सरसा। (सच कहूँ न्यूज) इस घोर कलियुग के समय में सतगुरु से सच्ची प्रीत लगाना और उसे अपनी अंतिम स्वांस तक निभाना ये अति भाग्यशालियों को नसीब होता है। ऐसी ही शख्सियत थे गुर सत् मस्त ब्रह्मचारी (जीएसएम) बूटा सिंह इन्सां (81), जो गत दिवस अपनी स्वांसों रूपी पूंजी पूर्ण कर सतगुरु के चरणों में सचखंड जा विराजे। बूटा सिंह इन्सां अपने आखिरी वक्त तक पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां पर दृढ़ विश्वास के साथ मानवता की सेवा और राम-नाम के सुमिरन में तल्लीन रहे।
बूटा सिंह का जन्म सन् 1942 में पिता संपूर्ण सिंह के घर गाँव गंगा जिला बठिण्डा में हुआ था। उन्होंने 7वीं तक स्कूली शिक्षा ग्रहण की। उनके परिवार में दो भाई और पाँच बहनें थी। उनके एक भाई का छोटी आयु में ही निधन हो गया था। ऐसे में बूटा सिंह पांच बहनों के अकेले भाई रह गए।
बूटा सिंह (GSM Buta Singh) जब पाँच-छह साल के थे तो उनके पिता भी इस नश्वर संसार को छोड़ चले गए। इसके बाद बूटा सिंह का पालन-पोषण उनकी बहन के घर जन्डांवाला (बठिण्डा) में हुआ। उन्होंने सन् 1968-69 में पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज से गुरुमंत्र की अनमोल दात प्राप्त की। इसके बाद वे निरंतर सत्संगों में आते और मानवता की सेवा में भी खूब समय लगाते। बूटा सिंह सन् 1972 से ही वे सेवा कार्यों में जुट गए और काफी समय सेवा समिति के सदस्य रहे। तत्पश्चात बूटा सिंह इन्सां ने सन् 1993 में गुर सत मस्त ब्रह्मचारी के तौर पर सेवा शुरू की। वे पूज्य गुरु जी की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए निरंतर डेरा सच्चा सौदा में मानवता की सेवा में अपनी जिम्मेवारी बाखूबी निभाते आ रहे थे।
गत दिवस जीएसएम बूटा सिंह इन्सां अपनी स्वांसों रूपी पूंजी पूर्ण कर कुल मालिक के चरणों में सचखंड जा विराजे। उनका अंतिम संस्कार शाह सतनाम जी धाम के नजदीक हुआ। इस अवसर पर उनके पारिवारिक सदस्य, रिश्तेदार, डेरा सच्चा सौदा की मैनेजमेंट के सदस्य एवं साध-संगत उपस्थित रही। उनके नामित नामचर्चा रविवार को गोनियाना मंडी (बठिण्डा) के नामचर्चा घर में सुबह 11 से 1 बजे तक होगी।
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