिराया।
- इस इमारत के पास 250 मीटर और कहीं-कहीं इससे भी ज्यादा दूरी का एक्सक्लूजन जोन बनाया गया है। इमारत गिराए जाने के दौरान आसपास की सोसायटी में रहने वाले लोगों को अपनी छतों और बालकानी पर जाने की इजाजत नहीं होगी।
- आपको बता दें कि ट्विन टावर में बारूद लगाया गया है, वहां जियोटेक्सटाइल कपड़ा भी लगाया है। इसमें फाइबर कंपोजिट होता है। यानी अगर कोई चीज इससे टकराती है तो वह कपड़े को फाड़ती नहीं, बल्कि रिवर्स होती है।
- सुरक्षा के मद्देनजर आसपास की इमारत पर भी कपड़े लगा दिए गए। लोगों को हिदायत दी है कि वे टीवी से प्लग निकाल दें और कांच के सामान अंदर रख लें।
- इमारत के आस पास स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर मौजूद रहेगी। एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है। शहर के कई बड़े हस्पतालों में सेफ हाउस बनाए गए हैं।
क्या है मामला:
आपको बता दें कि इन टावरों को निर्माण शर्तों का उल्लंघन कर किया गया था। नोएडा के सेक्टर-93 स्थित 40 मंजिला ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में हुआ था। सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। हालांकि, बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए कई खरीदार 2012 इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे। इसमें 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे। जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है। साल 2014 में नोएडा प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था। हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे गिराने का आदेश दिया।
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